सदन में फिर बढ़ी सरकार और विपक्ष में तकरार

- सत्र का तीसरा दिन भी हंगामें की भेंट चढ़ा
- विपक्षी सांसद नारेबाजी करते हुए वेल में आए
- लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्षी सांसदों को लगाई फटकार
- नेता प्रतिपक्ष ने पीएम मोदी पर किया तीखा हमला
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के तीसरे दिन भी दोनों सदनों में हंगामा जारी रहा। हंगामे को बढ़ता देखकर राज्यसभा व लोकसभा को दो बजे तक स्थगित कर दी गई। बता दे बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभ्यास पर चर्चा की विपक्ष की मांग और लोकसभा व राज्यसभा में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अप्रत्याशित इस्तीफे पर राजनीतिक गतिरोध के बीच, सरकार ने आज के एजेंडे में छह विधेयक सूचीबद्ध किए हैं।
इन छह विधेयकों में राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025, जिसका उद्देश्य \ खेलों को बढ़ावा देना और खिलाडिय़ों के लिए सुविधाएँ व कल्याणकारी उपाय प्रदान करना है, और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, 2025 शामिल हैं। लेकिन संसद में विपक्ष के हंगामे के कारण कार्य नहीं हो पा रहा है। किसी भी तरह की कोई बहस नहीं हो पा रही है। संसद के अंदर और बाहर विपक्ष लगातार नारेबाजी कर रहा है।
ट्रंप कौन होते हैं सीजफायर कराने वाले, पीएम जवाब दें : राहुल
संसद में मानसून सत्र में हिस्सा लेकर बाहर निकले राहुल गांधी ने बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर पर केंद्र सरकार से सवाल पूछे। राहुल ने कहा- सरकार कहती है ऑपरेशन सिंदूर चालू है, जबकि डोनाल्ड ट्रम्प बंद कराने का दावा कर चुके हैं। ट्रम्प ने 25 बार बोला कि उन्होंने सीजफायर कराया। वो कौन होतें है बोलने वाला, ये उनका काम थोड़ी है। लेकिन पीएम ने इस पर एक जवाब नहीं दिया। ऐसा लगता है दाल में कुछ काला है। यह सच्चाई है, आप इससे भाग नहीं सकते। सांसद राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री बयान कैसे दे सकते हैं? क्या वह कहेंगे कि संघर्ष विराम ट्रंप ने कराया? नहीं, वह ऐसा नहीं कहेंगे। यह हकीकत है कि ट्रंप ने संघर्ष विराम कराया है यह सिर्फ संघर्ष विराम की बात नहीं है, हम रक्षा उद्योग, ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करना चाहते हैं।
‘मोदी सरकार ने हमारी विदेश नीति की धज्जियां उड़ा दी’
किसी देश ने हमारी विदेश नीति का समर्थन नहीं किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने हमारी विदेश नीति की धज्जियां उड़ा दीं।
सड़कों का आचरण संसद में कर रहा है विपक्ष : बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में तख्तियां लेकर प्रदर्शन करने वाले सांसदों पर निर्णायक कार्रवाई की चेतावनी देते हुए बुधवार को नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों से कहा कि वे सड़कों का आचरण संसद के भीतर कर रहे हैं, जबकि वो ‘माननीय’ हैं और उनका व्यवहार ‘माननीय’ जैसा ही होना चाहिए। संसद के मानसून सत्र के तीसरे दिन निचले सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही विपक्षी दलों के सदस्य पहले दो दिन की तरह ही हंगामा करने लगे। विपक्षी सांसदों ने आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी की और तख्तियां लहराईं, जिन पर एसआईआर विरोधी नारे लिखे हुए थे। उन्होंने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कवायद, पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर को रोकने और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता संबंधी दावों समेत कुछ विषयों पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा किया। लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों ने अपने स्थान पर जाने और सदन चलने देने की अपील की। उन्होंने विपक्षी सदस्यों से कहा, ”संसद लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था है। आपसे मेरा आग्रह रहता है कि संसद और संसद परिसर के अंदर आपका व्यवहार, आचरण और कार्यपद्धति मर्यादित होनी चाहिए। देश की जनता ने आप लोगों को अपनी आवाज, कठिनाई, चुनौतियों, देश से जुड़ें मुद्दों और नीतियों पर चर्चा के लिए भेजा है।” उन्होंने कहा, ”आप सड़कों का आचरण-व्यवहार संसद में कर रहे हैं। देश यह देख रहा है। आप जिन राजनीतिक दलों से हैं, उनके नेताओं से भी कहना चाहता हूं कि देश उनके सदस्यों के आचरण और कार्यपद्धति को देख रहा है।”
सत्तापक्ष पार्टी बनी चुनाव आयोग की प्रवक्ता : झा
उधर, दिल्ली में संसद के बाहर मीडिया से बात करते हुए राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि हमें जो कहना है, वो यहां कह रहे हैं और कोर्ट में भी कहेंगे। जब किसी पार्टी के इशारे पर ऐसा किया जाएगा तो लोकतंत्र लहूलुहान होगा, क्या सत्तापक्ष पार्टी चुनाव आयोग की प्रवक्ता बन गई है?
राज्यसभा में भी रार
वहीं विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण बुधवार को राज्यसभा की बैठक शुरु होने के कुछ ही देर बाद दोपहर बारह बजे तक स्थगित कर दी गई। हंगामे की वजह से सदन में शून्यकाल नहीं हो पाया। उच्च सदन की बैठक शुरु होने पर उपसभापति हरिवंश ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने सूचित किया कि नियत कामकाज स्थगित कर विभिन्न मुद््दों पर चर्चा करने के लिए उन्हें नियम 267 के तहत 25 नोटिस मिले हैं।
संसद के न चलने से सबसे ज्यादा फायदा सरकार को होता है : डेरेक ओब्रायन
विपक्ष के इस व्यवहार पर उठ रहे सवालों के बीच तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने बुधवार को कहा कि जब संसद नहीं चलती है तो सबसे ज्यादा फायदा सरकार को होता है। सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य ने कहा कि मानसून सत्र के दो दिन ”बेकार” चले गए और इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। ओ’ब्रायन ने कहा, ”केंद्र सरकार ने संसद के दो दिन व्यर्थ गंवा दिए। जब संसद नहीं चलती है, तो फायदा किसे होता है? सत्ता में बैठी सरकार को। सरकार संसद के प्रति जवाबदेह होती है, संसद जनता के प्रति जवाबदेह होती है। जब संसद काम नहीं करती है तो सरकार किसी के प्रति जवाबदेह नहीं होती। उन्होंने बताया कि मानसून सत्र का कुल समय 190 घंटे का है जिसमें से लगभग 70 प्रतिशत सरकारी कामकाज के लिए है। ओ’ब्रायन ने कहा कि प्रश्नकाल के लगभग आधे प्रश्न और शून्यकाल के आधे नोटिस विपक्षी सांसदों द्वारा दायर किए जाते हैं, जिससे विपक्षी सदस्यों के पास सार्वजनिक महत्व के प्रश्न और मुद्दे उठाने के लिए कुल 31 घंटे का समय होता है। तृणमूल कांग्रेस के नेता ने कहा कि केंद्र सरकार को कुल 190 घंटों में से 135 घंटे सरकारी कामकाज और अन्य मुद्दों के लिए मिलते हैं जो उनके अनुसार कुल समय का लगभग 70 प्रतिशत है। उन्होंने सुझाव दिया, ”सरकार के लिए उपलब्ध घंटों में कटौती करना उचित है। विपक्ष को कुछ और समय दिया जाना चाहिए।




