सेक्स वर्करों पर ‘सुप्रीम फैसले’ का पड़ेगा दूरगामी असर

4पीएम की परिचर्चा में प्रबुद्घजनों ने किया मंथन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। अब सेक्स वर्करों को सुप्रीम कोर्ट ने अधिकार दिया है कि अब उन्हें पुलिस परेशान नहीं कर सकती। सेक्स करना गैर कानूनी नहीं है। अदालत ने वेश्यावृत्ति को पेशा करार दिया है। वहीं कहीं न कहीं समाज की मानसिकता इसे नकारात्मक मानती है। इस मुद्ïदे पर वरिष्ठï पत्रकार अशोक वानखेड़े, हेल्थ एक्टिविस्ट सुनीता पाल, अधिवक्ता प्रियंका कक्कड़, आराधना भार्गव, स्वाती उपाध्याय, एक्टिविस्ट योगेंद्र सिंह और 4पीएम के संपादक संजय शर्मा ने लंबी परिचर्चा की।
सुनीता पाल कहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत है। फैसले से साफ है कि अब सेक्स वर्करों को पुलिस नहीं परेशान कर पाएगी लेकिन क्या उनके बच्चों को नार्मल परिवार के बच्चों की तरह का हक मिलेगा। इस पर अभी भी अवेयरनेस की जरूरत है। प्रियंका कक्कड़ ने कहा सेक्स वर्करों देश में दुर्दशा है। अब ये समस्याएं खत्म होगी। ये केस 2011 से पेंडिंग था, फैसला अब आया है। अब पुलिस सेक्स वर्कर या कस्टमर को अरेस्ट नहीं कर सकेगी। मीडिया पर भी अदालत ने सख्ती दिखाई है कि अगर मीडिया इनकी फोटो प्रकाशित करेगा तो उन पर भी केस दर्ज किया जाएगा। आराधना भार्गव कहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट बहुत पहले आ जाना चाहिए था। गंगूबाई कठियाबाई फिल्म इसका उदाहरण है। स्वाती उपाध्याय का कहना है कि भारत में 30 लाख सेक्स वर्कर है। देश में महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लड़ रही है। फैसला स्वागत योग्य है। योगेंद्र सिंह ने कहा, कानून बन गया लेकिन जमीन पर लागू कैसे होगा ये देखना होगा। सेक्स वर्करों तक यह बात कौन पहुंचाएगा कि ये आपका अधिकार है। अशोक वानखेड़े ने कहा, सर्वोच्च न्यायालय ने कोई नया कानून नहीं बनाया बल्कि बताया कि क्या सही है, क्या गलत। फैसले से स्पष्टï है कि अब पुलिस हस्तक्षेप नहीं कर सकती अगर दोनों बालिग और सहमत हैं।

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