मोदी के इशारे पर चल रहा खेल, पुतिन की डिनर पार्टी में राहुल को न्योता नहीं, दुनिया के सामने नाक कटी!
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में आयोजित स्टेट डिनर को लेकर सियासत गरमा गई है... डिनर में विपक्ष के दो सबसे बड़े चेहरे राहुल गांधी...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा के आखिरी दिन राष्ट्रपति भवन में आयोजित स्टेट डिनर ने राजनीतिक घमासान मचा दिया है.. जहां एक तरफ भारत-रूस की दोस्ती को मजबूत करने वाले समझौतों पर चर्चा हो रही थी.. वहीं दूसरी तरफ विपक्ष के बड़े नेताओं लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी.. और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को इस डिनर में आमंत्रित न करने का मामला गरमा गया.. आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस के ही सांसद शशि थरूर को न्योता दिया गया.. जिस पर पार्टी के अंदर ही बवाल मच गया.. कांग्रेस ने इसे चुनिंदा निमंत्रण बताते हुए केंद्र सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया है.. वहीं सवाल उठ रहे हैं कि क्या राष्ट्रपति भवन भी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर चल रहा है.. वहीं यह विवाद न सिर्फ लोकतंत्र की परंपराओं पर सवाल खड़े कर रहा है.. बल्कि विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है..
आपको बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को नई दिल्ली पहुंचे.. यह उनकी 2021 के बाद पहली भारत यात्रा थी.. जो यूक्रेन युद्ध के बाद की सबसे महत्वपूर्ण यात्राओं में से एक मानी जा रही है.. प्रधानमंत्री मोदी ने खुद पलम एयरपोर्ट पर पुतिन का स्वागत किया.. और दोनों ने गले मिलकर बातचीत की.. पीएम ने पुतिन को भगवद्गीता का रूसी संस्करण भेंट किया.. जो दोनों देशों की सांस्कृतिक नजदीकी का प्रतीक था.. 5 दिसंबर को हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय बैठक हुई.. जहां 10 अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों और 15 से ज्यादा व्यावसायिक समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.. इनमें रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, परमाणु सहयोग और श्रमिक गतिशीलता जैसे मुद्दे शामिल थे.. जिसको लेकर पुतिन ने कहा कि भारत-रूस की साझेदारी अटल है.. हम शांति के पक्ष में हैं.. पीएम मोदी ने यूक्रेन संकट पर कहा कि भारत तटस्थ नहीं.. हम शांति के पक्ष में हैं..
लेकिन इस यात्रा का सबसे विवादास्पद हिस्सा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित स्टेट डिनर था.. बता दें 5 दिसंबर की शाम राष्ट्रपति भवन में यह भोज हुआ.. जहां पुतिन को औपचारिक स्वागत मिला.. यहां त्रि-सेवा गार्ड ऑफ ऑनर का सम्मान किया गया.. और विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख लोगों को बुलाया गया.. लेकिन विपक्ष के बड़े चेहरों को नजरअंदाज कर दिया गया.. कांग्रेस के स्रोतों के अनुसार, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को कोई निमंत्रण नहीं मिला.. इसके उलट कांग्रेस के ही सांसद शशि थरूर जो संसदीय विदेश मामलों की स्थायी समिति के चेयरमैन हैं.. उनको आमंत्रित किया गया.. थरूर ने खुद इंडियन एक्सप्रेस को पुष्टि की कि वे डिनर में शामिल होंगे..
राष्ट्रपति भवन के प्रोटोकॉल के अनुसार स्टेट डिनर में विदेशी मेहमान के सम्मान में देश के प्रमुख राजनीतिक नेताओं को बुलाना परंपरा रही है.. इसमें प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के अलावा लोकसभा और राज्यसभा के विपक्ष के नेता शामिल होते हैं.. लेकिन इस बार LoP को छोड़ दिया गया.. थरूर को बुलाने का कारण उनका पद बताया जा रहा है.. वे विदेश मामलों की समिति के चेयरमैन हैं.. और पुरानी परंपरा में ऐसे पदाधिकारियों को बुलाया जाता था.. थरूर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को कहा कि कई सालों से यह प्रथा बंद हो गई थी.. लेकिन अब फिर शुरू हुई लगती है.. मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं..
