चुनाव के बाद पहली ही मीटिंग में हुई बगावत, INDIA के आगे NDA फेल हो गया!

ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक बीच में छोड़कर राष्ट्रपति भवन से निकल गईं... और उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार बंगाल के साथ भेदभाव कर रही है.... मेरा माइक बंद कर दिया गया और बैठक में मुझे बोलने नहीं दिया गया... देखिए खास रिपोर्ट... 

4पीएम न्यूज नेटवर्कः लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं… संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद से कार्यवाही चल रही है… इस समय सदन में मानसून सत्र चल रहा है… विपक्षी सांसद सरकार की नाकामी को सामने लाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहें है… लेकिन मोदी अपनी तानाशाही से बाज नहीं आ रहें है… बता दें कि लोकसभा चुनाव दो हजार चौबीस में तीन सौ तीन से दो चालीस पर आ जाने के बाद भी मोदी की तानाशाही रवैये में कोई कमी देखने को नहीं मिली है… आपको बता दें कि मोदी अहम मुद्दों पर चुप्पी साध लेते है… चुप्पी साधना मोदी के लिए कोई नई बात नहीं है… पहले भी कई बार कई अहम मुद्दों पर चुप्पी साधते हुए देखा गया है… जिससे देश की जनता परिचित है… बता दें कि सदन में मानसून सत्र के दौरान मोदी ने नीति आयोग की बैठक की… वहीं नीति आयोग की बैठक में शामिल होने से विपक्षी गठबंधन इंडिया ने पहले ही इनकार कर दिया था… बावजूद इसके पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में शिरकत की… लेकिन सीएम ममता को नीति आयोग की बैठक में बोलने नहीं दिया गया… और उनके संबोधन के बीच में ही उनके माईक को बंद कर दिया गया…. जिसके बाद सीएम ममता ने सरकार पर विपक्ष का अपमान करने का आरोप लगाते हुए… नीति आयोग की बैठक को बीच में ही छोड़कर चली गईं… जिसके बाद से मोदी की जमकर फजीहत हो रही है… आपको बता दें कि अपनी कुर्सी बचाने के लिए मोदी ने अपने दो प्रमुख सहयोगी दलों को मुंहमांगा बजट दिया है… और अन्य राज्यों की उपेभा की है… जिसकी भी सड़क से लेकर संसद तक आलोचना हो रही है…इस मामले पर भी मोदी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है… और चुप्पी साधे हुए है…

इस बीच नीति आयोग की बैठक से विपक्ष के बॉयकाट ने मोदी की मुश्किलें बढ़ा दी है… बता दें कि दो चौदह में पहली बार प्रधाममंत्री बनने के बाद से मोदी ने जनता को सिर्फ छलने का काम किया है… देश में पिछड़ो, आदिवासियों के साथ मोदी ने सौतेला व्यवहार किया है… देश की सभी जनता के साथ सौतेला व्यवहार किया…. जिसका परिणाम मोदी को जनता ने दो हजार चौबीस के चुनाव में दे दिया…. बावजूद इसके मोदी की तानाशाही में कोई कमी नहीं दिखाई दे रही है… वो बैसाखी के सहारे आने के बाद भी अपनी तानाशाही और झूठ बोलने से बाहर नहीं निकल पा रहें है… जिसका खामियाजा तेरह सीटों पर हुए उपचुनाव में भी देखने को मिला… फिर भी मोदी में कोई बदलाव नहीं आया… लोकसभा चुनाव के बाद से मोदी की जमकर फजीहत भी हुई… मोदी की गारंटी को जनता ने नकार दिया और बीजेपी को बैसाखी पर खड़ा कर दिया… एक अकेला सबपर भारी जुमला बनकर रह गया…. जनता मोदी के मनसूबे औप उनके झूठ को बखूबी जान चुकी है… मोदी सरकार में जनता के लिए कुछ भी नहीं है… बजट में देश की जनता को राहत देने के लिए सरकार ने एक शब्द भी नहीं कहा… महंगाई, बेरोजगारी समेत देश में व्याप्त अहम मुद्दों पर बीजेपी ने जनता को कोई बजट स्वीकृत नहीं किया… जिससे जनता का हित हो…आपको बता दें कि इस वित्तीय वर्ष में मात्र आठ महीना बाकी है… ऐसे में मोदी सरकार द्वारा बजट पेश करना अपने आप में एक सवालिया निशान उठा रहा है… वहीं बजट में सिर्फ दो राज्यों से मोदी का इतना प्यार जनता को हजम नहीं हो रहा है… जिसको लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर जमकर हमलावर है… और मोदी पर आरोप लगा रहा है… कि अपनो दो साथियों को खुश रखने के लिए बजट पेश किया गया है… यह बजट देश की जनता के लिए नहीं है… यह बजट कुर्सी को बचाने वाला बजट है….

