प्राइवेट स्कूलों की फीस न बढ़ाए जाने के आदेश पर पुनर्विचार करे यूपी सरकार : हाईकोर्ट
- राज्य सरकार अपने निर्णय पर फिर से गौर करें
प्रयागराज। प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों की फीस न बढ़ाए जाने के शासनादेश को चुनौती प्रकरण में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार को मामले में पुनर्विचार करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने यह आदेश एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ यूपी की याचिका पर दिया। याचिका में राज्य सरकार के गत 7 जनवरी के शासनादेश को चुनौती दी गई है। याची ने इसे शैक्षिक संस्थानों के सांविधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला कहा है। याची के वकील का कहना था कि राज्य सरकार ने इस शासनादेश के तहत निजी स्कूलों में पिछले दो साल की तरह इस वर्ष भी फीस बढ़ाने पर रोक लगा दी है। इससे उनके हित प्रभावित हो रहे हैं। जबकि यह शासनादेश कोरोना संक्रमण के बढ़ने की आशंका में जारी हुआ था। अब जबकि 11 फरवरी को शासनादेश के तहत कोरोना के मद्देनजर प्रतिबंधों में ढील दी गई है।
इससे जनजीवन सामान्य होने का पता चलता है। नए शैक्षणिक सत्र यानी एक अप्रैल से दो माह पहले नए बढ़े फीस के ढांचे को अपलोड किया जाना है। ऐसे में राज्य सरकार को अपने निर्णय पर फिर से गौर करना चाहिए। उधर, सरकारी वकील ने मामले के खास पहलुओं पर सरकार से जानकारी लेने को कुछ समय देने का आग्रह किया। कोर्ट ने राज्य सरकार से अपेक्षा की है कि 11 फरवरी के शासनादेश को देखते हुए मामले पर पुनर्विचार करे। इस प्रक्रिया में अभिभावकों की समिति की तरफ से भी अगर कोई आपत्तियां आएं तो उन पर भी विचार किया जाए। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को नियत की है।
निजी क्षेत्र में आरक्षण देने के कानून पर हाईकोर्ट की रोक सुप्रीम कोर्ट ने हटाई
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज हरियाणा सरकार के निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण देने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कानून पर रोक लगाने वाले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को रद कर दिया है। कोर्ट ने हाई कोर्ट को एक महीने के भीतर इस मुद्दे पर फैसला करने के लिए कहा है और राज्य सरकार को फिलहाल नियोक्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाने का निर्देश दिया है। बता दें कि 3 फरवरी, 2022 को हरियाणा में स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार अधिनियम 2020 को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका पर सुनवाई कर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कानून पर रोक लगा दी थी। गौरतलब है कि पंजाब हाईकोर्ट ने यह आदेश फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की रिट याचिका पर पारित किया था। इतना ही नहीं, कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए सरकार को एक नोटिस भी जारी किया था। बता दें कि यह कानून पिछले साल खट्टर सरकार ने नवंबर में अधिसूचित किया था और 15 जनवरी से यह लागू हो गया था। यह उन नौकरियों के लिए है जिनमें अधिकतम सकल मासिक वेतन या पारिश्रमिक 30,000 रुपये ही है।