MCD नियुक्ति मामले में दिल्ली सरकार को ‘सुप्रीम’ झटका, कोर्ट ने LG के पक्ष में सुनाया फैसला
दिल्ली नगर निगम (MCD) के एल्डरमैन की नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट (5 अगस्त) ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका दिया है...
4PM न्यूज नेटवर्क: दिल्ली नगर निगम (MCD) के एल्डरमैन की नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट (5 अगस्त) ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 ‘एल्डरमैन’ यानी मनोनीत पार्षद को नामित करने के दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) के फैसले को बरकरार रखा है। इस मामले में अदालत ने साफ कर दिया कि एलजी को MCD में पार्षद मनोनीत करने का अधिकार है। इसके लिए दिल्ली सरकार की सहमति जरूरी नहीं है। ऐसे में SC ने कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल एमसीडी में 10 मनोनीत पार्षद बिना सरकार की सलाह के नियुक्त कर सकते हैं। दिल्ली सरकार की इसमें सहमती जरूरी नहीं है। SC ने कहा कि 1993 के एक्ट में उपराज्यपाल को यह अधिकार है। इसके लिए दिल्ली सरकार के सलाह की आवश्यकता नहीं है।
दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सरकार को बड़ा झटका लगा है। बताया जा रहा है कि मनोनीत पार्षद की नियुक्ति पर लंबे समय से काफी विवाद चल रहा था। इसकी वजह से MCD में स्टैंडिंग कमिटी का चुनाव भी रुका था, क्योंकि मनोनीत पार्षद भी इसमें मतदान करते हैं। MCD में आप के 134 और बीजेपी के 104 निर्वाचित पार्षद हैं। वहीं इसके अलावा MCD में 10 मनोनीत पार्षद भी नियुक्त किए जाते हैं, जिनकी नियुक्ति उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना करेंगे।
पीठ ने स्पष्ट किया कि 1993 में संशोधित दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) अधिनियम की धारा 3(3)(बी)(आई) एलजी को एल्डरमैन नियुक्त करने का अधिकार देती है। दिल्ली के प्रशासक के तौर पर मिला ये अधिकार न तो ‘अतीत का अवशेष’ है और न ही इसके जरिए संवैधानिक शक्ति का अतिक्रमण होता है।
महत्वपूर्ण बिंदु
- चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ ने MCD में मनोनीत पार्षद नियुक्त करने का अधिकार LG को देने का फैसला सुनाया है।
- इस पीठ में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला भी थे।
- जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि एल्डरमैन की नियुक्ति एलजी का वैधानिक कर्तव्य है।
- वह इस मामले में राज्य कैबिनेट की सहायता और उसकी सलाह से बंधे हुए नहीं हैं।