अपना वोट बैंक बचाने के लिए JDU ने बीजेपी के फरमान का बायकॉट कर दिया!

असम सरकार ने फरमान जारी करते हुए विधानसभा में दिए जाने वाले जुमे की नमाज के लिए तीन घंटे के समय को खत्म कर दिया है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः असम सरकार ने फरमान जारी करते हुए विधानसभा में दिए जाने वाले जुमे की नमाज के लिए तीन घंटे के समय को खत्म कर दिया है… जिसको लेकर बीजेपी के ही सहयोगी दलों ने सीएम हिमंता विस्व सरमा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है… बीजेपी की सहयोगी दल जेडीयू ने इस आदेश को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है… बता दें कि जबसे मोदी बैसाखी के सहारे आएं हैं… तभी से सभी सहयोगी दल मोदी को आंख दिखाना शुरू कर दिए है… सदन से लेकर बीजेपी शासित राज्यों के फैसले को लेकर बीजेपी के सहयोगी दल उंगली उठा रहें है… मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में अपनी मनमानी करना भूल गए है… जो मोदी को रोज कमजोर कर रहा है… वहीं जब मोदी दो बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में थे… तब विपक्ष कमजोर स्थिति में था… फिर मोदी विपक्ष के साथ-साथ अपने यहयोगी दलों की बातों पर अमल नहीं करते थे… और जो भी करना होता था… लेकिन अब ऐसा नहीं हो पा रहा हैं… जिसका कारण मोदी जी की कमजोरी है… और उसी का फायदा सभी सहयोगी दल उठा रहें है….

आपको बता दें कि असम सरकान ने विधानसभा में शुक्रवार के दिन जुमे की नमाज़ के लिए तीन घंटे का दिया जाने वाला ब्रेक अब ख़त्म कर दिया है…. वहीं पहले जुमे की नमाज़ के लिए सुबह ग्यारह बजे से दो बजे तक सदन को स्थगित किया जाता था…. जिसको लेकर बीजेपी असम प्रदेश ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा कि सैदय सादुल्लाह द्वारा असम विधानसभा में जुमे की नमाज़ के लिए तीन घंटे के स्थगन के नियम को ख़ारिज कर दिया गया है….. अब से सदन में जुमे की नमाज़ के लिए कोई ब्रेक नहीं हुआ करेगा….. इस पर एनडीए के घटक दल जेडीयू ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है…. और इसे संविधान की भावना का उल्लंघन बताया है…. जिसको लेकर बिहार के पूर्व मंत्री… और जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि असम सरकार का फैसला संविधान के मानक के खिलाफ है…. सभी धर्मों को अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को जीवित रखने का अधिकार है…. असम के सीएम कहते हैं कि इससे काम करने की क्षमता बढ़ेगी…. फिर मैं उनसे कामाख्या मंदिर में ‘बलि प्रथा’ को बंद करने के लिए कहना चाहूंगा… किसी को भी धार्मिक प्रथाओं पर हमला करने का अधिकार नहीं है…

वहीं मौजूदा समय में जेडीयू एनडीए का हिस्सा है…. केंद्र सरकार में जेडीयू की अहम भूमिका है… दूसरी ओर बिहार में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं…. इसके बाद भी जुमे की नमाज को लेकर जेडीयू का रुख बिल्कुल अलग है…. ये अलग बात है कि असम की सरकार से जेडीयू का कोई लेना देना नहीं है…. न ही असम में जेडीयू की मौजूदगी है…. जेडीयू के अलावा बिहार की विपक्षी पार्टी आरजेडी ने भी असम सरकार के फैसले का विरोध किया है…. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि असम के मुख्यमंत्री सस्ती लोकप्रियता हासिल करने और सीएम योगी का चाइनीज वर्जन बनने के प्रयास में जानबूझकर मुसलमानों को परेशान करने वाले काम करते रहते हैं…. बता दें कि तेजस्वी ने आगे कहा कि बीजेपी के लोगों ने नफरत फैलाने…. और समाज में ध्रुवीकरण करने के लिए मुसलमान भाइयों को सॉफ्ट टारगेट बना लिया है…. देश की आजादी में आरएसएस छोड़ सभी धर्म के लोगों का योगदान है…. हमारे मुसलमान भाइयों ने देश को आजादी दिलाने में कुर्बानियां दी है… और हम लोग जब तक हैं तब तक कोई उनका बाल बांका नहीं कर सकता है….

