हमें किसी का मतांतरण नहीं कराना है जीने का तरीका सिखाना है: भागवत

संघ प्रमुख ने कार्यक्रम में पढ़ाया धर्मपरायणता का पाठ

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
बिलासपुर। आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने बिना नाम लिए मिशनरियों पर निशाना साधते हुए कहा कि हमें किसी का मतांतरण नहीं करवाना है, बल्कि जीने का तरीका सिखाना है। हमारा जन्म भारत भूमि में हुआ है। हमारा पंथ किसी की पूजा पद्धति, प्रांत और भाषा बदले बिना अच्छा मनुष्य बनाता है। किसी को बदलने की चेष्टा न करें। सबका सम्मान करें।
आरएसएस प्रमुख ने छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के मदकूद्वीप में आयोजित घोष शिविर में कहा कि मेरा सौभाग्य है कि देव दीपावली के अवसर पर मैं हरिहर क्षेत्र में हूं। हम सबमें भावात्मक एकता आनी चाहिए। हमारी आवाज अलग-अलग हो सकती है। रूप अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन, सुर एक होना चाहिए। हम सबका मूल एक आधार पर टिका है। संघ प्रमुख डा. भागवत ने धर्म ग्रंथों में उल्लेखित बातों का उल्लेख करते हुए कहा कि सदियों से यह चला आ रहा है कि हम पराई स्त्री को माता मानते हैं और दूसरे का धन संपदा हमारे लिए कीचड़ के समान है। हमको खुद जिस बात से बुरा लगता है, हम दूसरों के साथ वैसा व्यवहार कतई नहीं करते। हमारे अपने नागरिक अधिकार हैं। संविधान की प्रस्तावना है। हमारे नागरिक कर्तव्य भी हैं। इन सभी बातों को हमें गंभीरता के साथ लेना चाहिए।

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