एक और मंदिर में भगदड़ फिर खुली सरकार की पोल

  • आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर मंदिर में भगदड़, मौत का कोहराम
  • एकादशी केलिए उमड़ी थी श्रद्धालुओं की भीड़, नौ से ज्यादा लोगों ने जान गंवाई
  • सीएम चन्द्राबाबू नायडू ने जताया दुख कहा व्यक्तिगत रूप से व्यथित

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
हैदराबाद। आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के काशीबुग्गा स्थित वेंकटेश्वर मंदिर में आज सुबह जो हुआ उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। भगवान के दरबार में श्रद्धा से भरे कदम अचानक मौत की दौड़ में बदल गए। कुछ ही पलों में जय-जयकार के स्वर चीख-पुकार में तब्दील हो गए। मंदिर की सीढिय़ों पर गिरते-पड़ते लोगों की लाशें फर्श पर बिखरी चप्पलें, टूटे प्रसाद के थाल यह दृश्य किसी भी इंसान का दिल हिला देने वाला था। सवाल उठता है कि आखिर हर त्योहारी भीड़ क्यों ऐसी त्रासदियों में तब्दील हो जाती है? यह सिर्फ वेंकटेश्वर मंदिर का हादसा नहीं है। यह एक बार फिर उस लापरवाह व्यवस्था का चेहरा उजागर करता है जो हर बार जांच के आदेश देकर खुद को बरी कर लेती है। कुछ ही महीने स्टेडियम में जीत सेलीब्रेशन पर एक भंयकर हादसा हुआ था। वही कुंभ हादसे में मारे गये लोगों की सिसकिया अभी पूरी तरह से शांत नहीं हुई हैं। और अब भगवान के नाम पर हुई मौतें एक बार फिर बताती हैं कि भारत में भीड़ प्रबंधन और प्रशासनिक तैयारी केवल फाइलों तक सीमित है। हर हादसे के बाद वही बयान वही संवेदना वही वादे लेकिन नतीजा वही शून्य। सरकारें श्रद्धा की राजनीति करती हैं मगर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के नाम पर मौन रहती हैं। आस्था के इस विशाल बाजार में इंसान की कीमत शायद अब दर्शन पास और वीआईपी एंट्री से भी कम रह गई है।

उफ्फ… अफसोस सिर्फ जांच जारी है

वेंकटेश्वर मंदिर की सीढिय़ों पर जो श्रद्धालु गिरे, वे किसी धर्म के नहीं बल्कि प्रशासनिक असफलता के शिकार थे। आस्था के नाम पर बार-बार मरते लोगों की यह कहानी अब बंद होनी चाहिए। कभी क्रिकेट स्टेडियम में, कभी मंदिर में, कभी कुंभ में अगर हर जगह मौत की भीड़ दौड़ रही है तो यह सिर्फ भीड़ की गलती नहीं। यह उस व्यवस्था की नाकामी है जो हर बार कहती है कि जांच जारी है और अगली दुर्घटना का इंतजार करती है।

व्यवस्था दोषी, सरकार जिम्मेदार

भारत में धार्मिक स्थलों पर भगदड़ कोई नई बात नहीं। कुंभ मेले से लेकर सबरीमाला, वैष्णो देवी, पंडरपुर, और अब वेंकटेश्वर मंदिर। हर जगह एक जैसी कहानी दोहराई गयी दिखती है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि अधिकतर हादसे तब होते हैं जब एंट्री और एग्जिट प्वाइंट स्पष्ट नहीं होते। श्रद्धालुओं को दिशा-निर्देश नहीं दिए जाते और और प्रशासन केवल वीआईअपी व्यवस्थाओं में उलझा रहता है। भारत में धार्मिक आस्था गहरी है। लोग अपने परिवार, बच्चों, बुजुर्गों के साथ घंटों दर्शन के लिए लाइन में खड़े रहते हैं। भीड़ बढ़ते ही मनोवैज्ञानिक घबराहट फैल जाती है और यही से शुरू होता है हादसे का कारण भीड़ किसी भी दिशा में जाने लगती है जिससे भगदड़ की चेन बन जाती है। सरकारें इस सामाजिक मनोविज्ञान को समझने की कोशिश ही नहीं करतीं। भीड़ प्रबंधन का विज्ञान जिसे जापान या साउथ कोरिया जैसे देशों ने अपना लिया है भारत में आज भी पंडाल लगाने तक सीमित है।

सीएम ने दिये जांच के आदेश

मुख्यमंत्री नायडू ने हादसे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वेंकटेश्वर मंदिर जैसे पवित्र स्थल पर हुई यह दुर्घटना अत्यंत दुखद है और इससे वह व्यक्तिगत रूप से भी व्यथित हैं। उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार इस कठिन समय में पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है। सीएम ने आधिकारिक एक्स पोस्ट के माध्यम से कहा है कि काशीबुग्गा में वेंकटेश्वर मंदिर में भगदड़ की घटना से मुझे गहरा आघात पहुंचा है। इस हादसे में श्रद्धालुओं की मौत अत्यंत दुखद है। मैं मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। उन्होंने आगे लिखा कि जिला प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गये हैं कि घायलों को तुरंत और उचित इलाज उपलब्ध कराया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि स्थानीय अधिकारी और जनप्रतिनिधि घटनास्थल का दौरा करें और राहत व बचाव कार्यों की स्वयं निगरानी करें। सीएम नायडू ने अधिकारियों को यह भी कहा कि अस्पतालों में घायलों के इलाज की हर संभव व्यवस्था की जाए ताकि किसी भी घायल को किसी प्रकार की परेह्यशानी न हो। उन्होंने जनता से भी अपील की कि अफवाहों से बचें और राहत कार्यों में प्रशासन की मदद करें। राज्य सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं।

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