सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग पर खड़े कर दिये गंभीर सवाल
- आखिरकार शीर्ष न्यायालय ने क्यों कहा- देश को टीएन शेषन जैसे चुनाव आयुक्त की जरूरत
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। गुजरात चुनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग पर गंभीर संवाल खड़े कर दिए। चुनाव आयोग की शक्तियों की बात करते हुए शीर्ष अदालत ने देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त रहे टीएन शेषन की याद दिला दी। एक मामले पर जिरह के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में कई मुख्य चुनाव आयुक्त हुए हैं, लेकिन टीएन शेषन कभी-कभार ही होते हैं। हम नहीं चाहते हैं कि उसे कोई उसे दबाए। शीर्ष अदालत की इस टिप्पणी से देश का सियासी पारा गर्म हो गया है कि क्या वाकई चुनाव आयोग को सुधार करना चाहिए।
चुनाव आयोग आखिर किसके दबाव में काम कर रहा है। हिमाचल जैसे छोटे राज्य में चुनाव हो जाने के बाद उसके नतीजे क्यों नहीं जारी किए जा रहे, परिणाम गुजरात चुनाव के साथ ही क्यों। इससे पहले भी कई बार राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए, मगर उनकी एक न सुनी गईं। अब जब शीर्ष अदालत ने सवाल खड़े किए तो देशभर में बहस छिड़ गई कि चुनाव आयोग किसके शह पर काम कर रहा है। विपक्ष ने इस मसले पर घेरते हुए कहा कि हम लोग पहले से ही कह रहे कि चुनाव आयोग मोदी सरकार व बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है। हमारी कोई सुन नहीं रहा था, आज सुप्रीमकोर्ट ने स्पष्टï कर दिया कि जमीन पर स्थिति चिंताजनक है। गौरतलब है कि बता दें कि टीएन शेषन तमिलनाडु कैडर से 1955 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के ऑफिसर थे। टी. शेषन ने भारत के 18वें कैबिनेट सचिव के रूप में 27 मार्च 1989 से 23 दिसंबर 1989 तक सेवा दी। वो 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर 1996 को भारत के मुख्य चुनाव बने और 11 दिसंबर 1996 तक इस पद पर रहे। उनका निधन 10 नवंबर, 2019 को हो गया था। बता दें कि लोग चर्र्चा कर रहे हैं कि पिछले साल असम, बंगाल, केरल और तमिलनाडु में एक साथ चुनाव संपन्न हुए। मगर इस बार गुजरात हिमांचल के चुनाव एक साथ क्यों नहीं। परंपरा क्यों तोड़ दी। तिथियां अलग क्यों घोषित की गई। इसका कोई जवाब देना वाला नहीं है।
जानिए! क्या कहा है सुप्रीमकोर्ट ने
चुनाव आयोग के कामकाज में पारदर्शिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत के पांच जजों के संविधान पीठ ने केंद्र से पूछा कि 2007 के बाद से सभी मुख्य चुनाव आयुक्तों के कार्यकाल कम क्यों रहे हैं। कार्यकाल में कटौती क्यों की गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने ये यूपीए के तहत और वर्तमान सरकार के तहत भी देखा है। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार शामिल हैं। संविधान पीठ ने कहा कि लोकतंत्र संविधान का मूल ढांचा है। उस पर कोई बहस नहीं है। हम भी संसद को कुछ करने के लिए नहीं कह सकते हैं और हम ऐसा नहीं करेंगे। हम सिर्फ उस मुद्दे पर कुछ करना चाहते हैं जो 1990 से उठाया जा रहा है। जमीनी स्तर पर स्थिति चिंताजनक है।
चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति में संसद को सुधार लाने की जरूरत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति में संसद को सुधार लाने की जरूरत है। क्योंकि ये चुनाव आयोग के कामकाज को प्रभावित करता है। कोर्ट ने कहा कि इससे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता भी प्रभावित होती है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि 1991 के अधिनियम के तहत पद धारण करने वाले मुख्य निर्वाचन अधिकारी का कार्यकाल छह साल का है। फिर उनका कार्यकाल कम क्यों रहता है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि संविधान ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्तों के ‘नाजुक कंधों’ पर बहुत जिम्मेदारियां सौंपी हैं और मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर टीएन शेषन की तरह के सुदृढ़ चरित्र वाले व्यक्ति की जरूरत है।
