फिर बाहर आया प्रो. आलोक राय का काला कारनामा
लविवि केतत्कालीन कुलपति को गए गुजरे कई महीने, आज भी परिसर में रह रहे परिजन, प्रशासन के मद से ही जा रहा किराया व अन्य खर्चे

सीएम योगी तक पहुंचा मामला कुलपति की नियुक्ति भी थी अवैध
प्रो. राय पर लगा था भ्रष्टाचार का आरोप, की थी गलत भर्तियां
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। विवादों में रहे लखनऊ विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. आलोक राय को यहां से गए काफी समय हो गया है। पर विश्वविद्यालय में उनकी हनक व धमक आज भी कायम है। उनकेजाने के बाद उनका परिवार आज विवि के परिसर में रह रहा है।
यही नहीं उनकी सेवा में विवि के कर्मचारी लगे हुए हैं। ऐसी भी चर्चा है कि इन सबको वेतन भी विवि से ही दिया जा रहा है। जबकि इस बाबत कई बार विरोध भी जताया जा चुका है। पर कुलाधिपति अर्थात राज्यपाल के इशारे पर कोई भी कार्यवाही विवि प्रशासन नहीं कर रहा है। जबकि इसकी शिकायत सीएम कार्यालय तक पहुंंच चुकी है।
आपको बता दें कि कई अनियमिताओं में शामिल होने के बाद भी प्रो राय को दो बार देश प्रतिष्ठित विवि का कुलपति बनाया गया है।
वर्तमान में प्रो. राय आईआईएम कोलकाता के निदेशक हैं
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय भारतीय प्रबंधन संस्थान कोलकाता के निदेशक हैं। उनकी नियुक्ति को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी है। ऐसा माना जाता है कि उनके नाम की सिफारिश संघ व वर्तमान सत्तादल के शीर्ष नेतृत्व ने की है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज के प्रोफेसर आलोक कुमार राय 30 दिसंबर 2019 को पहली बार लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति बने थे।

लूटा ने सीएम योगी को लिखा पत्र
उधर लविवि टीचर्स एसोशिएसन-लूटा के उपाध्यक्ष, डॉ. अरशद अली जाफऱी ने सीएम योगी आदित्य नाथ को प्रो आलोक राय के कार्यकाल में हुए गलत कामों की शिकायत भी भेजी थी। उन्होंने पत्र में लिखा था कि डॉ. राय ने बड़ी संख्या में अवैध नियुक्तियाँ और पदोन्नतियाँ की हैं जो विश्वविद्यालय के अधिनियम और संविधि के अनुरूप नहीं हैं। डॉ. आलोक कुमार राय ने एलयू में भ्रष्टाचार करके बहुत पैसा कमाया है। उन्होंने लखनऊ और अन्य शहरों में अपने और अपने रिश्तेदारों के नाम पर कई संपत्तियाँ खरीदी हैं। यह आय से अधिक संपत्ति का मामला है। वर्तमान में एलयू गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है और शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन बड़ी मुश्किल से दिया जा रहा है। अत: हम आपसे अनुरोध करते हैं कि डॉ. आलोक कुमार राय के लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से उनके कार्यकाल के दौरान हुई वित्तीय अनियमितताओं की उचित जाँच की जाए। बता दे डॉ. अरशद अली जाफऱी उपाध्यक्ष, लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के साथ-साथ सहायक प्राध्यापक, अरबी और फ़ारसी प्राच्य अध्ययन विभाग भी हैं।
राज्य विवि यूजीसी नियम मानने को बाध्य
सर्च कमेटी को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी भी कमजोर पात्रता मानदंड को निर्धारित करे, जो लागू यूजीसी विनियमों का कड़ाई से पालन नहीं करता हो। यूजीसी दिशानिर्देशों के विपरीत होने के कारण, अवैध मानी गई। यूजीसी विनियम, 2010 और यूजीसी विनियम, 2018 का पालन करने के लिए बाध्य हैं। योजना के कार्यान्वयन के लिए केंद्रीय सहायता का भुगतान इस शर्त के अधीन है कि राज्य सरकारें और विश्वविद्यालय यूजीसी के विनियमों और दिशानिर्देशों को बिना किसी संशोधन के लागू करेंगे। यहाँ तक कि राज्य सरकार ने भी अपने संकल्प में। 11-11-2009 को यूजीसी दिशानिर्देशों को लागू करने का निर्णय लिया था।
उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में अनदेखी