वहीं, गुवाहाटी में एआईयूडीएफ विधायक मुजीबुर रहमान ने कहा कि हर शुक्रवार को हमें नमाज के लिए एक या दो घंटे मिलते थे…. यह व्यवस्था उन्नीस सौ छियासी से चली आ रही थी…. लगभग नब्बे साल बीत चुके हैं….. बहुत सारी सरकारें और सीएम आए…. लेकिन उन्हें कोई समस्या नहीं हुई…. हमें नहीं पता कि मौजूदा सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को क्या समस्या है…. वह मुसलमानों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं…. वहीं आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि असम के मुख्यमंत्री सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसा करते हैं…. और उन्होंने कहा कि भाजपा के लोगों ने नफ़रत फैलाने, मोदी-शाह का ध्यान आकृष्ट करने एवं समाज में ध्रुवीकरण करने के लिए मुसलमान भाइयों को सॉफ्ट टारगेट बना लिया है…. कभी वक्फ़ बोर्ड का बिल आ जाता है तो कभी सीएए एनआरसी का बिल… ये लोग समाज में नफ़रत पैदा करना चाहते हैं….. उन्होंने कहा कि जबतक हम लोग हैं, उनका कोई बाल बांका नहीं कर सकता….. यूपी में मुरादाबाद से सपा नेता एसटी हसन ने कहा कि हिमंत बिस्वा सरमा जब भी बोलते हैं विष उगलते हैं… और समाज में ज़हर फैलाते हैं…. उनकी सारी सियासत मुस्लिम विरोध पर टिकी है…. और उन्होंने कहा कि कुछ मुख्यमंत्रियों में होड़ लगी हुई है कि कौन मुसलमानों को कितना टॉर्चर करता है…. और केंद्र के नेताओं के क़रीब हो जाए… हिमंत खुद घोटालों में फंसे थे जब कांग्रेस में थे…. उससे बचने के लिए वो ये सब करते हैं…..

आपको बता दें कि इस फैसले के बारे में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि रूल कमेटी की मीटिंग के बाद, सभी हिंदू, मुस्लिम विधायकों ने फैसला किया है कि दो घंटे के अवकाश की कोई ज़रूरत नहीं है….. उन्होंने दो घंटे की छुट्टी की बजाय इस दौरान काम करने का फैसला लिया…. ये प्रथा वहीं यह प्रथा उन्नीस सौ सैंतीस में शुरू हुई थी….. जिसे अब बंद कर दिया गया है…. वहीं सस्ती लोकप्रियता पाने और एक ख़ास वर्ग को ख़ुश रखने की कोशिशों के आरोप पर मुख्यमंत्री ने कहा कि “ये जो फैसला हुआ है…. उसमें सभी वर्ग के विधायक थे…. और सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया. ये मैंने लिया ऐसा नहीं है…. जिसको लेकर बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि भारत एक सेक्युलर देश है…. अगर हम धर्मनिरपेक्षता और सभी धर्मों के आदर की बात करते हैं…. और सभी धर्मों के साथ समान बर्ताव की बात करते हैं तो मेरा मानना है… कि सभी धर्मों के प्रति सम्मान इस सरकार की प्राथमिकता है….

