सिद्धि-सदन, गज बदन, विनायक…
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
भगवान गणेश को सभी संकटों को हरने वाला और सभी बाधाओं को दूर करने वाला देवता माना गया है। भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हर साल गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेशजी को समर्पित होता है। इस दिन घर-घर में गणेशजी बैठाए जाते हैं। घरों के अलावा जगह-जगह पर पंडाल सजाए जाते हैं। इसके बाद 11 वें दिन बप्पा को पूरे गाजे-बाजे के साथ विदा कर दिया जाता है। यानी मूर्ति विसर्जन कर दिया जाता है। गणेश भगवान को विदाई देने के साथ ही भक्त अगले साल उनके जल्दी आने की कामना करते हैं।
पूजा विधि
गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर सबसे पहले अपने घर के उत्तर भाग, पूर्व भाग, अथवा पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा रखें। फिर पूजन सामग्री लेकर शुद्ध आसन पर बैठें। सर्वप्रथम गणेश जी को चौकी पर विराजमान करें और नवग्रह, षोडश मातृका आदि बनाएं। चौकी के पूर्व भाग में कलश रखें और दक्षिण पूर्व में दीया जलाएं। अपने ऊपर जल छिडक़ते हुए? पुण्डरीकाक्षाय नम: कहते हुए भगवान गणेश को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें तथा माथे पर तिलक लगाएं। हाथ में गंध अक्षत और पुष्प लें और दिए गए मंत्र को पढक़र गणेश जी का ध्यान करें। इसी मंत्र से उन्हें आवाहन और आसन भी प्रदान करें। पूजा के आरंभ से लेकर अंत तक अपने जिह्वा पर हमेशा? श्रीगणेशाय नम:। गं गणपतये नम:। मंत्र का जाप अनवरत करते रहें। आसन के बाद गणेश जी को स्नान कराएं। पंचामृत हो तो और भी अच्छा रहेगा और नहीं हो तो शुद्ध जल से स्नान कराएं। उसके बाद वस्त्र, जनेऊ, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि जो भी संभव यथाशक्ति उपलब्ध हो उसे चढ़ाएं। आखिर में गणेश जी की आरती करें और मनोकामना पूर्ति के लिए आशीर्वाद मांगे।
क्यों मनाते हैं ?
कहा जाता है कि भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन ही कैलाश पर्वत से माता पार्वती के साथ गणेश जी का आगमन हुआ था। इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश बुद्धि के दाता है। बता दें कि कई जगहों पर इस त्योहार को विनायक चतुर्थी और विनायक चविटी के नाम से भी जाना जाता है।
शुभ मुहूर्त
सितंबर 2023 में गणेश चतुर्थी 19 सितंबर, मंगलवार को पड़ रही है। विनायक चतुर्थी शुक्रवार 19 सितंबर को है। 19 सितंबर को विनायक चतुर्थी यानी गणेश पूजा का समय 19 सितंबर को सुबह 04:57 बजे शुरू होने जा रहा है और 19 सितंबर को रात 01:54 बजे तक रहेगा।
गणेशजी का जन्म
गणेश चतुर्थी की कथा के अनुसार,एक बार माता पार्वती ने स्न्नान के लिए जाने से पूर्व अपने शरीर के मैल से एक सुंदर बालक को उत्पन्न किया और उसे गणेश नाम दिया। पार्वतीजी ने उस बालक को आदेश दिया कि वह किसी को भी अंदर न आने दे,ऐसा कहकर पार्वती जी अंदर नहाने चली गई। जब भगवान शिव वहां आए ,तो बालक ने उन्हें अंदर आने से रोका और बोले अन्दर मेरी मां नहा रही है,आप अन्दर नहीं जा सकते। शिवजी ने गणेशजी को बहुत समझाया,कि पार्वती मेरी पत्नी है। पर गणेशजी नहीं माने तब शिवजी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गणेशजी की गर्दन अपने त्रिशूल से काट दी और अन्दर चले गये। जब पार्वतीजी ने शिवजी को अन्दर देखा तो बोली कि आप अन्दर कैसे आ गए। मैं तो बाहर गणेश को बिठाकर आई थी। तब शिवजी ने कहा कि मैंने उसको मार दिया। तब पार्वती जी रौद्र रूप धारण कर लिया और कहा कि जब आप मेरे पुत्र को वापस जीवित करेंगे तब ही मैं यहां से चलूंगी अन्यथा नहीं। शिवजी ने पार्वती जी को मनाने की बहुत कोशिश की पर पार्वती जी नहीं मानी। सारे देवता एकत्रित हो गए सभी ने पार्वतीजी को मनाया पर वे नहीं मानी। तब शिवजी ने विष्णु भगवान से कहा कि किसी ऐसे बच्चे का सिर लेकर आये जिसकी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो। विष्णुजी ने तुरंत गरूड़ जी को आदेश दिया कि ऐसे बच्चे की खोज करके तुरंत उसकी गर्दन लाई जाए। गरूड़ जी के बहुत खोजने पर एक हथिनी ही ऐसी मिली जो कि अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी। गरूड़ जी ने तुरंत उस बच्चे का सिर लिया और शिवजी के पास आ गये। शिवजी ने वह सिर गणेश जी के लगाया और गणेश जी को जीव दान दिया,साथ ही यह वरदान भी दिया कि आज से कही भी कोई भी पूजा होगी उसमें गणेशजी की पूजा सर्वप्रथम होगी । इसलिए हम कोई भी कार्य करते है तो उसमें हमें सबसे पहले गणेशजी की पूजा करनी चाहिए,अन्यथा पूजा सफल नहीं होती।