‘फिक्स तनख्वाह की पॉलिसी गुजरात के गौरव और अस्मिता पर लांछन लगाती है’
2005 की साल से गुजरात मे भाजपा सरकार ने फीक्स तनख्वाह की पोलीसी लागु की हुई है। जीस मे शिक्षा से ले कर पूलिस विभाग तक मे अगर आप को नौकरी मीलती है तो प्रथम पांच वर्ष तक आप सहायक की पोस्ट पर ही काम करेंगे। आप को अपने घर मे 100 से भी ज्यादा कीलोमीटर दूर जा कर बहुंत ही कम तनख्वाह मे पांच साल तक नौकरी करनी होगी।
इस दौरान आप को सरकारी नौकरी के वह सब बेनीफीट नहीं मीलेंगे जो की मीलने चाहीये. पांच साल के बाद भी आप की नौकरी का पक्का होना तय नहीं होता. बीच मे महिनो तक तनख्वाह भी नहीं मीलती। पूलीस सब ईन्सपेक्टर जो की कीसी को गीरफतार करने का पावर रखता है वो भी प्रथम पांच वर्ष तक साडे सात हजार रूपयो मे ही काम कर रहा था गुजरात मे, बहूंत विरोध के बाद सभी वर्ग की तनख्वाह बढाई तो गई लेकिन आज भी गुजरात में सरकारी नौकरी करने की प्रथम शर्त यै हे की पांच साल तक बीना कीसी सरकारी लाभ के काम करना होगा।
गुजरात सरकारी कर्मचारी महामंंडल ने ईसी बारे मे सरकार से चार पन्नो को पत्र लीख कर कहा है की फीक्स तनख्वाह की निती से गुजरात का गौरव ओर अस्मिता दोनो को लांछन लग रहा है इतना ही नही गुजरात के युवाओ के साथ अन्याय भी हो रहा है. इस लीये इस पोलीसी को निरस्त कर दीया जाये।