वहीं कांग्रेस ने इसे चालाकी बताया.. पार्टी के मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि जो निमंत्रण देते हैं.. वे सवाल उठाते हैं.. और जो स्वीकार करते हैं.. वे भी जांच के दायरे में हैं.. सबके पास अपनी अंतरात्मा है.. अगर हमारे नेता न बुलाए जाते और हम बुलाए जाते.. तो हम न जाते.. यह खेल समझना चाहिए कि कौन खेल रहा है.. जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया कि लोकसभा और राज्यसभा के LoP को पुतिन के सम्मान में डिनर के लिए आमंत्रित नहीं किया गया.. सलमान खुर्शीद ने कहा कि यह लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है.. विपक्ष को सम्मान मिलना चाहिए..
शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी तीखा प्रहार किया,, और उन्होंने कहा कि यह छोटी मानसिकता है.. राष्ट्रपति का पद किसी राजनीतिक पक्ष से जुड़ा नहीं होना चाहिए.. राष्ट्रपति मुर्मू को निष्पक्ष रहना चाहिए.. एक्स पर एक पोस्ट में लिखा गया कि राहुल-खड़गे को न बुलाना.. थरूर को बुलाना यह क्या संदेश है.. बता दें यह विवाद अचानक नहीं फूटा.. 4 दिसंबर को ही राहुल गांधी ने संसद भवन में पत्रकारों से कहा था कि मोदी सरकार विदेशी मेहमानों को LoP से मिलने से रोकती है… और उन्होंने कहा कि वाजपेयी और मनमोहन सिंह सरकारों में जो भी भारत आता, LoP से मिलता था.. लेकिन अब ऐसा नहीं ह रहा है.. विदेश यात्राओं पर भी सलाह दी जाती है कि LoP से न मिलें.. यह असुरक्षा है.. LoP दूसरा नजरिया देता है.. हम भी भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं.. लेकिन सरकार नहीं चाहती है.. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, राहुल ने कहा कि यह परंपरा तोड़ी जा रही है…
आपको बता दें कि प्रियंका गांधी ने भी कहा कि यह अजीब है.. प्रोटोकॉल उल्टा हो रहा है.. सरकार किसी की आवाज नहीं सुनना चाहती.. लोकतंत्र में सबकी राय होनी चाहिए.. यह उनकी असुरक्षा दिखाता है.. बता दें भारत में विदेशी मेहमानों के स्वागत की परंपरा मजबूत है.. स्वतंत्रता के बाद से स्टेट डिनर में विपक्ष को शामिल करना लोकतंत्र का प्रतीक माना जाता है.. 1998 में वाजपेयी सरकार में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दौरे पर LoP को बुलाया गया.. मनमोहन सिंह के समय भी ऐसा ही था.. थरूर ने खुद स्वीकार किया कि पुराने दिनों में LoP के अलावा विभिन्न दलों के प्रतिनिधि बुलाए जाते थे.. यह अच्छा संदेश देता था..
लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद यह प्रथा कमजोर पड़ी.. विपक्ष का आरोप है कि 2014 से LoP को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है.. द हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया कि यह डिनर प्रोटोकॉल विभाग.. और राष्ट्रपति भवन द्वारा तय होता है.. लेकिन राजनीतिक प्रभाव स्पष्ट है.. एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि यह डिनर सिर्फ भोजन नहीं, लोकतंत्र का आईना है.. LoP को न बुलाना शर्मनाक है.. थरूर का निमंत्रण स्वीकार करना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हुआ.. पार्टी के कई नेता उन्हें क्रॉसओवर मानते हैं.. जो अक्सर सरकार की तारीफ करते हैं.. पवन खेड़ा ने कहा कि थरूर को अपनी अंतरात्मा की आवाज सुननी चाहिए.. टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे कांग्रेस बनाम थरूर का नया दौर बताया.. थरूर ने बचाव में कहा कि यह विदेश नीति समिति के चेयरमैन के नाते है.. रूस से मेरा लंबा नाता है.. लेकिन मैं पार्टी लाइन से बाहर नहीं हूं..
वहीं विवाद का केंद्र राष्ट्रपति भवन है.. विपक्ष का कहना है कि राष्ट्रपति का पद संवैधानिक और निष्पक्ष होना चाहिए.. प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि राष्ट्रपति को द्विपक्षीय रहना चाहिए.. यह छोटी राजनीति है.. राहुल ने इशारा किया कि मोदी सरकार LoP को दबाने की कोशिश कर रही है.. सवाल उठा कि क्या राष्ट्रपति मुर्मू आदिवासी पृष्ठभूमि से हैं.. और विपक्ष को समर्थन देने का दावा करती हैं.. अब सरकार के दबाव में हैं.. जिसको लेकर संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि राष्ट्रपति भवन प्रोटोकॉल विभाग के साथ मिलकर निमंत्रण तय करता है.. लेकिन राजनीतिक सलाह ली जाती है.. न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि यह LoP के अपमान का मामला है..



