एमसीडी, हिमाचल और उपचुनाव के नतीजों से भाजपा परेशान, 2024 के लिए नए सिरे से मंथन में जुटी
यूपी से दिल्ली तक जश्न नहीं मना पाए समर्थक, गुजरात और रामपुर के रिजल्ट से राहत तो मिली पर खुशी नहीं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के लिए साल 2022 की शुरूआत जहां खुशियों की सौगात लेकर आयी थी, वहीं दिसबंर जाते-जाते बड़ा गम दे गया। दिल्ली एमसीडी व हिमाचल के चुनाव में करारी हार के साथ ही यूपी समेत पांच राज्यों के उपचुनाव में पार्टी को अधिकांश जगह पराजय का मुंह देखना पड़ा। गुजरात और रामपुर का परिणाम जरूर कुछ राहत देने वाला रहा। मगर बाकी जगहों के नतीजों ने भाजपा की गुजरात में हुई बड़ी जीत की खुशी को भी काफूर कर दिया। ऐसे में पार्टी के समर्थक दिल्ली से यूपी तक जीत का जश्न मनाने से भी वंचित रह गए।
दिसबंर के पहले सप्ताह के आखिरी दिन बुधवार को दिल्ली एमसीडी चुनाव के नतीजों में भाजपा पर बुध भारी रहा। आम आदमी पार्टी के हाथों एमसीडी में जहां करारी हार झेलनी पड़ी, वहीं राज्य की लोकल राजनीति से झाड़ू ने पूरी तरह भाजपा का सफाया कर दिया। 15 साल से यहां काबिज भाजपा के हाथ से दिल्ली मेयर की सीट भी चली गई। हालांकि भाजपा नेताओं की ओर से जोड़-तोड के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन उनमें अभी दम दिखाई नहीं दे रहा है। इसी माह के दूसरे सप्ताह की शुरुआत भी भाजपा के लिये कहीं खुशी कहीं गम वाली रही। बुध के बाद गुरु भी भाजपा पर भारी रहा। एमसीडी चुनाव नतीजों के अगले ही दिन गुरुवार को गुजरात से भाजपा के लिये राहत की खबर आई तो हिमाचल प्रदेश भाजपा के हाथ से निकल गया। हिमाचल को कांग्रेस ने अपने पंजे में ले लिया। भाजपा के यहां रिवाज बदलने के दावे धरे के धरे ही रह गये और कांग्रेस के हाथ ने कमल से सत्ता छीन ली। इतना ही नहीं यूपी समेत पांच राज्यों में विधानसभा की छह व लोकसभा की एक सीट का परिणाम भी केसरिया खेमे के मुफीद नहीं आया। मैनपुरी में जहां सपा की डिंपल यादव ने बड़ी जीत दर्ज की।
वहीं, खतौली विधानसभा सीट को रालोद ने भाजपा को बड़े अन्तर से हराकर छीन ली। इसके अलावा ओडि़शा बीजद और राजस्थान व छत्तीसगढ़़ में भाजपा को कांग्रेस के हाथों मात मिली है। ऐसे में भाजपा एमसीडी, हिमाचल प्रदेश व उपचुनाव के नतीजों से पूरी तरह बौखला गई है। पार्टी के नेता परिणामों से बेहद परेशान हैं और अंदर ही अंदर हार पर समीक्षा करने के साथ ही संगठन ने हार से सबक लेते हुए नये सिरे से 2024 के लिए रणनीति पर मंथन और चिंतन शुरू कर दिया है।
सुब्रत राय सहारा को गिरफ्तार करने पहुंची 12 थानों की फोर्स
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सहारा परिवार के मुखिया सुब्रत राय सहारा की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गईं हैं। प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर इलाके में स्थित सहारा शहर के आसपास पुलिस के जमावड़े ने माहौल में गर्मी बढ़ा दी है।
पुलिस सूत्रोंं के मुताबिक 12 थानों की फोर्स सहारा प्रमुख सुब्रत राय को गिरफ्तार करने के लिए उनके घर पहुंची है। यही वजह है कि सहारा शहर का गेट पुलिस छावनी जैसा नजर आ रहा है। इससे पहले जानकारी मिली थी कि किसी मामले में लखनऊ पुलिस सहारा शहर में दबिश देने पहुंची है। मामले में राय की गिरफ्तारी हुई है या नहीं, अभी साफ नहीं हो पाया है। जानकारी के मुताबिक, पुलिस किसी पुराने मामले में आए वारंट पर गिरफ्तारी के लिए पहुंची है।
खतौली में भूपेंद्र नहीं रख पाए भाजपा की चौधराहट बरकरार
उपचुनाव में तमाम प्रयासों के बावजूद सीट नहीं बचा पाया सत्तारूढ़ दल
प्रदेश की कमान मिलने के बाद पश्चिम में सजातियों को रिझाने की कोशिशें रहीं नाकाम
परवेज़ त्यागी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के चौधरी अपनी पहली परीक्षा में ही फेल हो गए। पश्चिमी यूपी में जिस समीकरण को साधने के लिए उनको संगठन के मुखिया की कमान सौंपी गई थी, उसको पूरा करने में वह पूरी तरह विफल साबित हुए हैं। मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट के उपचुनाव का परिणाम इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। उपचुनाव में तमाम हथकंड़े अपनाने के बाद भी यहांं भाजपा की चौधराहट बरकरार नहीं रह पायी है।
गौरतलब है कि, मुरादाबाद के मूल निवासी भूपेंद्र चौधरी को भाजपा ने किसान आंदोलन के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट मतदाताओं के बीच पार्टी को हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रदेश में संगठन की कमान सौंपी थी। हाल ही सम्पन्न उपचुनाव भूपेंद्र चौधरी की पहली परीक्षा थी, मगर वह अपनी पहली परीक्षा में पूरी तरह फेल हो गए। उनके नेतृत्व में पश्चिमी यूपी की खतौली विधानसभा सीट पर पिछले दो चुनावों से काबिज भाजपा को उपचुनाव में बुरी हार का मुंह देखना पड़ा है। यहां 22 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जयंत चौधरी की रालोद विजयी हुई है। रालोद के मदन भैया ने भाजपा से दो बार के विधायक रहें विक्रम सैनी की धर्मपत्नी राजकुमारी को हराया है।
बीते गुरुवार को हुई मतगणना के आंकड़े इस सीट पर यह गवाही दे रहे हैं कि भूपेंद्र चौधरी की बिरादरी के मतदाताओं ने खूब नल से पानी सींचा है। जाट बिरादरी के बाहुल्य गांव और शहरी क्षेत्र में भी नल ने कमल पर बड़ी बढ़त बनाई है। जबकि दस माह पूर्व हुए चुनाव में भाजपा को इसी बिरादरी के करीब 50 से 55 फीसदी मतदाताओं ने वोट दिया था, जो इस बार बड़ी संख्या में भाजपा से छिटककर रालोद की झोली में चला गया। वहीं, भूपेंद्र चौधरी से लेकर भाजपा के तमाम बड़े जाट नेता अपने सजातीय मतों को रिझाने में पूरी तरह नाकाम रहे। खतौली में भाजपा की करारी हार की यह भी एक बड़ी वजह रही है। उधर, मुस्लिमों की भाजपा के खिलाफ एकमुश्त वोटिंग और रालोद की गुर्जर और दलित मतदाताओं में सेंधमारी ने सत्ताधारी दल की खतौली में छह साल से चली आ रही चौधराहट को समाप्त करते हुए उसे चारों खाने चित कर दिया।