महिला आरक्षण बिल को लेकर क्रेडिट लेने की मची होड़, सोनिया गांधी ने कहा- यह बिल हमारा
नई दिल्ली। महिला आरक्षण विधेयक को मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इसके बाद इसे माना जा रहा है कि संसद के इस विशेष सत्र में इसे पेश किया जा सकता है। लेकिन अब इसको लेकर क्रेडिट लेने की हो मच गई है। साथ ही साथ विपक्ष सवाल उठा रहा है कि चुनाव में कुछ समय बाकी रह गया है, तब इसे क्यों लाया गया। सोनिया गांधी ने मंगलवार को कहा कि महिला आरक्षण विधेयक ”हमारा है”। कांग्रेस ने कहा कि वह इस कथित कदम का स्वागत करती है क्योंकि पार्टी लंबे समय से यह मांग उठाती रही है। मंगलवार को जब वह संसद में प्रवेश कर रही थीं तो बिल के बारे में पूछे जाने पर सोनिया गांधी ने कहा, यह हमारा है, अपना है। एक दिन पहले एक्स पर एक पोस्ट में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, हम केंद्रीय मंत्रिमंडल के कथित फैसले का स्वागत करते हैं और विधेयक के विवरण का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में इस पर बहुत अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी और गोपनीयता के पर्दे के तहत काम करने के बजाय आम सहमति बनाई जा सकती थी।
महिला आरक्षण बिल पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम चाहते हैं कि महिला आरक्षण बिल जल्द से जल्द लाया जाए और पारित किया जाए। महिला आरक्षण बिल की शुरुआत यूपीए और खासकर मैडम सोनिया गांधी ने की थी। इसमें इतना समय लग गया, लेकिन अगर इसे पेश किया जाए तो हमें खुशी होगी। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का 2008 से यह(महिला आरक्षण बिल) मुद्दा रहा है। 2014 में भाजपा सरकार आई, हम हर वर्ष कहते थे महिला आरक्षण बिल कब लागू होगा। ये 10 साल भूल गए थे अब 2024 में चुनाव है और इन्हें इसकी याद आई है। जिस मुफ्त की रेवड़ी की यह बात कर रहे हैं ये वही कर रहे हैं… हम तो चाहते हैं कि महिला आरक्षण बिल लागू हो। 2014 में इन्होंने बिल पास क्यों नहीं किया? हम तो महिला आरक्षण बिल पास होने के पक्ष में थे।
कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि ये कांग्रेस का बिल है। ये कांग्रेस लेकर आई थी। मार्च 2010 में ये राज्यसभा से पास हो गया। बीजेपी को सत्ता में आए 9.5 साल हो गए। उन्होंने ऐसा क्यों सोचा चुनाव से ठीक पहले महिला आरक्षण विधेयक का? आप सत्ता पाना चाहते हैं लेकिन अगर विधेयक सदन के सामने आता है तो हम उसका स्वागत करेंगे। टीएमसी सांसद डोला सेन का ने कहा कि यह चुनाव की मजबूरी है, और कुछ नहीं। चुनाव आ रहे हैं, उन्होंने पिछले 9.5 साल में कुछ नहीं किया…अगर वे महिला आरक्षण बिल लाएंगे तो हम इसका समर्थन करेंगे… देर आये दुरुस्त आये। आप सांसद सुशील गुप्ता कहते हैं, ”एक दशक से यह बिल राज्यसभा से पारित होने के बाद लंबित था। इसे लगभग दस साल पहले पारित हो जाना चाहिए था जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी. इसके लिए एक विशेष सत्र बुलाना पड़ा.” देर आए दुरुस्त आए, ऐसा होना चाहिए। महिलाओं को उनका हक मिलना चाहिए…आप हमेशा महिलाओं के बेहतर प्रतिनिधित्व के समर्थन में है…इसमें कोई शक नहीं कि यह बिल कांग्रेस सरकार के दौरान राज्यसभा में पास हो गया था। लेकिन ऐसा हो सकता है लोकसभा में पारित नहीं हुआ। उस समय के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों दोषी हैं।