धर्म के आगे भटक गए जनता के मूल मुद्दे!

4पीएम की परिचर्चा में प्रबुद्घजनों ने किया मंथन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा इन दिनों देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। ज्ञानवापी विवाद अब उसी राह पर है जिस पर अयोध्या का मामला 90 के दशक में चला था। सवाल ये है कि क्या मंदिर-मस्जिद का ये मुद्ïदा 2024 में भाजपा को फायदा दिला पाएगा? इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े, रंजीव, सैयद कासिम, राजनीतिक विश्लेषक नीरज झा, एजुकेशनलिस्ट शुभ लक्ष्मी और 4पीएम के संपादक संजय शर्मा ने एक लंबी परिचर्चा की।
रंजीव ने कहा, मूल मुद्दे पर बात नहीं हो रही है। आज देश जिस दौर में है, उस स्थिति पर बात क्यों नहीं हो रही है। धर्म के मुद्दे का राजनीतिकरण करना ठीक नहीं है। सैयद कासिम ने कहा, आज मीडिया का स्वरूप वह नहीं जो 35 साल पहले का था। अब सरकार की खबरों को प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है। अडानी अंबानी मीडिया हो गई, ये रहेंगे तो मूल मुद्ïदे तो भटकेंगे ही। अब सरकार को फायदा पहुंचाना ही मीडिया का मकसद है। इन्हीं सब वजहों से मुद्दे जनता के सामने नहीं आते। विपक्ष अपनी भूमिका का निर्वहन कैसे करे, उसकी सुनी ही नहीं जा रही है।
नीरज झा ने कहा, हेल्थ की जो स्थिति थी, वह कोरोना में सबने देखा। शिक्षा, स्वास्थ्य, महंगाई इन मुद्दे पर जब रिपोर्ट मांगेंगे तो देंगे क्या? इस कारण धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह करते रहो। भाजपा ने लोगों के मन में भर दिया है कि ज्ञानवापी मुद्दे पर बात करो, गंगा में जो लाशें मिली थी, उस पर नहीं। शुभ लक्ष्मी ने कहा, मंदिर-मस्जिद के नीचे शिवलिंग ही नहीं, हमारे मुद्दे ही दब गए हैं। इस कारण ही महंगाई बढ़ रही है। हमारी भावनाएं किसी चीज के साथ जुड़ जाती है तो हम खुद को कारण दे देते हैं। अभी इकोनामिक की स्थिति बहुत खराब है। जो अमीर है अमीर हो रहे हैं, जो गरीब है और गरीब हो रहे हैं। मिडिल क्लास का एक बड़ा तबका चोट खाए बैठा मगर करें तो क्या करें।
अशोक वानखेड़े ने कहा, बीजेपी 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव के लिए अलग से प्लान कर रही है। वर्तमान में देश के सामने भयावह स्थिति है, आज मोदी सत्ता में है, वे महंगाई के चलते लगातार विफल हो रहे हैं, समय आएगा तो पता चलेगा। वास्तविकता ये है कि इस देश का युवा परेशान है, मगर करें क्या।

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