पिछले कुछ सालों से उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में अनदेखी की जा रही है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 3 मार्च, 2022 को गंभीरदन के. गढ़वी बनाम गुजरात राज्य के मामले में यह निर्णय दिया कि चूँकि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में है,इसलिए किसी भी विवाद की स्थिति में एक केंद्रीय कानून – इस मामले में, यूजीसी नियम – राज्य के कानून पर प्रभावी होगा। यूजीसी के 2018 के नियमों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कुलपति पद की पात्रता के लिए उम्मीदवार के पास प्रोफेसर के रूप में 10 वर्षों का अनुभव होना आवश्यक है। प्रो. शिरीष कुलकर्णी पहली बार 2016 में सरदार पटेल विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में शामिल हुए थे। उनकी नियुक्ति के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि उन्हें कुलपति पद से हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि वे केवल 8 वर्ष और 5 महीने की अवधि के लिए प्रोफेसर थे। गुजरात उच्च न्यायालय ने जुलाई 2018 में याचिका खारिज कर दी और कहा कि यूजीसी के नियमों को गुजरात द्वारा नहीं अपनाया गया है और इसलिए वे प्रतिवादी विश्वविद्यालय पर बाध्यकारी नहीं हैं। नियुक्ति के विरुद्ध उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें कहा गया था कि उन्हें कुलपति पद से हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि वे पिछले 8 वर्षों और पाँच महीनों से ही प्रोफेसर हैं। उप-कुलपति के रूप में सेवा करना प्रोफेसर के अनुभव के रूप में नहीं गिना गया। 7- 3 मार्च, 2022 को, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने गंभीरदान के. गढ़वी बनाम गुजरात राज्य के मामले में फैसला सुनाया कि कुलपति की नियुक्ति में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। इस फैसले ने सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शिरीष कुलकर्णी की नियुक्ति को रद्द कर दिया।यह फैसला सुनाया कि यूजीसी के मानदंड किसी भी परस्पर विरोधी राज्य कानून पर लागू होंगे।
मोदी-शाह ने चुराए वोट: राहुल गांधी
नेता प्रतिपक्ष ने बिहार में दूसरे चरण केमतदान से पहले किया प्रचार
बोले -अब बिहार में नहीं चलने देंगे चुनाव चोरी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में मतदाता धोखाधड़ी के नए आरोप लगाने के एक दिन बाद, लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बिहार में 121 सीटों पर पहले चरण के मतदान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री पर निशाना साधा। गांधी ने बुधवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिक्र करते हुए कहा कि वे जहाँ भी चुनाव लड़ रहे हैं, वोट चुराकर चुनाव जीत रहे हैं… कल हमने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि भाजपा और चुनाव आयोग ने हरियाणा चुनाव चुराया है, और उन्होंने बिहार में पिछला चुनाव भी चुराया था।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि इसलिए इस बार वोट चोरी नहीं होने दी जानी चाहिए। (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी और (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह, चुनाव आयोग, वोट चोरी में शामिल हैं। संविधान की रक्षा करना आपकी (मतदाताओं की) जिम्मेदारी है। हमें वोट चोरी नहीं होने देनी चाहिए। कांग्रेस सांसद ने अपने इस दावे को दोहराया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रिमोट से नियंत्रित कर रहे हैं और बिहार में सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों और अस्पतालों की स्थापना की आवश्यकता पर बल दिया।
कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि बिहार को फिर से प्रगति की आवश्यकता है। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय और अस्पताल बिहार में स्थापित होने चाहिए। बिहार को पर्यटन और उद्योग का वैश्विक केंद्र बनना चाहिए। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐसा नहीं कर सकते। नीतीश कुमार कुछ नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी रिमोट से नियंत्रित कर रहे हैं… नीतीश कुमार सरकार नहीं चला रहे हैं; इसे बिहार और दिल्ली के नौकरशाह, प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह चला रहे हैं।
सीईसी व दो निर्वाचन आयुक्त हैं मुख्य दोषी
राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि बिहार से ऐसी खबरें आ रही हैं जो ‘वोट चोरी’ के सबूतों को पुख्ता करती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस ‘‘लोकतंत्र की हत्या’’ के मुख्य दोषी मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और दो निर्वाचन आयुक्त हैं, जो ‘‘संविधान के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात’’ कर रहे हैं। गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि अन्य राज्यों के चुनावों में मतदान करने वाले कई भाजपा नेता और कार्यकर्ता बिहार में भी मतदान कर रहे हैं। गांधी ने आरोप लगाया, ‘‘और जान लीजिए, आपके लोकतंत्र की इस हत्या के मुख्य ज़िम्मेदार हैं: ज्ञानेश कुमार, सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी। ये निर्वाचन आयोग के शीर्ष अधिकारी हैं, लेकिन वे संविधान और लोकतंत्र के साथ सबसे बड़ा खिलवाड़ कर रहे हैं। जिन्हें बनाया गया था मताधिकार का पहरेदार, वही बन गए हैं आपके भविष्य की चोरी में साझेदार।
मतदाता सूची में हो रही हेराफेरी के बारे में जागरूकता आवश्यक
राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘भारत के मेरे युवा और ‘जेन जेड’ साथियों, कल ही मैंने सबूतों के साथ साबित किया था कि कैसे हरियाणा में वोट चोरी के ज़रिए सरकार चोरी की गई, और एक पूरे राज्य का जनमत छीन लिया गया। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, ‘‘कुछ दिनों पहले बिहार में मैंने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ भी की थी, ताकि जनता को एसआईआर के माध्यम से बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में हो रही हेराफेरी के बारे में जागरूक किया जा सके। आज, बिहार के कोने-कोने से आ रही खबरें और वीडियो वोट चोरी के सबूतों की कड़ी को और मज़बूत कर रहे हैं।’
आरएसएस-भाजपा ने कभी नहीं गाया वंदे मातरम: खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष का भाजपा पर करारा वार
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर इस गीत के 150 साल पूरे होने का जश्न मनाने और अपने कार्यालयों, शाखाओं, अपने ग्रंथों या साहित्य में इसे छूटने का आरोप लगाया, जबकि यह गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक लोकप्रिय नारा है। खडग़े के अनुसार, आरएसएस भारत के राष्ट्रीय गीत की बजाय संगीतमय प्रार्थना नमस्ते सदा वत्सले गाना पसंद करता है।
कांग्रेस पार्टी की परंपराओं से इसकी तुलना करते हुए, उन्होंने बताया कि 1986 से लेकर आज तक, कांग्रेस की हर बैठक, चाहे वह पूर्ण अधिवेशन हो या ब्लॉक स्तरीय बैठक, नेताओं ने वंदे मातरम गाया है। खरग़े ने गीत की 150 वीं वर्षगांठ पर जारी एक आधिकारिक बयान में कहा कि यह बहुत ही विडंबनापूर्ण है कि जो लोग आज राष्ट्रवाद के स्वयंभू संरक्षक होने का दावा करते हैं – आरएसएस और भाजपा, उन्होंने कभी भी अपनी शाखाओं या कार्यालयों में वंदे मातरम या हमारा राष्ट्रगान जन गण मन नहीं गाया। इसके बजाय, वे नमस्ते सदा वत्सले गाते रहते हैं, जो राष्ट्र का नहीं, बल्कि उनके संगठनों का महिमामंडन करने वाला गीत है। 1925 में अपनी स्थापना के बाद से, आरएसएस ने वंदे मातरम से परहेज किया है, इसके सार्वभौमिक सम्मान के बावजूद। इसके ग्रंथों या साहित्य में एक बार भी इस गीत का उल्लेख नहीं है।
