राहुल गाँधी को सुप्रीम राहत कोर्ट ने सजा पर लगाई रोक
- मोदी सरनेम केस में गुजरात हाई कोर्ट का फैसला पलटा
- सांसदी बहाल, फिर जा सकेंगे संसद
- कांग्रेस बोली सच्चाई की जीत
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को बड़ी राहत दी है। एससी ने मानहानि मामले में राहुल को दो साल की सजा पर रोक लगा दी है। इसी के साथ उनकी सांसदी भी बहाल हो जाएगी। इस फैसले से कांग्रेस खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई है। वहीं कांग्रेस नताओं ने कहा है कि ये सच्चाई की जीत है। सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को राहत मिलने पर कांग्रेस ने कहा, यह नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है, सत्यमेव जयते-जय हिंद। इससे पहले जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने आदेश में कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज को अपने फैसले में अधिकतम सजा सुनाने की वजहें भी बतानी चाहिए थीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर राहुल को 1 साल 11 महीने की सजा होती तो उन्हें बतौर सांसद अयोग्य नहीं करार दिया जाता। एससी में राहुल गांधी की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश कीं। शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की तरफ से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने तर्क रखे। राहुल की याचिका पीठ ने सुनी। अदालत की ओर से दोनों पक्षों को 15-15 मिनट का समय दिया गया था। राहुल ने मोदी सरनेम मानहानि मामले में सजा पर निलंबन से गुजरात हाई कोर्ट के इनकार को चुनौती दी थी।
सजा सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं बल्कि पूरे संसदीय क्षेत्र को प्रभावित कर रही : जस्टिस गवई
किसी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व न होना क्या सजा पर रोक का कोई आधार नहीं है? जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि ये सजा सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं बल्कि पूरे संसदीय क्षेत्र को प्रभावित कर रही है। अगर कोई संसदीय क्षेत्र किसी सांसद को चुनता है तो क्या वो क्षेत्र बिना उसके सांसद को उपस्थिति का रहना ठीक है ? जब इस तरह के मामले में अधिकतम सजा दो साल दी गई है? जस्टिस गवई ने कहा कि क्या यह एक प्रासंगिक कारक नहीं है कि जो निर्वाचन क्षेत्र किसी व्यक्ति को चुनता है वह गैर-प्रतिनिधित्व वाला हो जाएगा? ट्रायल जज ने अधिकतम 2 साल की सजा दी है, जब आप अधिकतम सज़ा देते हैं तो आप कुछ तर्क देते हैं कि अधिकतम सज़ा क्यों दी जानी चाहिए, ट्रायल कोर्ट द्वारा कोई फुसफुसाहट नहीं, कोर्ट ने कहा कि आप न केवल एक व्यक्ति के अधिकार का बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र के अधिकार को प्रभावित कर रहे हैं। केवल वह सांसद हैं, यह सजा निलंबित करने का आधार नहीं हो सकता, लेकिन क्या उन्होंने दूसरे हिस्से को भी छुआ है? हाईकोर्ट के फैसले को पढऩा बहुत दिलचस्प है, इस फैसले में बताया गया है कि एक सांसद को कैसे बर्ताव करना चाहिए।
केवल भाजपा के पदाधिकारी ही मुकदमा दायर कर रहे हैं : सिंघवी
सिंघवी ने कहा कि मोदी सरनेम और अन्य से संबंधित प्रत्येक मामला भाजपा के पदाधिकारियों द्वारा दायर किया गया है। यह एक सुनियोजित राजनीतिक अभियान है,इसके पीछे एक प्रेरित पैटर्न दिखाता है,राहुल गांधी इन सभी मामलों में केवल आरोपी हैं, दोषी नहीं है, जैसा कि हाईकोर्ट ने निष्कर्ष निकाला है, उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में जिन लोगों का नाम लिया था, उनमें से एक ने भी मुकदमा नहीं किया है, दिलचस्प बात यह है कि 13 करोड़ की आबाद वाले इस छोटे समुदाय में जो भी लोग पीडि़त हैं, उनमें से केवल भाजपा के पदाधिकारी ही मुकदमा दायर कर रहे हैं, क्या ये बहुत अजीब नहीं है, उस 13 करोड़ की आबादी में न कोई एकरूपता है, न पहचान की एकरूपता है, न कोई सीमा रेखा है।
भाषण के अपमानजनक हिस्से का उल्लेख नहीं किया : जेठमलानी
इस मामले में सिंघवी के बाद पूर्णेश मोदी की ओर से महेश जेठमलानी ने बहस शुरू की। महेश जेठमलानी ने कोर्ट से कहा कि सिंघवी ने भाषण के अपमानजनक हिस्से का उल्लेख नहीं किया है। इस मामले में ढेर सारे सबूत मौजूद हैं, माना कि वह मौजूद नहीं थे लेकिन उन्होंने इसे यूट्यूब पर देखा और पेन ड्राइव में डाउनलोड कर लिया, इसपर सुप्रीम कोर्ट ने महेश जेठमलानी से पूछा कि स्पीच के कुछ वाक्य मिसिंग थे, कुल 50 मिनट का भाषण है, इसकी तीन सीडी पेश की गई थी, दूसरी सीडी में सूबत हैं। स्पीच को पूरे देश ने सुना है, राहुल गांधी की स्पीच के बारे में अदालत में बताया भी गया है, राहुल गांधी का इरादा मोदी सरनेम वाले लोगों को सिर्फ इसलिए बदनाम करना था क्योंकि पीएम भी यही सरनेम लगाते हैं।
तीन चीजें ज्यादा देर तक छुप नहीं सकतीं है। सूर्य, चंद्रमा और सत्य। माननीय उच्चतम न्यायालय को न्यायपूर्ण फैसला देने के लिए धन्यवाद। सत्यमेव जयते।
प्रियंका गांधी, कांग्रेस महासचिवमा. सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल गांधी जी की सज़ा पर रोक लगाकर भारतीय लोकतंत्र और न्यायपालिका में लोगों की आस्था को बढ़ावा दिया है। भाजपा की नकारात्मक राजनीति का अहंकारी ध्वज आज उनके नैतिक अवसान के शोक में झुक जाना चाहिए।
अखिलेश यादव, सपा प्रमुखराहुल गांधी पर मानहानि के मुकदमे में सजा पर रोक का सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य है। यह सच्चाई एवं न्याय की जीत है।
अशोक गहलोत, सीएम राजस्थानघिनौनी साजिश नाकाम.. राहुल गांधी पर झूठे आरोप लगाए गए थे.. आज खुशी का दिन है…मैं आज ही लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखूंगा और बात करूंगा।
अधीर रंजन चौधरी, नेता सदन, कांग्रेस