टीएमसी ने साधा राज्यपाल पर निशाना

 

कोलकाता। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक के काफिले पर हुए हमले से राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया है। जिसके बाद राजभवन की ओर से कड़ा बयान जारी किया गया। राज्यपाल ने हमले को लेकर ममता बनर्जी सरकार से रिपोर्ट तलब की है और कहा है कि वह मूक गवाह नहीं रह सकते हैं। उसके ठीक एक दिन बाद तृणमूल कांग्रेस के मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ ने राज्यपाल की तीखी आलोचना की। सीवी आनंद बोस ने जगदीप धनखड़ के रास्ते का अनुसरण किया है। जैसा कि मुखपत्र में उल्लेख किया गया है। इसके बाद से ममता बनर्जी और राज्यपाल के बीच तकरार बढऩे के कयास तेज हो गए हैं।
‘जागो बांग्ला’ के संपादकीय में सोमवार को कहा गया, जगदीप धनखड़ ने साबित कर दिया कि राज्यपाल वास्तव में भाजपा के गुप्त एजेंडे को लागू करने के प्रतिनिधि हैं। वर्तमान गवर्नर पूर्व गवर्नर के नक्शेकदम पर चलने की दौड़ में हैं।
संपादकीय में यह भी दावा किया गया कि राज्यपाल ने एकतरफा भाजपा को सुनने के बाद बयान दिया है। इसके अलावा आज के संपादकीय में बीएसएफ अधिकारी के खिलाफ बलात्कार की शिकायत का विषय भी आया है। एक सवाल यह भी उठाया गया है कि राज्यपाल इस मामले पर पूरी तरह से खामोश क्यों हैं? बता दें कि तृणमूल कांग्रेस ने बीएसएफ जवान द्वारा राजवंशी युवक को गोली मारने और बीएसएफ की महिला सिपाही से इंस्पेक्टर द्वारा दुष्कर्म करने की आलोचना की थी।
पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ का पदभार ग्रहण करने के बाद से ही राज्य प्रशासन से टकराव चल रहा था। राजभवन और नबान्न से संबंध तेजी से बिगड़े थे। पूर्व में पूर्व राज्यपाल पर कभी शिक्षा के क्षेत्र में तो कभी स्वास्थ्य के क्षेत्र में अस्पष्टता के आरोप लगते रहे थे। उस वक्त राजभवन और नबान्नके बीच चि_ियां और ट्वीट होते रहते थे। सीएम ममता बनर्जी के साथ धनखड़ के रिश्ते काफी खराब हो गये थे। ममता ने उन्हें अपने ट्वीटर हैंडर पर ब्लॉकर कर दिया था। हालांकि, राज्य के मौजूदा राज्यपाल सीवी आनंद बोस के कार्यभार संभालने के बाद से यह समस्या काफी हद तक दूर हो गई थी।
वर्तमान राज्यपाल को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तारीफ करते हुए भी सुना गया था। राज्य विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल का शुरुआती भाषण में भी प्रशंसा की थी, लेकिन तब राज्यपाल ने दिल्ली दौरे से लौटने के बाद अपनी प्रमुख सचिव नंदिनी चक्रवर्ती को हटा दिया था। और फिर दिनहाटा मामले पर दिया कड़ा बयान दिया है। उसके बाद से ऐसा लग रहा है कि ममता और राज्यपाल के रिश्ते फिर से धनखड़ के जमाने में लौट रहे हैं।

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