सीएम ममता की केन्द्र्र को चेतावनी ‘हम चुप नहीं रहेंगे’

- भाषा का अपराधीकरण कर रही है भाजपा
- बंगालियों के साथ अपने ही देश में घुसपैठियों जैसा व्यवहार किया जा रहा
- दिल्ली में बंगाली बस्ती में बिजली काटी गयी, पानी बंद किया गया
- पश्चिम बंगाल में दबदबा बनाने से चूकी भाजपा अब अन्य राज्यों के बंगालियों को बना रही है निशाना
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में एक बंगाली बहुल बस्ती पर हुई कार्रवाई से देश की राजनीति में नई दरार खिंच गई है। जहां आमतौर पर अतिक्रमण विरोधी कार्रवाइयों को नगर निगम की कानूनी प्रक्रिया माना जाता है, वहीं इस मामले ने एक गहरा सांस्कृतिक और भाषाई विवाद खड़ा कर दिया है।
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे केवल अतिक्रमण नहीं, बल्कि बंगालियों की अस्मिता पर हमला करार दिया है। ममता बनर्जी ने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा शासित प्रदेशों में बंगालियों को विदेशी बांग्लादेशी और घुसपैठिया कहकर प्रताडि़त किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे राज्य में डेढ़ करोड़ प्रवासी रहते हैं लेकिन हमने उन्हें कभी बाहरी नहीं कहा। लेकिन हमारे ही लोग जब दिल्ली या अन्य बीजेपी शासित राज्यों में जाते हैं तो उन्हें अपनी पहचान साबित करने के लिए मजबूर किया जाता है।
होगी आर—पार की लड़ाई
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने चेतावनी दी कि इस तरह की कार्रवाइयां बंगाली भाषी भारतीयों की पहचान और भाषा का अपराधीकरण करने के समान हैं। उन्होंने कहा है कि बंगाल में डेढ़ करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूर हैं जो सम्मान के साथ रह रहे हैं। लेकिन यही बात भाजपा शासित राज्यों के लिए नहीं कही जा सकती जहां बंगालियों के साथ अपने ही देश में घुसपैठियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। बंगाली बोलने से कोई बांग्लादेशी नहीं हो जाता। ये लोग भी उतने ही भारत के नागरिक हैं जितने कोई और चाहे वे कोई भी भाषा बोलते हों।
मैं बहुत परेशान हूं
सीएम ममता बनर्जी ने एक्स पर चिंता जताते हुए लिखा है कि मैं नई दिल्ली के वसंत कुंज स्थित जय हिंद कॉलोनी से उत्पीडऩ की चौंकाने वाली खबर सुनकर बहुत परेशान हूं। यह एक ऐसी बस्ती है जहां मुख्य रूप से बंगाली लोग रहते हैं जो शहर के असंगठित कार्यबल का हिस्सा हैं। कथित तौर पर भाजपा सरकार के आदेश पर उनकी पानी की आपूर्ति काट दी गई। बिजली के मीटर जब्त कर लिए गए और परसों अचानक बिजली काट दी गई। निवासियों का यह भी आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने आरएएफ कर्मियों के समर्थन से उनके द्वारा मंगवाए गए और भुगतान किए गए निजी पानी के टैंकरों को रोक दिया। पिछले दिसंबर महीने में दिल्ली पुलिस द्वारा एक और उल्लंघन के बाद मामला अदालत में विचाराधीन होने के बावजूद जबरन बेदखली की प्रक्रिया चल रही है। अगर आश्रय, पानी और बिजली के बुनियादी अधिकारों का हनन हो रहा है तो हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य होने का दावा कैसे कर सकते हैं?
दिल्ली की घटना एक प्रशासनिक कार्रवाई या साम्प्रदायिक-भाषाई पूर्वाग्रह?
