जातिगत भेदभाव पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, बर्खास्त अधिकारी प्रेम कुमार की बहाली का आदेश
अदालत ने कहा कि जाति के अधार पर किसी भी अधिकारी के साथ भेदभाव करना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के तहत कार्यरत एक वरिष्ठ जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रेम कुमार की बर्खास्तगी को रद्द करते हुए उनकी बहाली का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस मामले में न्यायपालिका के भीतर जातिगत भेदभाव पर गहरी चिंता जताई और तल्ख टिप्पणी की। प्रेम कुमार, जो अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं और एक मोची के बेटे हैं, को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के प्रशासनिक विभाग द्वारा सेवा बर्खास्त कर दिया गया था। आरोप है कि उन्हें जातिगत आधार पर निशाना बनाया गया।
यह मामला पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा, जहाँ न्यायालय ने प्रेम कुमार को फिर से सेवा में बहाल करने के आदेश दिए। हालांकि, इस फैसले को चुनौती देते हुए मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए प्रेम कुमार का बहाली के साथ-साथ न्यायपालिका में जातिगत भेदभाव की प्रवृत्ति को खतरनाक करारा दिया।अदालत ने कहा कि जाति के अधार पर किसी भी अधिकारी के साथ भेदभाव करना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के जज सूर्यकांत के सामने ये मामला था. वे खुद भी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से आते हैं. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि पंजाब की न्यायपालिका में चल रही इस जातिगत समस्या से वे वाकिफ हैं. और चूंकि अधिकारी एक पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखता था, उसे निशाना बनाया गया. उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि आखिर ये सब कब तक चलेगा. जस्टिस सूर्यकांत के अलावा जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह इस मामले को सुन रहे थे. आइये यह भी जानें कि कस तरह एक जिला अदालत का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा.
जिस अधिकारी को लेकर पूरा विवाद रहा – उनका नाम प्रेम कुमार है. 2014 में उनकी पंजाब में अतिरिक्त जिला और सत्र जज के तौर पर बहाली हुई. प्रेम कुमार के बारे में उनके वरिष्ठ जजों की राय पहले तो काफी अच्छी रही. पर फिर बदलती चली गई. उनका मूल्यांकन काफी उतार-चढ़ाव से भरा रहा. आखिरकार, अप्रैल 2022 में प्रेम कुमार की कार्यशैली को आधार बनाते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के प्रशासनिक विभाग ने उनको बर्खास्त कर दिया.
अपनी गरिमा की हिफाजत में कुमार ने इस बर्खास्तगी को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी. इसी साल जनवरी के महीने में हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार किया और प्रशासनिक विभाग के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें उन्हें बर्खास्त किया गया था. हाईकोर्ट के प्रशासनिक विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अर्जी लगाई, जिस पर अब फैसला आया है.
आपको बता दें,कि हाईकोर्ट के प्रशासनिक विभाग की याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा – चूंकि प्रेम कुमार एक पिछड़ी जाति से आते हैं, उनको निशाना बनाया गया. देश के उच्च न्यायालयों में ये एक बड़ी समस्या है. हाईकोर्ट को उनके ज्युडिशियल अधिकारियों के साथ पारदर्शिता से पेश आना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब फिर एक बार प्रेम कुमार की बहाली का रास्ता खुल गया है. साथ ही, उनका पूरा बकाया और वरिष्ठता भी बहाल किया जाएगा.



