हिंदू उत्तराधिकार कानून पर सावधानी से बढ़ेंगे आगे: सुप्रीम कोर्ट
धाराओं को चुनौती देने वाली याचिकाएं बड़ी अदालत पहुंचीं

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार कानून की कुछ धाराओं को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करते हुए कहा कि वह इस मामले में सावधानी से आगे बढ़ेगा। कोर्ट ने हिंदू सामाजिक ढांचे को टूटने से बचाने की बात कही, लेकिन साथ ही महिलाओं के अधिकारों को लेकर संतुलन बनाए रखने पर भी जोर दिया। मामला विशेष रूप से अधिनियम की धारा 15 और 16 से जुड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की कुछ धाराओं को लेकर दायर याचिका पर विचार करते समय बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ेगा। शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि वह हजारों वर्षों पुरानी हिंदू सामाजिक संरचना और उसके मूल सिद्धांतों को तोडऩे से बचेगा। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच इस अधिनियम के तहत उत्तराधिकार से जुड़ी कुछ धाराओं को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमें हिंदू समाज की उस संरचना को नीचा नहीं दिखाना चाहिए, जो पहले मौजूद है। एक अदालत के रूप में हम आपको सावधान कर रहे हैं। हिंदुओं की सामाजिक संरचना है और उसे गिराने की कोशिश न करें। हम ऐसा कोई फैसला नहीं देना चाहते, जिससे हजारों वर्षों से चली रही व्यवस्था टूट जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि महिलाओं के अधिकार जरूरी हैं, लेकिन सामाजिक ढांचे और महिलाओं को अधिकार देने के बीच एक संतुलन बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है। बेंच ने इस मुद्दे के व्यापक समाधान से पहले पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता केंद्र में भेज दिया है, ताकि वे आपसी समझौते की संभावना तलाश सकें। इस मामले में कोर्ट के समक्ष विचाराधीन मुख्य मुद्दा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15 और 16 है। ये धाराएं उस स्थिति से जुड़ी हैं जब किसी हिंदू महिला की बिना वसीयत के मृत्यु हो जाती है, यानी उसने कोई वसीयत नहीं छोड़ी होती है। धारा 15 के अनुसार, अगर किसी हिंदू महिला की मृत्यु वसीयत छोड़े बिना होती है, तो उसकी संपत्ति सबसे पहले उसके पति के उत्तराधिकारियों को मिलती है, उसके अपने माता-पिता को नहीं।
परंपराओं के नाम पर महिलाओं को समान संपत्ति अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता : सिब्बल
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश हुए। उन्होंने दलील दी कि जिन धाराओं को चुनौती दी गई है, वे महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण और उन्हें अलग करने वाली हैं। उन्होंने कहा कि परंपराओं के नाम पर महिलाओं को समान संपत्ति अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ता इस कानून की आड़ में सामाजिक ढांचे को तोडऩा चाहते है : एम. नटराज
वहीं, केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम. नटराज ने अधिनियम का बचाव किया और कहा कि यह कानून अच्छी तरह से तैयार किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता इस कानून की आड़ में सामाजिक ढांचे को तोडऩा चाहते हैं।

मोदी सरकार ने मानवता-नैतिकता का परित्याग किया: सोनिया गांधी
फिलस्तीन पर चुप्पी पर कांग्रेस सांसद का भाजपा पर तीखा हमला
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने अंग्रेजी दैनिक के लिए लिखे लेख
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने एकबार फिर बृहस्पतिवार को फलस्तीन के मुद्दे पर केंद्र सरकार के रुख की कड़ी आलोचना की है। राज्य सभा सांसद ने कहा कि अब भारत को नेतृत्व का परिचय देना चाहिए। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि इस मुद्दे पर सरकार की प्रतिक्रिया और ‘गहरी चुप्पी’ मानवता एवं नैतिकता, दोनों का परित्याग है।
फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर फि लिस्तीनी राज्य को मान्यता दे चुका है- जो लंबे समय से पीडि़त फिलिस्तीनी लोगों की वैध आकांक्षाओं की पूर्ति की दिशा में पहला कदम है। संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 150 से ज्यादा देशों ने अब ऐसा कर दिया है। भारत इस मामले में अग्रणी रहा है, जिसने फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) को वर्षों के समर्थन के बाद, 18 नवंबर, 1988 को औपचारिक रूप से फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दी थी। भारत का यह निर्णय मूलत: नैतिक था और हमारे विश्वदृष्टिकोण के अनुरूप था। हाल ही में हुए हमलों के लेकर विपक्ष ने भारत सरकार को घेरा है। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने बृहस्पतिवार को फलस्तीन के मुद्दे पर केंद्र सरकार के रुख की आलोचना करते हुए कहा कि अब भारत को नेतृत्व का परिचय देना चाहिए। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि इस मुद्दे पर सरकार की प्रतिक्रिया और ‘गहरी चुप्पी’ मानवता एवं नैतिकता, दोनों का परित्याग है।
व्यक्तिगत कूटनीति की शैली कभी भी स्वीकार्य नहीं
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने अंग्रेजी दैनिक ‘द हिंदू’ के लिए लिखे लेख में कहा कि सरकार के कदम मुख्य रूप से भारत के संवैधानिक मूल्यों या उसके सामरिक हितों के बजाय इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत मित्रता से प्रेरित प्रतीत होते हैं। सोनिया गांधी ने कहा, ‘व्यक्तिगत कूटनीति की यह शैली कभी भी स्वीकार्य नहीं है और यह भारत की विदेश नीति का मार्गदर्शक नहीं हो सकती। दुनिया के अन्य हिस्सों में-खासकर अमेरिका में ऐसा करने के प्रयास हाल के महीनों में सबसे दुखद और अपमानजनक तरीके से विफल हुए हैं।’ सोनिया गांधी ने इजराइल-फलस्तीन संघर्ष पर पिछले कुछ महीनों में तीसरी बार लेख लिखा है, जिनमें उन्होंने हर बार इस मुद्दे पर मोदी सरकार के रुख की तीखी आलोचना की है। सोनिया गांधी ने लेख में कहा कि फ्रांस, फलस्तीनी राष्ट्रको मान्यता देने में ब्रिटेन, कनाडा, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया के साथ शामिल हो गया है।
न्याय, पहचान, सम्मान और मानवाधिकारों की लड़ाईअवाश्यक
उन्होंने बताया कि 1971 में भारत ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में नरसंहार को रोकने के लिए दृढ़ता से हस्तक्षेप किया, जिससे आधुनिक बांग्लादेश का जन्म हुआ। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि इजराइल-फिलस्तीन के महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर भी, भारत ने लंबे समय से एक संवेदनशील, लेकिन सैद्धांतिक रुख अपनाया है और शांति एवं मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया है। सोनिया गांधी ने कहा कि भारत को फलस्तीन के मुद्दे पर नेतृत्व दिखाने की जरूरत है, जो अब न्याय, पहचान, सम्मान और मानवाधिकारों की लड़ाई है।
हिंदुस्तान की हुकूमत यहां चिंगारी न भडक़ाए: फारूक
बोले- अब जाग जाना चाहिए, नहीं तो बहुत देर हो जाएगी
लद्दाख हिंसा केसाथ आए नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
श्रीनगर। लद्दाख के लेह में भडक़ी हिंसा पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला का बड़ा बयान आया है। फारूक अब्दुल्ला ने लद्दाख हिंसा का समर्थन किया। उन्होंने कहा, लद्दाख के लोग अपनी स्टेटहुड के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। पहले उन्होंने अपनी बात शांति से रखी थी लेकिन जब उनसे किये हुए कोई भी वादे नहीं किए गए तब उन्होंने गांधी का रास्ता छोडक़र आंदोलन का रास्ता चुना।
फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा,लेह में लोगों ने बीजेपी के दफ्तर में आग लगा दी पुलिस की गाडिय़ों में आग लगा दी। मैं हिंदुस्तान की हुकूमत से कहूंगा की हमारा स्टेट चीन और पाकिस्तान के बॉर्डर से लगता है। आप यहां चिंगारी ना भडक़ाइए। आप इंतजार मत करिए कि यहां दोबारा से चिंगारी लग जाए और यह राज्य दोबारा जल जाए। एनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने लद्दाख हिंसा को लेकर कहा, कुछ लोग यह कह रहे हैं कि यहां विदेशी ताकतों की वजह से हिंसा हो रही है। मैं बता देना चाहता हूं कि ऐसा कुछ नहीं है। यह यहां की जनता की आवाज है। जो हमारे राज्य के साथ गलत कर रहे हैं, उनको लद्दाख से सीखना होगा।
उन्होंने आगे कहा, लद्दाख में जो हो रहा है हम उन सभी बच्चों के साथ है। लद्दाख में जो कुछ हो रहा है वह दिल्ली में बैठे हुए नेताओं की वजह से हो रहा है, उनको जाग जाना चाहिए, नहीं तो बहुत देर हो जाएगी। जब फारूक अब्दुल्ला से यह सवाल किया गया कि क्या चीन ने भारत की जमीन कब्जा की है? जवाब में एनसी प्रमुख ने कहा, अगर कब्जा नहीं की है तो बीजेपी वाले क्यों कहते हैं कि हमें वापस लेनी है? हम वहां पैट्रोलिंग भी नहीं कर पा रहे हैं।
माओवादियों से हुई मुठभेड़ की जांच अब करेगी एनआईए
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। एनआईए ने केरल के कन्नूनरक जिले के उरुप्पुमकुट्टी जंगल में 13 नवंबर 2023 को पुलिस और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ की जांच अपने हाथ में ली है। एनआईए ने हाल ही में इस मामले में फिर से प्राथमिकी दर्ज की है, जिसे कोच्चि स्थित एनआईए कोर्ट में पेश किया गया। सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
जांच के तहत एनआईए अब केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में गिरफ्तार या आत्मसमर्पण कर चुके माओवादियों से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। यह मुठभेड़ उस समय हुई थी, जब केरल पुलिस ने की माओवादी विरोधी कमांडो इकाई थंडरबोल्ट कन्नून के करिकोट्टाकारी थाना क्षेत्र के तहत आने वाले नजेट्टिथोडु इलाके में जंगल में तलाशी अभियान चला रही थी। प्राथमिकी के मुताबिक, प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के आठ हथियारबंद अवैध रूप से जंगल में इक_ा हुए थे और उन्होंने पर पुलिस पर जानलेवा हमला किया।
पटना बनेगी देश की पहली सनातनी राजधानी!
बिहार विधानसभा चुनाव में ट्विस्ट सनातनी राजनीति का शंखनाद, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद लड़ेंगे सभी सीटों पर चुनाव
औवेसी शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद आमने-सामने
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। भारत की राजनीति में बिहार हमेशा से एक प्रयोगशाला रहा है। यहाँ से उठे आंदोलन कभी दिल्ली की सत्ता को हिला देते हैं तो कभी देश की नई राजनीतिक दिशा तय कर देते हैं। इस बार भी बिहार विधानसभा चुनाव एक नए मोड़ पर खड़ा है।
राजनीतिक दलों की पारंपरिक रणनीतियों के बीच अब सनातनी राजनीति का शंखनाद सुनाई दे रहा है। और यही कारण है कि पटना को देश की पहली सनातनी राजधानी बनाने की चर्चा जोरों पर है। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने बिहार में सनातनी राजनीति का शंखनाद कर दिया है। उन्होंने कहा की बिहार में सभी विधानसभा क्षेत्रों से प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे और वे गौ भक्त होंगे। इस मौके पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज जी ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा तभी संभव है जब हम गौ माता का संरक्षण करेंगे। उन्होंने कहा कि गौ रक्षा हमारी आस्था का विषय ही नहीं, बल्कि यह हमारे समाज और संस्कृति की भी आधारशिला है। उन्होंने सभी लोगों से आग्रह किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में केवल उन्हीं प्रत्याशियों को वोट दें, जो गौ रक्षा को लेकर स्पष्ट और दृढ़ संकल्पित हों।
मुख्य चुनाव आयुक्त बिहार का दौरा करेंगे
सूत्रों ने पुष्टि की है कि स्थानांतरण-पोस्टिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए बिहार का दौरा करेंगे। इस दौरे से चुनाव कार्यक्रम की आधिकारिक घोषणा का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है।


