सुप्रीम कोर्ट में ‘वक्फ बाय यूजर’ पर आज फिर होगी सुनवाई, बिना दस्तावेज़ वाली संपत्तियों पर उठेंगे सवाल

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ एक्ट 2025 की संवैधानिकता पर चल रही सुनवाई के दूसरे दिन आज एक अहम सवाल कोर्ट में गूंजेगा' वक्फ बाय यूजर' का मसला।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः सुप्रीम कोर्ट में वक्फ एक्ट 2025 की संवैधानिकता पर चल रही सुनवाई के दूसरे दिन आज एक अहम सवाल कोर्ट में गूंजेगा’ वक्फ बाय यूजर’ का मसला। यह मुद्दा कानूनी और सामाजिक दोनों स्तरों पर गहराता जा रहा है,जिससे जुड़े विवाद को लेकर अदालत में व्यापक बहस की संभावना है।

कल की तरह आज भी दोपहर 2 बजे समूचे देश की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर चिकी होंगी। राजनीति, समाज और कानून के क्षेत्र में चर्चा का केंद्र बना वक्फ संशाधन कानून आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। यह सुनवाई कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर की जा रही है। मंगलवार को हुई सुनवाई में अदालत ने करीब दो घंटे तक याचिकाकर्ताओं की दलीलों को सुना, जिनका कहना है कि वक्फ संशोधन कानून संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं ने खासतौर पर संपत्ति अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता और न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठाए।

कल सुप्रीम कोर्ट तीन निर्देश जारी करने का मन बना चुकी थी. आज इन्हीं निर्देशों के अलग-अलग पहलुओं पर सुनवाई होगी. उसके बाद जरूरी हुआ तो अदालत ये निर्देश पारित करे. सुप्रीम कोर्ट में आज दूसरे दिन जब सुनवाई होगी तो जो सवाल सबसे ज्यादा कोर्ट में गूंजेगी, वो है ‘वक्फ बाय यूजर’ का मसला. वक्फ बाय यूजर के सिद्धांत का मतलब ऐसी संपत्ति से है, जिसका कोई औपचारिक दस्तावेज नहीं है. बावजूद इसके क्योंकि वो लंबे अरसे से एक धर्म विशेष के धार्मिक या फिर चैरिटी के कामों में इस्तेमाल हो रही है, ऐसी संपत्ति अब तलक वक्फ मानी जाती थी. पर नए कानून के बाद ये व्यवस्था खत्म हो गई है. अब इस्तेमाल में आ रही इन संपत्तियों को भी रजिस्टर करने का कानून बन चुका है.

अदालत की इस पर टिप्पणी
कल की सुनवाई के आखिर में इसी विषय पर अंतरिम आदेश देने पर विचार कर रही थी. अदालत का मत था कि जब तक वक्फ संशोधन कानून की संवैधानिकता पर अंतिम सुनवाई नहीं हो जाती तब तक ऐसी कोई भी संपत्ति जिसे अदालत ने वक्फ घोषित कर रखा है, उनका वक्फ का दर्जा खत्म नहीं किया जाएगा. चाहे वो वक्फ बाय यूजर ही क्यों न हो. पर सरकार ने इसे आज की सुनवाई तक टालने में कामयाब रही. जैसा कि हम जानते हैं कि चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दर्जनों याचिकाओं को सुन रही है.वक्फ बाय यूजर के अलावा दूसरे तरह की वक्फ संपत्ति वक्फ बाय डीड होती है. यानी डीड के मामले में वैसीसंपत्तियों को वक्फ मानने से है, जिनको लेकर कानूनी कागजात उपलब्ध है.

वक्य बाय यूजर के 4 पहलू
वक्फ बाय यूजर के अहम पहलू ये हैं. पहला – इसका इस्तेमाल लंबे अरसे, कम से कम कई दशकों से धार्मिक या फिर चैरिटी के कामों में होता हो. दूसरा – वक्फ की दूसरी संपत्तियों, जिनको लेकर औपचारिक दस्तावेज हैं, वक्फ बाय यूजर वाले वक्फ के आधिकारिक दस्तावेज नहीं हैं. तीसरा – सबसे अहम बात ये है कि एख बार अगर किसी संपत्ति को वक्फ घोषित कर दिया गया तो फिर वो संपत्ति अल्लाह के नाम हो जाती है, और उसे दोबारा से आम संपत्ति के तौर पर नहीं हासिल किया जा सकता. चौथा – भारतीय कानून और अदालती फैसलों ने इस व्यवस्था की बालादस्ती को कुबूल किया है. चाहे वो 1954 का वक्फ कानून हो या फिर 1995 का.

विवाद क्या है, बदलाव क्या हुए
इस व्यवस्था को अरसे से कुबूल किया जाता रहा है. पर फिर भी इसे लेकर कई तरह की आलोचनाएं होती हैं. जिनमें सबसे अहम है कि कागजात के न होने से ऐसी वक्फ की संपत्ति अक्सर कानूनी विवादों में घिर जाती रही है. ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां इस्तेमाल होने की वजह से एक तरफ वो वक्फ घोषित हो चुकी है, जबकि दूसरी तरफ सरकार ने दावा किया कि ये हमारी संपत्ति है. अब नए कानून के लागू होने के बाद से सिर्फ इस आधार पर किसी संपत्ति को वक्फ नहीं घोषित किया जा सकेगा कि वहां लंबे अरसे से धार्मिक और चैरिटी से जुड़े काम होते हैं. अब से किसी भी तरह के नए वक्फ बनाने के लिए उस संपत्ति से जुड़े कानूनी दस्तावेज होने ही चाहिए. एक दिलचस्प चीज ये है कि वैसी संपत्ति, जिनको वक्फ बाय यूजर के सिद्धांत के तहत वक्फ घोषित किया गया है, उन पर नए कानून का कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन वो तभी जब वो संपत्ति विवादित न हो या फिर उस पर सरकार का दावा न हो.

Related Articles

Back to top button