बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- ‘भारत एक धर्मनिर्पेक्ष देश, सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि’

देश-भर में बुलडोजर कार्रवाई पर अंतरिम रोक मामले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (1 अक्टूबर) को सुनवाई हो रही है...

4PM न्यूज नेटवर्क: देश-भर में बुलडोजर कार्रवाई पर अंतरिम रोक मामले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (1 अक्टूबर) को सुनवाई हो रही है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है और सड़क, जल निकायों या रेल पटरियों पर अतिक्रमण करने वाले किसी भी धार्मिक ढांचे को हटाया जाना चाहिए। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और बुलडोजर कार्रवाई और अतिक्रमण विरोधी अभियान के लिए उसके निर्देश सभी नागरिकों के लिए होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म को मानते हों। सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करते हुए कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारा आदेश अतिक्रमणकारियों की मदद न करे। आपको बता दें कि मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत की जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच कर रही है।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दिए सुझाव

वहीं सुनवाई के दौरान उत्तर-प्रदेश सरकार के लिए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता पहुंचे। उन्होंने कहा- मेरा सुझाव है कि रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजने की व्यवस्था होनी चाहिए। 10 दिन का समय देना चाहिए। मैं कुछ तथ्य रखना चाहता हूं, यहां ऐसी छवि बनाई जा रही है, जैसे एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर जस्टिस गवई ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था में हैं। अवैध निर्माण हिंदू का हो या मुस्लिम का कार्रवाई होनी चाहिए। इस पर मेहता ने कहा कि बिल्कुल, यही होता है। इसके बाद जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि अगर 2 अवैध ढांचे हैं और आप किसी अपराध के आरोप को आधार बना कर उनमें से सिर्फ 1 को गिराते हैं, तो सवाल उठेंगे ही।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • मेहता की दलील सुनने के बाद जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि किसी जगह रहते परिवार को वैकल्पिक इंतज़ाम के लिए भी 15 दिन का समय मिलना चाहिए, घर में बच्चे और बुजुर्ग भी रहते हैं. लोग अचानक कहां जाएंगे।
  • इस पर मेहता ने कहा कि मैं सिर्फ यही कह रहा हूं कि कोर्ट को ऐसा समाधान नहीं देना चाहिए, जो कानून में नहीं है।
  • इसके बाद जस्टिस गवई ने कहा कि हम सिर्फ वही समाधान देना चाहते हैं जो पहले से कानून में है।
  • हम सड़क, फुटपाथ वगैरह पर हुए निर्माण को कोई संरक्षण नहीं देंगे।

 

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