यूपी का डीजीपी कौन? सस्पेंस बरकरार, CM Yogi ने नहीं खोले पत्ते

यूपी पुलिस का नया मुखिया कौन होगा? इसको लेकर सस्पेंस बरकरार है... DGP प्रशांत कुमार आज रिटायर हो रहे हैं...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः यूपी पुलिस का नया मुखिया कौन होगा….. इसको लेकर सस्पेंस बरकरार है…… DGP प्रशांत कुमार आज रिटायर हो रहे हैं…… और उन्हें सेवा विस्तार मिलेगा या नहीं…… यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है……  और उनके उत्तराधिकारी के नाम पर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है…… प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिलेगा या किसी नए चेहरे को यूपी पुलिस की कमान सौंपी जाएगी…….. यह सवाल न केवल पुलिस मुख्यालय बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में भी चर्चा का केंद्र बना हुआ है…… इस बीच कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम रेस में हैं…….. जिनमें दलजीत सिंह चौधरी, तिलोत्मा वर्मा, बीके मौर्य और राजीव कृष्ण प्रमुख हैं……. वहीं अगर प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिलता है…… तो यह यूपी में पहला मौका होगा…… जब किसी कार्यवाहक DGP को सेवा विस्तार दिया जाएगा…… फिलहाल सीएम योगी ने भी इस संबंध में अपने पत्ते नहीं खोले हैं……

आपको बता दें कि प्रशांत कुमार 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी 1 फरवरी 2024 से उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी के रूप में कार्यरत हैं……. बिहार के सिवान जिले के रहने वाले प्रशांत कुमार ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली हैं…… उनकी तेज-तर्रार छवि अपराध नियंत्रण में सख्ती और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भरोसा उन्हें यूपी पुलिस का नेतृत्व करने में मददगार रहा है…… प्रशांत कुमार को तीन बार वीरता पुरस्कार और एक बार राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया जा चुका है…… उनके कार्यकाल में यूपी में कानून-व्यवस्था में काफी सुधार देखा गया है……

प्रशांत कुमार का कार्यकाल आज यानी 31 मई 2025 को समाप्त हो रहा है……. और उनके सेवा विस्तार को लेकर अटकलें तेज हैं…… सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने उनके सेवा विस्तार का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है….. लेकिन अभी तक इस पर कोई आधिकारिक स्वीकृति नहीं मिली है……. यदि प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिलता है……. तो यह उत्तर प्रदेश में पहला ऐसा मामला होगा…….. जब किसी कार्यवाहक डीजीपी को एक्सटेंशन दिया जाएगा……. ऐसा होने पर यह न केवल प्रशांत कुमार की विश्वसनीयता को दर्शाएगा…… बल्कि योगी सरकार की प्रशासनिक रणनीति को भी रेखांकित करेगा…….

बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में डीजीपी की नियुक्ति के लिए नई नियमावली को मंजूरी दी है……. जो इस प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और स्वतंत्र बनाने का प्रयास है…… इस नियमावली के तहत डीजीपी का चयन एक छह सदस्यीय समिति द्वारा किया जाएगा…….. जिसकी अध्यक्षता हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे……. समिति में मुख्य सचिव, यूपीएससी और यूपीपीएससी के नामित सदस्य, अपर मुख्य सचिव (गृह) और एक पूर्व डीजीपी शामिल होंगे……. इस नियमावली के अनुसार डीजीपी की नियुक्ति सेवा रिकॉर्ड…. और अनुभव के आधार पर होगी……. और चयनित अधिकारी का कार्यकाल कम से कम दो वर्ष का होगा…….. बशर्ते सरकार उनके प्रदर्शन से संतुष्ट हो……

हालांकि, इस नियमावली के लागू होने के बावजूद समिति का गठन अभी तक नहीं हो पाया है…….. और यूपीएससी को संभावित नामों का पैनल भी नहीं भेजा गया है……. यह स्थिति सस्पेंस को और बढ़ा रही है…….. क्योंकि प्रशांत कुमार के रिटायरमेंट की तारीख नजदीक आ रही है……. यदि समिति का गठन और चयन प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं होती……… तो संभावना है कि यूपी को एक बार फिर कार्यवाहक डीजीपी के भरोसे काम करना पड़ेगा…… वहीं प्रशांत कुमार के सेवा विस्तार की अनिश्चितता के बीच कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम डीजीपी की रेस में चर्चा में हैं…… .

