मौर्य के समर्थन में आए दो सपा नेता
लखनऊ। रामचरितमानस को बैन किए जाने के सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर सियासी बवाल जारी है। जहां कुछ सपा नेताओं और विधायकों ने स्वामी के बयान को अनुचित ठहराते हुए इसे निजी राय बताया है। वहीं सपा में स्वामी के समर्थन में भी सुर उठने लगे हैं। सपा विधायक तूफानी सरोज ने रामचरितमानस की वह चौपाई ट्वीट की, जिस पर स्वामी ने आपत्ति जताई थी। सपा नेता और पूर्व विधायक ब्रजेश प्रजापति भी स्वामी के समर्थन में खड़े हो गए हैं। ऐसे में पार्टी के भीतर ही स्वामी को लेकर समर्थन-विरोध की आवाजें उठने लगी हैं।
तीन बार के सांसद और केराकत से सपा विधायक तूफानी सरोज ने मानस की चौपाई ट्वीट की। यह वह चौपाई है, जिसका जिक्र रविवार को दिए अपने बयान में स्वामी ने किया था। सरोज का कहना है कि उनका ट्वीट किसी के विरोध समर्थन में नहीं है। मैंने उस चौपाई को साझा किया है, जिसका उल्लेख स्वामी ने किया था। अब लोग खुद पढ़ें और जाने कि क्या सही या गलत है?
स्वामी के बयान का विरोध करने वाले भी पढ़ें और बताएं कि मानस में शूद्रों को लेकर लिखी गई बात से वह सहमत हैं या असहमत हैं? पूर्व विधायक और सपा नेता ब्रजेश प्रजापति ने भी मानस को बैन करने की मांग की है। ब्रजेश ने बसपा से सियासत शुरू की थी और 2017 में स्वामी के साथ भाजपा में गए थे और तिंदवारी से विधायक बने थे। जब स्वामी भाजपा से सपा में आए तो ब्रजेश भी उनके साथ सपा में आ गए थे।
बयान को लेकर सपा नेतृत्व की नाराजगी की खबरों के बीच स्वामी अपने स्टैंड पर कायम हैं। मंगलवार को संत कबीरनगर में कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में स्वामी ने कहा कि मैंने किसी भगवान या धर्म पर टिप्पणी नहीं की।
चौपाई के उस अंश पर सवाल उठाए जिसमें महिला, दलितों और पिछड़ों को अपमानित किया गया है। मैंने दो दिन पहले जो कहा, उस पर आज भी कायम हूं। स्वामी के साथ बसपा में उनके पुराने साथी और मौजूदा सपा विधायक रामअचल राजभर भी मौजूद थे।
स्वामी के मानस ज्ञान को निजी राय बताने की रणनीति पर सपा कायम है। मंगलवार को इटावा में शिवपाल यादव ने कहा कि स्वामी ने जो कहा वह उनका व्यक्तिगत बयान है, पार्टी का नहीं। हम लोग भगवान राम-कृष्ण के आदर्शों पर चलने वाले लोग हैं।
वहीं, लखनऊ मध्य से सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कहा है, स्वामी प्रसाद मौर्य को ज्ञान नहीं है कि मानस में जो दोहा है उसमें ताडऩा का मतलब समझना और समझाना है। उन्होंने अज्ञानतावश बयान दिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष (अखिलेश यादव) के संज्ञान में मामला है, कार्रवाई होगी।