आचार सहिंता का उल्लंघन कर बांटा गया टेंडर
मिर्जापुर के बिजली विभाग में अधिकारियों का कारनामा, वरिष्ठï अफसरों से की जांच की मांग
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। मिर्जापुर में बिजली विभाग द्वारा चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मामला संज्ञान में आया है। इसके बाबत वहां के अधीक्षण अभियंता एक खिलाफ एक शिकायत प्रबंध निदेशक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को भेजी गई है। शिकायतकर्ता के वकील आशिष मिश्रा ने बताया कि नीरज गोयल अधीक्षण अभियंता कार्यवृत्त ने सहिंता काल में अवैध रुप से फ्लोटिंग व टेंडर निकाला जो सरासर आचार सहिंता उल्लंघन है।
गौरतलब हो कि 9 अप्रैल से 13 मई 2023 तक निकाय चुनाव के मद्देनर प्रदेश में आचार सहिंता लागू थी। इस बीच 20 अप्रैल को अधीक्षण अंभियंता वक्र्स सर्कल पीयूवीवीएनएल मिर्जापुर ने विद्युत लाइनों को अंडरग्राउंड करने के लिए ई टेंडर निकाला था। इसके अंतर्गत विंध्यवासिनी धाम न्यू वीआईपी रोड, ओल्ड वीआईपी, कोतवाली गली, घाट रोड व मंदिर परिसर में जमा योजना के तहत टर्नकी आधार पर डिपाजिट स्कीम की निविदा 4 मई को खोली गई, इसकी अंतिम तिथि 3 मई थी। आरोपी ने बताया कि निविदा 12 मई को शाम 5.51 अपडेट किया गया जबकि बोली उसी तारीख को शाम 6.7 मिनट पर खोली गई। समय को देखते हुए ऐस लग रहा है कि इन टेडरों के लिए मुख्य अभियंता व अधीक्षण अभियंता कार्यालयों की अनुमति नही ली गई है। साथ ही इससे ऐसा प्रतीत होता है कर्मचारी काम लेने वाली कंपनी अमित इंजिनियरिंग कार्पोरेशन संपर्क में थे। इसमें टेंडर खोलने का समय भी संदेह के घेरे में ये सारे टेंडर काम के समय के घंटों से इतर दिए गए। टेंडर में बोली के लिए सिर्फ दो ही बोलीकर्ता शामिल किए गए जबकि नियमानुसार कम से कम तीन बोलीकर्ता होने चाहिए थे। 12 सौ लाख रुपये की परियोजना में केवल 15 लाख रुपये की योजना स्वीकृत किए गए हैं। सबसे बड़़ी बात चुनाव अयोग के अनुसार कोई भी टेंडर आचार संहिता के दौरान अगर लागू करना है तो आयोग की अनुमति जरूरी है। पर अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर टेंडर जारी कर आयोग के आदेशों की अवहेलना की है। अब शिकायतकर्ता ने इस मामले की जांच के लिए प्रबंध निदेशक पूर्वांचल विद्युत वितरण लिमिटेड को पत्र लिखा है। उन्होंने ने लिखा है कि कार्यकारी अभियंता वितरण मिर्जापुर कार्यालय ने 2.32 करोड़ की लागत के बदले 11.9659 करोड़ की अनुमानित लागत पर टेंडर मंगवाए। आचार संहिता के समय टेंडर आमंत्रित करने, खोलने व संबंधित अधिकारी की स्वीकृति के बिना सारे कार्य किए गए इन सबकी जांच होनी चाहिए। आरोप लगाया है कि उक्त टेंडर में अपने चहेते ठेकेदारों को ही लाभ पहुंचाया गया। उन्होने वरिष्ठï अधिकारियों से उक्त मामले की जांच करने व टेंडर को निरस्त करने की मांग की है।