आपको बता दें कि 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी दलजीत सिंह चौधरी वर्तमान में सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक हैं…… और उन्होंने यूपी पुलिस में एडीजी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है…… और ऑपरेशन सिंदूर जैसे बड़े अभियानों में उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही है……. हाल ही में उनकी गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की खबर ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया है…….. हालांकि, केंद्र में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए…….. यह सवाल बना हुआ है कि क्या उन्हें यूपी वापस लाया जाएगा……

तिलोत्मा वर्मा 1990 बैच की आईपीएस अधिकारी  वर्तमान में डीजी प्रशिक्षण के पद पर तैनात हैं…….. उनके पास सीबीआई में लंबा अनुभव है…….. और उनकी अनुशासित और नेतृत्वकारी छवि उन्हें मजबूत दावेदार बनाती है…… यदि तिलोत्मा वर्मा को डीजीपी बनाया जाता है…….. तो वे उत्तर प्रदेश की पहली महिला डीजीपी होंगी……. जो एक ऐतिहासिक कदम होगा…… उनके पति आशीष गुप्ता यूपी कैडर के वरिष्ठ आईपीएस हैं……. उन्होंने हाल ही में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया है…….. जिसने उनकी नियुक्ति की चर्चाओं को और रोचक बना दिया है……

वहीं 1990 बैच के आईपीएस बीके मौर्य वर्तमान में डीजी होमगार्ड के पद पर हैं……. सूत्रों के अनुसार यदि प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार नहीं मिलता है…… तो बीके मौर्य को कार्यवाहक डीजीपी बनाया जा सकता है…….. उनके रिटायरमेंट में अभी दो महीने बाकी हैं…….. जिसके चलते उनकी नियुक्ति कम समय के लिए हो सकती है…… वहीं कुछ जानकारो का मानना है कि ओबीसी समुदाय को प्रतिनिधित्व देने के लिए सरकार बीके मौर्य को प्राथमिकता दे सकती है……

बता दें कि 1991 बैच के आईपीएस राजीव कृष्ण वर्तमान में यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष और विजिलेंस निदेशक हैं……. हाल ही में उन्होंने नकलविहीन पुलिस भर्ती परीक्षा आयोजित कर प्रशंसा बटोरी है……. वरिष्ठता सूची में 15वें स्थान पर होने के बावजूद……. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी होने की वजह से उनका नाम मजबूत दावेदारों में शामिल है…… उनके पास चार साल का कार्यकाल बाकी है…… जो उन्हें लंबे समय तक डीजीपी बनने का मौका देता है……. इनके अलावा रेणुका मिश्रा, एमके बशाल, आलोक शर्मा और संदीप सांलुके जैसे नाम भी चर्चा में हैं…….. लेकिन विभिन्न कारणों जैसे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति, कार्यकाल की कमी या राजनीतिक समीकरणों के चलते उनकी संभावनाएं कम मानी जा रही हैं…..

डीजीपी की नियुक्ति में केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय की कमी भी सस्पेंस का एक कारण है……. सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार डीजीपी की नियुक्ति के लिए यूपीएससी को संभावित नामों का पैनल भेजना अनिवार्य है……. हालांकि सूत्रों के अनुसार यूपी सरकार ने अभी तक ऐसा कोई पैनल नहीं भेजा है…… इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हाल ही में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात को इस फैसले से जोड़ा जा रहा है……. गृह मंत्री अमित शाह और दलजीत चौधरी की मुलाकात ने भी अटकलों को हवा दी है…….. लेकिन इस मुलाकात का डीजीपी नियुक्ति से सीधा संबंध अभी स्पष्ट नहीं है……

वहीं पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति नहीं हो पाई है…….. 11 मई 2022 से मुकुल गोयल के हटने के बाद से डीएस चौहान, आरके विश्वकर्मा, विजय कुमार और अब प्रशांत कुमार कार्यवाहक डीजीपी के रूप में कार्यरत रहे हैं…….. यदि प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार नहीं मिलता है……. तो संभावना है कि यूपी को पांचवीं बार कार्यवाहक डीजीपी मिले……. यह स्थिति न केवल प्रशासनिक अनिश्चितता को दर्शाती है…….. बल्कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुपालन पर भी सवाल उठाती है……

डीजीपी की नियुक्ति में राजनीतिक और सामाजिक समीकरण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं…….. प्रशांत कुमार को योगी आदित्यनाथ का भरोसेमंद अधिकारी माना जाता है……. और उनकी छवि कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने में सहायक रही है……. बीके मौर्य की नियुक्ति को ओबीसी समुदाय को प्रतिनिधित्व देने के रूप में देखा जा रहा है…….. जबकि तिलोत्मा वर्मा की नियुक्ति लैंगिक समानता……. और प्रगतिशीलता का प्रतीक हो सकती है……. इसके अलावा, दलजीत चौधरी जैसे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात अधिकारियों को वापस लाने में केंद्र और राज्य सरकार के बीच सहमति जरूरी होगी…….

आपको बता दें कि आज यानी 31 मई 2025 की रात 12 बजे से पहले प्रशांत कुमार के सेवा विस्तार से संबंधित दस्तावेजों का राज्य सरकार तक पहुंचना जरूरी है……… यदि ऐसा नहीं होता है…… तो सरकार को किसी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त करना होगा…….. यह फैसला न केवल यूपी पुलिस के भविष्य को प्रभावित करेगा……. बल्कि योगी सरकार की प्रशासनिक प्राथमिकताओं और केंद्र-राज्य समन्वय को भी दर्शाएगा…….. तिलोत्मा वर्मा की नियुक्ति एक ऐतिहासिक कदम हो सकता है…….. जबकि दलजीत चौधरी या राजीव कृष्ण जैसे अनुभवी अधिकारियों का चयन अनुभव…… और निरंतरता को प्राथमिकता देगा…….

 

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