सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण से पूछा, क्या भारत अभी भी एक गरीब देश का टैग ढो रहा है?

प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार के आंकड़ों के अनुसार, देश में गरीबी में कोई खास सुधार नहीं हुआ है, बल्कि कुछ रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि गरीबी बढ़ी है।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण से सवाल किया कि क्या भारत अब भी एक गरीब देश की पहचान के साथ जी रहा है। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उस समय की जब प्रशांत भूषण ने अपने तर्क में कहा कि भारत में वर्ष 2011 से गरीबी का स्तर बढ़ा है।

एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण से सवाल किया कि क्या भारत अब भी एक गरीब देश की पहचान के साथ जी रहा है। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उस समय की जब प्रशांत भूषण ने अपने तर्क में कहा कि भारत में वर्ष 2011 से गरीबी का स्तर बढ़ा है।

एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार के आंकड़ों के अनुसार, देश में गरीबी में कोई खास सुधार नहीं हुआ है, बल्कि कुछ रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि गरीबी बढ़ी है। इस पर बेंच ने सवाल उठाते हुए कहा,
“क्या भारत अब भी एक गरीब देश का टैग ढो रहा है?” न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत ने हाल के वर्षों में आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में कई प्रगति की है, ऐसे में “गरीब देश” की छवि कितनी सटीक है, यह सवाल उठता है।

सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा ‘भूषण जी, 2011 से अब हम 2025 में हैं. क्या हम अभी भी गरीब का टैग ढो रहे हैं?. क्या हम अभी भी इस धारणा पर कायम हैं कि इस देश ने प्रगति नहीं की है?. हमें जो बात परेशान कर रही है वह यह है कि 2011 में 70% लोग गरीब थे, और अब यह बढ़कर शायद 80% हो गए है?’. इस पर प्रशांत भूषण ने जवाब दिया कि यह उनका दावा नहीं है, बल्कि पूर्व मुख्य अर्थशास्त्रियों ने भी सार्वजनिक रूप स कहा है कि देश में गरीबी बढ़ रही है.

कोर्ट के निर्दशों का किया जा रहा पालन’
यह बातचीत तब हुई जब सुप्रीम कोर्ट कोविड-19 महामारी लॉकडाउन के दौरान प्रवासियों के कल्याण के लिए 2020 में शुरू की गई एक स्वप्रेरणा याचिका पर सुनवाई कर रहा था. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुईं और उन्होंने तर्क दिया कि शीर्ष अदालत द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन किया गया है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि प्रवासी श्रमिकों के लिए बनाई गई कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की गई हैं जो अब भी चालू हैं.

‘योजनाओं में अब भी कई खामियां बनी हुई हैं’
वहीं भूषण ने कहा कि इन योजनाओं में अब भी कई खामियां बनी हुई हैं, और कई समस्याएं पहले की तरह ही अब भी हैं. प्रवासियों के लिए कल्याण योजना में कई मुद्दे हैं. हालांकि अदालत ने कहा कि मामले की सुनवाई अगली तारीख पर की जाएगी क्योंकि लंच के बाद के सत्र में विशेष पीठ का मामला है. कोर्ट ने कहा कि अगली तारीख पर इस मामले की सुनवाई व्यापक रूप से की जाएगी.

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