आपको बता दें कि देश के सर्वोच्च पर विराजमान मोदी को देश की जनता को लेकर कोई फिक्र नहीं है…. बीजेपी की नीतियों से जनता परेशान है… वहीं अपनी परेशानी से जूझ रही जनता ने मोदी को लोकसभा चुनाव में बिल्कुल बेदखल कर दिया था…. और बीजेपी तीन सौ तीन सीट से दो सौ चालीस सीट पर आ गई थी… और बहुमत का आंकड़ा भी नहीं छू सकी… लेकिन मोदी ने कुर्सी की चाह में  अपने सहयोगियों से गिड़गिड़ा कर हाथ जोड़कर सत्ता में काबिज होने के लिए तमाम वादे किए… जिसके बाद तीसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने में सफल रहें.. लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद मोदी की कार्यशैली में कोई बदवाल नहीं दिखाई दे रहा है… हमेशा कि तरह सच सुनने की क्षमता खत्म हो गई है… और हमेशा से झूठ बोलने वाले और झूठ की राह पर चलने वाली बीजेपी की जमकर फजीहत हो रही है… बता दें इस बार विपक्ष बहुत मजबूत स्थिति में हैं… और सरकार को उसकी नाकामी को लेकर लगातार घेर रहा है… वहीं सत्ता पक्ष के लोकसभा स्पीकर होने के चलते लोकसभा स्पीकर भी अपनी सरकार का पक्षपात करते नजर आ रहें है… और उनपर भी कई बार विपक्ष के नेताओं का माइक बंद करने का आरोप लग चुका है… विपक्ष ने मोदी की नींद उड़ाकर रख दी है… हमेशा एक अकेला सबपर भारी कहने वाले मोदी को एक अकेले राहुल गांधी ने परेशान कर दिया है… देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने में राहुल गांधी कोई भी कोर-कसर नहीं छोड़ रहें है… और राहुल के प्रश्नों का जवाब सरकार नहीं दे पा रही है….

वहीं नीति आयोग की बैठक से विपक्ष ने दूरी बना ली थी… बता दें कि नीति आयोग की बैठक में विपक्ष से इकलौती पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिस्सा लिया था… लेकिन सरकार के तानाशाही रवैय़े के चलते उनको बोलने नहीं दिया गया… और बोलते समय बीच में ही सीएम ममता की माइक को बंद कर दिया… आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली में नीति आयोग की बैठक से वॉकआउट किया…. बैठक से बाहर निकलने के बाद ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि मीटिंग में उनका अपमान किया गया है… और उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए….. वह मीटिंग में बोलना चाहती थी लेकिन उन्हें केवल पांच मिनट बोलने की अनुमति दी गई… उनसे पहले लोगों ने दस से बीस मिनट तक बात की…. बता दें कि पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा कि वह विपक्ष की एकमात्र सदस्य थी…. जो मीटिंग में भाग ले रही थी…. लेकिन फिर भी उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी गई…. यह अपमानजनक है…. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैं बोल रही थी और मेरा माइक बंद कर दिया गया। मैंने कहा कि आपने मुझे क्यों रोका…. आप भेदभाव क्यों कर रहे हैं…. मैं बैठक में भाग ले रही हूं…. आपको खुश होना चाहिए…. इसके बजाय आप अपनी पार्टी और अपनी सरकार को और अधिक गुंजाइश दे रहे हैं….. विपक्ष से केवल मैं ही हूं और आप मुझे बोलने से रोक रहे हैं…. यह न केवल बंगाल का अपमान है…. बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों का भी अपमान है…. बता दें कि ममता बनर्जी ने इस बैठक से नीति आयोग को खत्म करने की मांग की थी…. सीएम ममता बनर्जी ने अपनी इस मांग के पीछे की वजह भी बताई थी…. और उन्होंने कहा था कि इस नीति आयोग को बंद कर दें…. क्योंकि यह सिर्फ बैठक बुलाने के अलावा कुछ नहीं करता है…. इसके साथ ही ममता बनर्जी ने योजना आयोग को वापस लाने की मांग की थी….

वहीं नीति आयोग की बैठक में मोदी सरकार के सहयोगी नीतीश कुमार भी शामिल नहीं हुए… जिसको लेकर सियासत जोरों पर है…  आपको बता दें कि  यह पहली बार नहीं है कि सीएम नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए हैं…. वह इसके पहले भी गवर्निंग काउंसिल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे…. और बिहार का प्रतिनिधित्व तत्कालीन डिप्टी सीएम ने किया था…. इस बार भी दोनों उपमुख्यमंत्री बैठक में शामिल हुए…. इसके अलावा, बिहार से चार केंद्रीय मंत्री नीति आयोग के सदस्य हैं… और वे सभी बैठक में उपस्थित रहे….. जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने इस मुद्दे पर कहा कि मुख्यमंत्री व्यक्तिगत कारणों से बैठक में शामिल नहीं हो सके…. इसके पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है…. हम तो बजट और नीति आयोग की बैठक से उत्साहित हैं…. बता दें कि नीतीश कुमार के नीति आयोग की बैठक में शामिल न होने पर भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री संजय सेठ ने कहा कि हमें जानकारी नहीं है कि नीतीश कुमार क्यों नहीं आए…. एनडीए की मुठ्ठी बंद है…. एनडीए मजबूत है….. बता दें कि नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से ‘विकसित भारत दो हजार सैंतालीस  दस्तावेज पर चर्चा की गई…. नीति आयोग की सर्वोच्च संस्था गवर्निंग काउंसिल में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और कई केंद्रीय मंत्री शामिल हुए… आपको बता दें कि नीतीश के साथ-साथ इंडिया गुट में शामिल कई विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक में शिरकत नहीं किया… जिसमें तमिलनाडु के सीएम एम.के. स्टालिन, पंजाब के सीएम भगवंत मान, केरल के सीएम पिनराई विजयन, तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी, कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया…. और हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सुक्खू ने इस बैठक का बहिष्कार किया… और उन्होंने संघीय बजट में अपने राज्यों के साथ भेदभाव…. और केंद्र सरकार द्वारा उनके राज्यों की उपेक्षा का आरोप लगाया…

 

 

 

 

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