TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने दी वक्फ बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, याचिका में लगाए इतने आरोप

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने वक्फ अधिनियम को संविधान के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने इस एक्ट को चुनौती देते हुए अदालत में एक विस्तृत याचिका दाखिल की है

4पीएम न्यूज नेटवर्कः तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने वक्फ अधिनियम को संविधान के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने इस एक्ट को चुनौती देते हुए अदालत में एक विस्तृत याचिका दाखिल की है, जिसमें कई गंभीर आरोप और संवैधानिक सवाल उठाए गए हैं। महुआ मोइत्रा की याचिका में कहा गया है कि वक्फ एक्ट के माध्यम से एक विशेष समुदाय को भूमि संबंधी अनुचित विशेषाधिकार दिए जा रहे हैं, जो धर्मनिरपेक्षता और समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। उन्होंने इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 15 (धर्म के आधार पर भेदभाव का निषेध) के खिलाफ बताया है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि वक्फ बोर्डों को न्यायिक शक्तियों जैसी व्यवस्था दी गई है, जो एकतरफा फैसले लेने की अनुमति देता है और अन्य समुदायों के भूमि अधिकारों का उल्लंघन करता है। महुआ मोइत्रा ने कहा कि यह मामला सिर्फ कानून का नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष ढांचे की आत्मा से जुड़ा हुआ है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वक्फ एक्ट की संवैधानिक वैधता की समीक्षा की जाए और इसे निरस्त किया जाए। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि देश की सर्वोच्च अदालत इस संवेदनशील और बहुचर्चित मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है।

इस बीच, मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की 3 जजों की बेंच ने कानून की वैधता को चुनौती देने वाली एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की याचिका सहित 10 अन्य याचिकाओं पर अगले हफ्ते 16 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.महुआ से पहले उत्तर प्रदेश के संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क ने भी हाल ही में वक्फ मुद्दे पर ही शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी.

9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दायर करने वाली महुआ मोइत्रा ने कहा कि विवादास्पद वक्फ संशोधन में न केवल गंभीर प्रक्रियागत खामियां हैं, बल्कि संविधान में निहित कई मौलिक अधिकारों का भी घोर उल्लंघन किया गया है. याचिका के अनुसार, “यह प्रस्तुत किया गया है कि कानून बनाने की प्रक्रिया के दौरान संसदीय प्रथाओं के उल्लंघन ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की असंवैधानिकता में योगदान दिया है.” याचिका के अनुसार, संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के अध्यक्ष ने वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी की मसौदा रिपोर्ट पर विचार करने, अपनाने के चरण में और संसद के समक्ष उक्त रिपोर्ट को पेश करने के चरण में संसदीय नियमों और परंपराओं का उल्लंघन किया है.”

संविधान की भावना का उल्लंघनः महुआ
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि विपक्षी सांसदों की असहमतिपूर्ण राय को कथित तौर पर 13 फरवरी को संसद में पेश अंतिम रिपोर्ट से बिना किसी औचित्य के ही हटा दिया गया. इस तरह की कार्रवाइयों ने संसद की विचार-विमर्श की प्रक्रिया को कमजोर कर दिया और आधिकारिक संसदीय प्रक्रिया नियमावली में उल्लिखित स्थापित मानदंडों का खुला उल्लंघन भी किया.याचिका में दावा किया गया है कि नया कानून कथित तौर पर संविधान के अनुच्छेद 14, 15(1), 19(1)(ए) और (सी), 21, 25 और 26, 29 और 30 और अनुच्छेद 300 ए का उल्लंघन करता है. टीएमसी सांसद मोइत्रा ने प्रक्रियागत मामलों में बरती गई अनियमितताओं और संविधान के मूल उल्लंघनों का हवाला देते हुए इस कानून को पूरी तरह से रद्द करने की मांग की.

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