वसंत कुंज की बस्ती पर बुलडोजऱ चलाने की वजह क्या वाकई सिर्फ अवैध अतिक्रमण थी या यह कार्रवाई एक विशेष समुदाय और भाषा बोलने वालों को निशाना बनाने का हिस्सा थी। यह सवाल इसलिए उठता है क्योंकि यह बस्ती 30 सालों से अधिक समय से अस्तित्व में है। यहां रहने वाले अधिकतर लोग पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और बांग्लादेश मूल के हैं। इनपर कार्रवाई से पहले कोई वैकल्पिक व्यवस्था या पुनर्वास योजना घोषित नहीं की गई। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि यह कार्रवाई बीजेपी के दबाव में एमसीडी ने की।
रणनीतिक रूप से निशाना बना रही है बीजेपी
उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक रूप से दबदबा बनाने में विफल रहने के बाद भाजपा अब गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और मध्य प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों में बंगालियों को रणनीतिक रूप से निशाना बना रही है। उन्होंने पोस्ट में लिखा है कि पश्चिम बंगाल में बंगालियों को वंचित करने के अपने प्रयासों में विफल होने के बाद भाजपा अब अपने बांग्ला-विरोधी एजेंडे को रणनीतिक और व्यवस्थित तरीके से देश के अन्य हिस्सों में फैला रही है। गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और मध्य प्रदेश से परेशान करने वाली खबरें सामने आई हैं। जहां बंगाली भाषी लोगों को लक्षित उत्पीडऩ का सामना करना पड़ रहा है। और अब शत्रुता का यह पैटर्न राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक पहुंच गया है। जब तक बंगाल के लोगों के साथ उनके ही देश में घुसपैठियों जैसा व्यवहार होता रहेगा हम चुप नहीं रहेंगे।
हम भी सड़कों पर संघर्ष करेंगे
सीएम ममता बनर्जी ने साफ कहा है कि अगर केन्द्र और भाजपा शासित राज्य सरकारों ने बंगालियों को अपमानित करने की यह रणनीति नहीं रोकी तो वे चुप नहीं बैठेंगी। उनका यह बयान कि हम भी सड़कों पर उतरेंगे संघर्ष करेंगे और अपने लोगों की गरिमा की रक्षा करेंगे एक बड़े आंदोलन की तरफ इशारा करता है। यह चेतावनी केवल एक भाषा या राज्य की नहीं है बल्कि पूरे संघीय ढांचे और भारत की बहुलतावादी आत्मा पर चोट करने की प्रतिक्रिया है। ममता ने चेताया कि जब कोई पंजाबी, मराठी, गुजराती या तमिल अपने राज्य से बाहर जाता है तो क्या उसे अपनी नागरिकता साबित करनी होती है फिर बंगालियों के साथ ऐसा क्यों।
ममता बनर्जी से मिले जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की और केंद्र से जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तेजी से कार्रवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देना आवश्यक है। जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मैं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को जम्मू-कश्मीर के लोगों के प्रति उनकी सहानुभूति के लिए धन्यवाद देता हूं। 2019 में, एक चुनौतीपूर्ण राजनीतिक दौर के दौरान, दीदी ने अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि जो कुछ भी हो रहा है वह गलत है। उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद, दीदी ने गोलाबारी से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए यहां से एक टीम भेजी थी। मैं इन सबके लिए उनका धन्यवाद करने और उन्हें जम्मू-कश्मीर आने का निमंत्रण देने आया हूं। मैं कई बार उनका मेहमान रहा हूं… हमें उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल व्यापार, औद्योगीकरण और पर्यटन के क्षेत्र में और अधिक निकटता से काम करेंगे। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने जम्मू-कश्मीर आने का उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। पूजा उत्सव के बाद, मैं वहाँ जाने की कोशिश करूँगी। हम कश्मीर की मदद के लिए तैयार हैं। हमारे पर्यटकों को कश्मीर आना चाहिए; डरने की कोई बात नहीं है। सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पर्यटकों को सुरक्षा प्रदान की जाए… यह हमारे राष्ट्र का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, और यह बहुत खूबसूरत है। मैं कश्मीर की बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ। मुझे कश्मीर से प्यार है, और यह मेरे सभी कश्मीरी भाइयों और बहनों के लिए मेरा दिल से प्यार है। उन्होंने कहा कि हम पर्यटन और तकनीकी शिक्षा विभाग में साथ मिलकर काम करेंगे। मैं उद्योगपतियों और पर्यटन क्षेत्र से अनुरोध करती हूँ कि वे जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल सरकारों के साथ मिलकर काम करें ताकि वे हमारे राज्य का दौरा कर सकें, और हम उनके राज्य का दौरा कर सकें। कुछ सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम भी होने चाहिए। हम कश्मीरी महिलाओं का हमारे पूजा उत्सव में आने और शामिल होने का स्वागत करते हैं।