उधर एआईएमआईएम के नेता वारिस पठान ने कहा कि मेरा मानना है कि यह सरासर असंवैधानिक और धार्मिक आज़ादी के अधिकार का उल्लंघन है…. और यह प्रथा उन्नीस सौ सैंतीस से चली आ रही है…. अब आपको अचानक क्या हो गया…. मैंने पहले भी कहा है और फिर कह रहा हूं कि बीजेपी सरकार और हिमंत बिस्वा सरमा जैसे मुख्यमंत्री हैं…. ये मुसलमानों के दुश्मन हैं…. ये मुस्लिम विरोधी सरकार है…. इनको हमारे खाने पीने से नफ़रत है…. कपड़ों, मदरसों और अब नमाज़ से नफ़रत है….. ये साफ़ दिखाता है कि बीजेपी सरकार विकास और रोज़गार जैसे मुद्दों में फ़ेल हो चुकी है…. बेरोज़गारी ख़त्म करना उनको आता नहीं है… इसलिए वे सिर्फ एक मुद्दे को लेकर आते हैं कि मुसलमानों और इस्लाम के ख़िलाफ़ अनाप शनाप बोलो…. ध्रुवीकरण करो और राजनीति करो….

वहीं असम विधानसभा के प्रक्रिया के नियमों में कहा गया है कि शुक्रवार और शनिवार को छोड़कर आमतौर पर सदन की बैठक सुबह 9 बजकर 30 मिनट से 2 बजे तक चलेगी…. और शुक्रवार को सदन की बैठक 9 बजकर 30 मिनट से 11 बजकर 30 मिनट और शाम तीन से पांच बजे तक चलेगी…. जिसको लेकर असम के स्पीकर बिस्वाजीत डिमरी ने कहा कि ब्रिटिश ज़माने में सैदुल्लाह साहब के मुख्यमंत्रित्व काल में एक परम्परा जैसी हो गई थी…. और जुमे की नमाज़ के लिए असम विधानसभा को 11 बजकर 30 मिनट से स्थगित कर दिया जाता था…. और उन्होंने कहा कि उस समय बांग्लादेश असम के साथ था…. और इसकी राजधानी शिलांग में थी…. हो सकता है कि उस समय इस्लाम धर्म को मानने वाले कई सदस्य ये प्रस्ताव लेकर आए होंगे… जबसे मैं स्पीकर बना हूं, मैंने नोटिस किया कि शुक्रवार को समयाभाव के कारण बहस नहीं हो पाती है….

इसके अलावा अन्य धर्मों के लोगों ने भी प्रार्थना के लिए छुट्टी मांगनी शुरू कर दी थी…. मैंने बाकी विधानसभाओं की भी जानकारी ली… और पता चला कि वहां ऐसी कोई छुट्टी नहीं होती है…. यहां तक कि संसद में भी ऐसा कोई नियम नहीं है….. जिसके बाद इस मुद्दे को रूल कमेटी के पास भेजा गया…. जिसके अध्यक्ष वो खुद थे…. वहां सर्वसम्मति से ये परम्परा ख़त्म करने का निर्णय लिया गया…. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा मुसलमानों को लेकर अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में रहे हैं…. पिछले महीने ही हिमंत सरकार ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक़ पंजीकरण अधिनियम एवं नियम उन्नीस सौ पैंतीस को ख़त्म करने के लिए एक विधेयक को मंज़ूरी दी थी….. इसकी भी काफ़ी आलोचना हुई थी…. वहीं इस क़दम को भी असम सरकार ने प्रगतिशील क़दम बताया था…. जबकि मुस्लिम परिवारों में इस क़दम को आशंका के साथ देखा जा रहा है….

वहीं असम सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध हो रहा है… वहीं इस मामले पर मोदी समेत बीजेपी के बड़े नेता बोलने से बचते नजर आ रहे है…. असम सरकार के फैसले का एनडीए के सहयोगी दल भी जमकर विरोध कर रहें है… बता दें कि बीजेपी पर हमेशा से मुसलमान द्रोही होने का आरोप लगता आ रहा है… वहीं अब इस फरमान से साफ हो गया है कि बीजेपी धर्म की राजनीति करती है…. लेकिन बीजेपी भूल जाती है कि भारत विविधताओं का देश है…. और संविधान में सभी धर्मों की समानता को लेकर बात की गई है… वहीं बीजेपी संविधान को किनारे रखकर अपने मनमर्जी से एक के बाद एक फरमान जारी करती रहती है…. वहीं अब सीएम सरमा के आदेश का बड़े स्तर पर विरोध हो रहा है…

 

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