बिहार में इतने लाख वोटर्स का कटेगा नाम, चुनाव से पहले SIR में बड़ा खुलासा

चुनाव आयोग ने बताया कि अब तक 99.86% गणना फॉर्म प्राप्त किए जा चुके हैं, और इस प्रक्रिया के आधार पर 1 अगस्त को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले चलाए गए विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण यानी SIR अभियान के तहत 64 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। चुनाव आयोग यानी ECI द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, हटाए गए नामों में मृत, स्थानांतरित और दोहरा पंजीकरण रखने वाले मतदाता शमिल हैं।

चुनाव आयोग ने बताया कि अब तक 99.86% गणना फॉर्म प्राप्त किए जा चुके हैं, और इस प्रक्रिया के आधार पर 1 अगस्त को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। इस सूची पर आम जनता दावे और आपत्तियां दर्ज कर सकेगी, जिससे अंतिम सूची को अधिक सटीक बनाया जा सके। SIR अभियान के दौरान, आयोग ने लगभग 22 लाख मृत मतदाताओं की पहचान की है। इसके अलावा लाखों मतदाता ऐसे पाए गए जो राज्य से बाहर स्थानांतरित हो चुके हैं या जिनके नाम दोहराए गए थे।

हालांकि, इस अभियान को लेकर विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई है। विपक्ष ने चुनाव आयोग और राज्य सरकार पर मतदाता सूची से नाम काटने के जरिए धांधली की कोशिश करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया जनमत को प्रभावित करने की एक साजिश हो सकती है, खासकर जब राज्य में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।

चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह एक नियमित और निष्पक्ष प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन और विश्वसनीय बनाना है। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को आंकड़ा जारी करते हुए कहा कि चुनाव सुधार कार्यक्रम के तहत बिहार में कराए गए एसआईआर में 99.86 फीसदी मतदाताओं के गणना फार्म प्राप्त हो गए हैं. आयोग ने कहा है कि 7.23 करोड़ मतदाताओं के फॉर्म प्राप्त और डिजिटल किए जा चुके हैं. इन सभी मतदाताओं के नाम 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाले ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल किए जाएंगे. शेष मतदाताओं के फॉर्म का डिजिटलीकरण, बीएलओ रिपोर्ट के साथ, 1 अगस्त, 2025 तक पूरा हो जाएगा.

डेडलाइन खत्म 64 लाख नाम कटना तय
भारत के निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि चुनाव में सुचिता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिएबिहार में कराए गए एसआईआर में कुल 7,89,69,844 में से 7.23 करोड़ मतदाताओं का गणना फार्म वापस मिल चुका है, जो कि 99.8 फीसदी है. गणना फार्म जमा करने की अंतिम तारीख 25 जुलाई को खत्म हो गई.

आयोग ने कहा है कि इस अभियान में बिहार में 24 जून, 2025 से, स्थानीय बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) और राजनीतिक दलों की तरफ से नियुक्त बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में लगभग 22 लाख ऐसे मतदाताओं के नाम मिले हैं, जिनकी पहले ही मौत हो चुकी है.

इसके साथ ही कहा है कि राज्य में लगभग 35 लाख मतदाता या तो स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं या उनका पता नहीं लगाया जा सका है. जबकि लगभग 7 लाख मतदाता एक से अधिक स्थानों पर मतदाता के रूप में पंजीकृत पाए गए हैं. आयोग ने कहा है कि लगभग 1.2 लाख मतदाताओं के गणना प्रपत्र अभी प्राप्त होने बाकी हैं.

नाम जुड़वाने का अभी भी है मौका
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि जिन मतदाताओं ने गणना फॉर्म नहीं भरे हैं या जिनकी मृत्यु हो गई है, जो स्थायी रूप से पलायन कर गए हैं. उनकी सूची 20 जुलाई को सभी 12 प्रमुख राजनीतिक दलों जैसे राजद, बसपा, भाजपा, जदयू, कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (लिबरेशन), राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), नेशनल पीपुल्स पार्टी, आम आदमी पार्टी ताकि अगस्त में प्रकाशित होने वाले मसौदा मतदाता सूची में किसी भी त्रुटि को सुधारा जा सके.

आयोग ने कहा है कि एसआईआर के आदेश के अनुसार, 1 अगस्त से 1 सितंबर तक, कोई भी मतदाता या राजनीतिक दल निर्धारित प्रपत्र भरकर किसी भी छूटे हुए पात्र मतदाता के लिए ईआरओ को दावा प्रस्तुत कर सकता है. किसी भी अयोग्य मतदाता को हटाने के लिए आपत्ति दर्ज करा सकता है.

SIR पूरा करने में इनका रहा सहयोग
निर्वाचन आयोग ने कहा कि SIR का पहला चरण पूरा हो चुका है. इसको संपन्न बनाने का श्रेय कई लोगों को जाता है. इनमें बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, 38 जिला निर्वाचन अधिकारियों, 243 ईआरओ, 2,976 एईआरओ, 77,895 मतदान केंद्रों पर तैनात बीएलओ, स्वयंसेवकों और सभी 12 राजनीतिक दलों, उनके 38 जिला अध्यक्षों और उनकी तरफ से नामित 1.60 लाख बीएलए शामिल हैं.

Related Articles

Back to top button