खरगे की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में इस गीत की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में भाग लिया, जहाँ उन्होंने एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी बिहार के पटना में एक कार्यक्रम में शामिल हुए, जहाँ उन्होंने एक साल तक चलने वाले राष्ट्रव्यापी अभियान की घोषणा की। स्वतंत्रता संग्राम में संघ की भूमिका की आलोचना करते हुए, खडग़े ने कहा कि यह सर्वविदित तथ्य है कि आरएसएस ने अंग्रेजों का समर्थन किया, राष्ट्रीय ध्वज फहराने से इनकार किया, संविधान का दुरुपयोग किया और बाबा साहेब अंबेडकर के पुतले फूँके। खरगे के बयान में कहा गया है, यह सर्वविदित तथ्य है कि आरएसएस और संघ परिवार ने आंदोलन में भारतीयों के खिलाफ अंग्रेजों का समर्थन किया, 52 वर्षों तक राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया, भारत के संविधान का दुरुपयोग किया, बापू और बाबा साहेब अंबेडकर के पुतले फूँके और सरदार पटेल के शब्दों में, गांधीजी की हत्या में शामिल रहे।
दो डंपर की टक्कर में जिंदा जल गया चालक
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
भदोही। कोतवाली क्षेत्र के उगापुर नहर के पास शुक्रवार की सुबह दर्दनाक हादसा हुआ। दो डंपर की आपस में टक्कर हो गई। जिसमें एक डंपर के केबिन में आ लग गई। इससे उसमें फंसे चालक की जलकर मौत हो गई।
खलासी ने किसी तरह कूदकर जान बचाई। मृतक मिर्जापुर के बनकट गांव का निवासी था। घटना के बाद मौके पर पहुंचे दमकल ने किसी तरह आग को बुझाया। वहीं पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मृतक डंपर चालक की पहचान मिर्जापुर के बनकट गांव निवासी सुरेश यादव के रूप में हुई है। हादसे के बाद चालक के परिजनों को सूचना दी गई।
एअर इंडिया विमान हादसे में केंद्र को सुप्रीम नोटिस
पायलट के पिता की याचिका पर जवाब तलब
सुप्रीमा कोर्ट ने कहा- आपके बेटे पर कोई आरोप नहीं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। अहमदाबाद में एअर इंडिया विमान हादसे में मारे गए पायलट के पिता की स्वतंत्र जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और डीजीसीए से जवाब तलब किया है। वहीं इस मामले में कोर्ट ने मृत पायलट के पिता से साफ कहा कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में भी पायलट के खिलाफ कोई आरोप नहीं है।
कोर्ट ने पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल के 91 वर्षीय पिता से कहा कि उनके बेटे को हादसे के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है, और उन्हें खुद पर इसका बोझ नहीं लेना चाहिए।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय को नोटिस जारी किया है। पीठ ने कहा, आपको खुद पर बोझ नहीं लेना चाहिए। पायलट को इस हादसे के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है। यह एक दुर्घटना थी। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में भी उनके खिलाफ कोई संकेत नहीं है। पायलट के पिता पुष्कराज सभरवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने दलील दी कि एक अमेरिकी अखबार में प्रकाशित एक खबर में पायलट पर आरोप लगाने की कोशिश की गई थी। इस पर अदालत ने कहा, वह तो भारत को बदनाम करने वाली रिपोर्ट थी। अदालत ने 12 जुलाई को विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) की प्रारंभिक रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि उसमें कहीं भी पायलट को दोषी नहीं बताया गया है। रिपोर्ट में केवल दोनों पायलटों के बीच हुई बातचीत का जिक्र है। पीठ ने स्पष्ट किया, ‘एएआईबी का काम किसी को दोषी ठहराना नहीं बल्कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के उपाय सुझाना है। जरूरत पड़ी तो हम यह स्पष्ट कर देंगे कि पायलट को दोषी नहीं माना जा सकता।’ अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी।



