बिहार विधानसभा में तेजस्वी के इस्तीफे की मांग को लेकर हंगामा, चली कुर्सियां, सरकार और विपक्ष का आरोप- प्रत्यारोप का दौर

पटना। बिहार विधानसभा में इन दिनों मॉनसून सत्र चल रहा है। ऐसे में मंगलवार को सदन में इतना हंगामा हुआ कि सदन को स्थगित करने की नौबत आ गई। मंगलवार को बिहार विधानसभा में कुर्सियां तक फेंकी गईं। इस भारी हंगामे को देखते हुए दोनों सदन मंगलवार को कम कामकाज के बाद स्थगित कर दिए गए। सदन में आज तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग भी उठी।
इस दौरान विपक्षी पार्टी भाजपा के सदस्यों ने आरोप पत्र के बाद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे सहित अपनी मांगों पर जोर दिया। इस हंगामे को लेकर तेजस्वी यादव ने पलटवार करते हुए दावा किया कि नौकरियों के लिए भूमि घोटाले में आरोप पत्र मेरे खिलाफ पहला नहीं है और आखिरी होने की संभावना नहीं है। यहां तक कि उन्होंने भाजपा पर हृष्टक्क नेताओं अजित पवार और छगन भुजबल का मालाओं से स्वागत करने का भी आरोप लगाया। नेता तेजस्वी यादव ने हंगामे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित होने के बाद पत्रकारों से बात की। उन्होंने बताया कि कथित घोटाला तब हुआ था, जब उनके पिता और पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद रेल मंत्री थे और वह नाबालिग थे व सक्रिय राजनीति में तब तक दाखिल भी नहीं हुए थे।
तेजस्वी के मुताबिक विधानसभा में भाजपा सदस्य सदन के बीचोंबीच आ गए और फर्नीचर को उलटने की कोशिश करने लगे, जिससे अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी गुस्से में चिल्लाने लगे और अनियंत्रित विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की धमकी दी। ऐसा ही कुछ नजारा विधान परिषद में भी देखने को मिला, जहां भाजपा एमएलसी ने शिक्षकों की नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों की शिकायतों पर सरकार को घेरने के लिए हंगामा किया।
बता दें कि इन दिनों बिहार में अभ्यर्थी नीतीश कुमार सरकार की भर्ती की नो डोमिसाइल नीति का विरोध कर रहे हैं और एक साल पहले तक बिहार में सत्ता साझा करने वाली भाजपा ने उनके समर्थन में सडक़ों पर उतरने का फैसला किया है। विधान परिषद में जद (यू) सदस्य रामेश्वर महतो द्वारा विपक्ष के नेता सम्राट चौधरी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी पेश किया गया। चौधरी पर संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी पर उंगली उठाने और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था जब वह शिक्षकों के मामले पर सरकार का रुख समझाने के लिए उठे थे।
जब तेजस्वी यादव से उम्मीदवारों की चिंताओं के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री वर्तमान सत्र समाप्त होने के बाद उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करने पर सहमत हुए हैं।’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘यह कितनी अच्छी पहल है। इसे प्रधानमंत्री द्वारा महीनों से आंदोलन कर रहे किसानों के साथ बातचीत करने से इनकार करने और यौन शोषण झेलने वाली पदक विजेता महिला पहलवानों के प्रति उनकी उदासीनता के खिलाफ समझें।’ तेजस्वी ने दावा किया, ‘हम नौकरियां पैदा करने के अपने वादे को पूरा करने की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहे हैं। स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्र अधिकांश नौकरियां पैदा करने जा रहे हैं।’
उन्होंने यह भी दावा किया कि जब से विपक्षी नेता लोकसभा चुनाव के लिए संयुक्त रणनीति बनाने के लिए पिछले महीने यहां एकत्र हुए, तब से भाजपा एक वॉशिंग मशीन बन गई है जो पहले उसके करीब आने वालों के दाग धोती थी, लेकिन अब उसके पास कुछ भी नहीं है।
तेजस्वी के खिलाफ हमला बोलते हिए राज्य विधानसभा के अंदर बिहार के नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा, यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि जिस मंत्री के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया जा रहा है वह कैबिनेट का हिस्सा नहीं हो सकता है। यह एक रस्म रही है जब बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी और अन्य मंत्रियों को एक एफआईआर के बाद कैबिनेट से हटा दिया गया था, तो कैबिनेट में बैठे इन मंत्रियों (तेजस्वी यादव) पर आरोप पत्र दायर किया गया है। ऐसे भ्रष्ट मंत्रियों के साथ सरकार चलाना बिल्कुल गलत है। यह जनता के साथ धोखा है और हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। कैबिनेट के अंदर और बाहर भी हम विधानसभा को भ्रष्ट मंत्रियों को बर्खास्त करने के लिए मजबूर करेंगे।

 

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