यूपी सरकार की बढ़ी मुश्किलें! बुलडोजर एक्शन पर हाईकोर्ट सख्त, कहा- यह तय करना कोर्ट का काम 

उत्तर-प्रदेश की राजनीति में सियासी घमासान मचा हुआ है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर ‘बुलडोजर एक्शन पर सख्त रुख अपनाया है...

4PM न्यूज नेटवर्क: उत्तर-प्रदेश की राजनीति में सियासी घमासान मचा हुआ है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर ‘बुलडोजर एक्शन पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि देश में कानून सर्वोच्च है और किसी के घर को तोड़ने की धमकी देना या कार्रवाई करना कानून के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट के बाद अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर सवाल उठाए हैं। हाई कोर्ट ने यूपी के आजमगढ़ में कानूनी प्रक्रिया अपनाए बिना बुलडोजर से घर गिराए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई और यूपी सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा किस कानूनी प्रक्रिया के चलते याचिकाकर्ता के घर को गिराया गया।

इलाहाबाद HC ने बुलडोजर की कार्रवाई पर उठाए सवाल

बताया जा रहा है कि आजमगढ़ के सुनील कुमार ने हाईकोर्ट में बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर याचिका दाखिल की थी। जमीन विवाद को लेकर आजमगढ़ के एडिशनल कलेक्टर ने 22 जुलाई को सुनील कुमार का घर गिराने का आदेश जारी किया। आरोप है कि सुनील कुमार को सुनवाई का कोई मौका दिए बिना जल्द ही उनके मकान पर बुलडोजर चला दिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस प्रकाश पड़िया की सिंगल बेंच में इस मामले पर सुनवाई हुई है। कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा, ऐसी कौन सी परिस्थिति थी, जिसके चलते कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना याचिकाकर्ता के घर को गिरा दिया गया। अदालत ने इस मामले में यूपी सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है। आपको बता दें कि इस मामले पर अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी।

बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त

आपको बता दें कि हाईकोर्ट से पहले सुप्रीम कोर्ट भी क्रिमिनल केस होने पर आरोपियों के घर पर बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर सवाल उठा चुका है सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर की कार्रवाई को गलत बताया और कहा कि परिवार के किसी सदस्य पर अपराध का आरोप लगना किसी के घर पर बुलडोजर चला देने का आधार नहीं बन सकता है। देश में कानून का शासन है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट कहा कि सिर्फ किसी के खिलाफ आपराधिक आरोप लगना घर गिराने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति का अपराधी होना भी साबित होने तक उसे या उसके परिवार को सजा नहीं दी जा सकती। यह देश कानून (Rule of law) से चलता है, और कानून के बगैर कोई भी ऐसी कार्रवाई अवैध मानी जाएगी।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी पर दोष बनता है या नहीं, या उसने क्या अपराध किया है ये तय करना कोर्ट का काम है।
  • किसी आरोपी की गलती की सज़ा उसके परिवार को नहीं दी जा सकती है।
  • ऐसी कार्रवाई को होने देना कानून के शासन पर बुलडोजर चलाने जैसा ही है।

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