यूपी चुनाव में सपा का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला था कि सत्तापक्ष चुनाव में गड़बड़ी कर रहा है। लेकिन वहां हमारी एक भी शिकायतें नहीं सुनी गईं और न ही कोई कार्रवाई की गई। शीर्ष अदालत की टिप्पणी विपक्ष के लिए शुभ संकेत है।
डॉ. आशुतोष, सपा नेताचुनाव आयोग पर टिप्पणी करना वाजिब नहीं है। मगर शीर्ष अदालत ने जब से देश को टीएन शेषन जैसे चुनाव आयुक्त की जरूरत बताई है। सवाल खड़े होना लाजिमी है। आयोग को इस टिप्पणी पर मंथन करना चाहिए।
अनिल दुबे, राष्टï्रीय सचिव, आरएलडीलोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब निष्पक्ष चुनाव होता है। आयोग पर शीर्ष अदालत ने जो टिप्पणी की है, इस पर लंबी बहस होनी चाहिए। विपक्ष यूं ही भाजपा सरकार पर सवाल नहीं उठाता।
दिजेंद्र राम त्रिपाठी, प्रवक्ता कांग्रेस
बसपा सरकार में हुए कार्य भाजपा और सपा से बेहतर: मायावती
- पूंजी निवेश के लिए सरकार का प्रयास चुनावी स्वार्थ
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। बसपा की राष्टï्रीय अध्यक्ष मायावती ने सपा और भाजपा पर हमला बोला है। कहा कि उनकी सरकार में गरीबों के लिए कई योजनाएं लाई गई। लोगों को रोजगार दिए। मगर बीजेपी ऐसा कुछ नहीं कर रही। मायावती ने कहा कि यूपी में देसी व विदेशी पूंजी निवेश के लिए सरकार का अनवरत प्रयास जरूरी है किन्तु यह केवल खेती भूमि अधिग्रहण तथा चुनावी स्वार्थ तक ही सीमित नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यूपी की समग्र प्रगति विकास व लोगों की रोजी रोटी के साथ उनकी सुरक्षा व आत्म सम्मान के लिए बसपा ने खास काम किया था। यमुना के साथ गंगा एक्सप्रेसवे जेवर एयरपोर्ट भी तब ही बन जाता अगर केंद्र की कांग्रेस सरकार ने सहयोग दिया होता। भाजपा सरकार ने भी ऐसी कोई प्रगति क्यों नहीं दिखाई है।
बीजेपी पहले डर फैलाती है फिर हिंसा: राहुल गांधी
- कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष बोले- हिंदुस्तान में किसी को डरने की जरूरत नहीं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश में प्रवेश कर चुकी है। यात्रा का पहला पड़ाव बुरहानपुर जिले का बोदरली गांव रहा। यहां कार्यकर्ताओं ने राहुल का आरती उतारकर स्वागत किया गया। बंजारा लोक नृत्य कलाकार रीना नरेंद्र पवार ने उनके स्वागत में लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। एमपी में अपने पहले भाषण में ही उन्होंने भाजपा पर हमला बोला। कहा- बीजेपी पहले डर फैलाती है फिर हिंसा। हिंदुस्तान में किसी को डरने की जरूरत नहीं है।
राहुल ने कहा कि अगर आपको डॉक्टर बनना है तो मोटी फीस देनी होगी। ऐसे में फीस नहीं चुका पाएंगे तो डॉक्टर की जगह पर मजदूर बनेंगे। बेरोजगारी का हिंदुस्तान हम नहीं चाहते। इस हिंदुस्तान में तीन-चार अरबपति जो सपना देखते हैं, वो पूरा कर पाते हैं। पूरी इंडस्ट्री उनके हाथ में। एयरपोर्ट, कंपनी, रेलवे सब उनके हाथ में। ऐसा हिंदुस्तान हमें नहीं चाहिए। गरीबों का न्याय चाहिए।
जयराम बोले- दिग्विजय सबसे युवा भारत यात्री
भारत जोड़ो यात्रा के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने बताया कि यात्रा अब तक 32 जिलों से गुजर चुकी है। देश का ध्यान सिर्फ राहुल गांधी पर है। 120 यात्री और राहुल गांधी के साथ चल रहे हैं। इन 120 में से करीब एक तिहाई महिलाएं हैं। इनकी औसत आयु इनकी साल है। मध्यप्रदेश के 11 यात्री हैं। इनमें से 4 महिलाएं। सबसे युवा और सबसे सक्रिय भारत यात्री दिग्विजय सिंह हैं।