चुनाव से पहले हल हो निषाद आरक्षण का मुद्ïदा : संजय निषाद
- बीजेपी पर साधा निशाना, कहा रैली में मायूस हुए कार्यकर्ता
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्ïदेनजर भारतीय जनता पार्टी ने निषाद पार्टी के साथ लखनऊ में 17 दिसंबर को संयुक्त रैली की थी। इस रैली में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद मौजूद रहे थे। बीजेपी-निषाद पार्टी की संयुक्त रैली में निषादों को आरक्षण न देने की घोषणा से लाखों कार्यकर्ता मासूस हो गए हैं। इस बीच पार्टी अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने निषाद आरक्षण को लेकर भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त को चि_ी लिखा है।
संजय निषाद ने कहा कि जो रैली में हुआ वो नहीं होना चाहिए था, क्योंकि लोग बड़ी उम्मीद के साथ लोग रैली में आए थे। सदियों से इनकी मांग है, संविधान में मझवार और तुरैया लिखा है। वहीं पिछली सरकारों ने गोलमाल करके उनके सरनेम को पिछड़े में डाल दिया था। संजय निषाद ने आगे कहा, निषाद समाज आरक्षण को लेकर घोषणा चाहते थे, लेकिन लाखों की संख्या में कार्यकर्ताओं को मायूस होना पड़ा। उन्होंने कहा यूपी चुनाव से पहले मुद्दा हल हो जाना चाहिए।
दरअसल, 1961 में जनगणना के लिए केंद्र सरकार ने एक मैनुअल सभी राज्य सरकारों को भेजा था, जिसमें कहा गया था कि केवट, मल्लाह जाति को मझवार में गिना जाए। इस संबंध में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को कुछ जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की अधिसूचना भेजी थी। ऐसे में पिछले 70 सालों में निषादों को कभी एससी में शामिल किया गया, तो कभी पिछड़ा वर्ग में गिना गया।
लड़ने के लिए मांगी दो दर्जन सीटें
संजय निषाद ने कहा कि 2022 चुनाव में हमारी पार्टी को दो दर्जन सीटें हमें लड़ने के लिए चाहिए। बता दें कि उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में निषाद समाज ओबीसी की श्रेणी में आते हैं जबकि दिल्ली और दूसरे राज्य में अनुसूचित जाति में शामिल हैं। ऐसे में लंबे समय से निषाद समाज को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल कराने की मांग उठ रही है।