स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ी, माता लक्ष्मी पर विवादित टिप्पणी करने पर एफआईार हुई दर्ज
लखनऊ। राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ गई है। लगातार विवादित बयान देकर सुर्खियों में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ लखनऊ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया पर मां लक्ष्मी पर अभद्र टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी को करने के बाद उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
बता दें कि बीते दिनों लखनऊ चौक निवासी रागिनी रस्तोगी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ शिकार दर्ज कराई थी। वहीं अब लखनऊ पुलिस ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में लखनऊ की एक विशेष अदालत ने देवी लक्ष्मी और अन्य हिंदू देवी-देवताओं पर कथित रूप से अभद्र टिप्पणी करने के लिए पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ शनिवार को प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया था। सांसद विधायक अदालत (एमपी-एमएलए कोर्ट) के विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबरीश कुमार श्रीवास्तव ने वजीरगंज थाने को स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच करने का निर्देश जारी किया। याचिकाकर्ता रागिनी रस्तोगी ने अदालत से स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका दाखिल की थी।
याचिकाकर्ता के मुताबिक, 15 नवंबर 2023 को अखबार में स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान प्रकाशित हुआ, जिसका शीर्षक था चार हाथों के साथ लक्ष्मी कैसे पैदा हो सकती हैं? याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान से भारत में हिंदू धर्म को मानने वाले करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस दौरान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कहा था कि अन्य धर्मों में दो हाथ और दो पैर के साथ लोग पैदा होते हैं मगर हिंदू देवी चार हाथों के साथ कैसे पैदा हो सकती है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि इस मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान ने लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि स्वामी प्रसाद मौर्य पहले भी कई बार हिंदू धर्म का अपमान करने वाले बयान देकर हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते आ रहे हैं। स्?वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्यता और विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देकर अपना एक राजनीतिक दल गठित किया है।