उत्तराखंड पुलिस को किन चीजों की है जरूरत बताया सीएम धामी ने

नई दिल्ली। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मानना है कि आज की पुलिसिंग में पुलिस को फिटनेस और परसेप्शन मैनेजमेंट की बेहद जरूरत है. उन्होंने इस अवसर पर बोलते पुलिस मंथन-समाधान एवं चुनौतियों, पुलिस और जनमानस के बीच संवाद के जरिए बातचीत पर भी बल दिया. मुख्यमंत्री गुरुवार को देहरादून स्थित राज्य पुलिस महानिदेशालय परिसर में आयोजित पुलिस सप्ताह का शुभारंभ करने के दौरान पुलिस और जन-प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर राज्य पुलिस महानिदेशक आईपीएस अशोक कुमार ने अपराध नियंत्रण, महिला सुरक्षा, ड्रग्स, साइबर और यातायात जैसे विभिन्न विषयों पर पुलिस की भावी कार्य-योजना से अवगत कराया.
डीजीपी ने कहा, कि इस वर्ष चारधाम यात्रा में आए लगभग 47 लाख और कांवड यात्रा में करीब 4 करोड़ श्रद्धालुओं की यात्रा को सकुशल सम्पन्न कराया गया. जोकि राज्य पुलिस के लिए एक चुनौती भरा सफल अनुभव रहा. इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को, उत्तराखंड पुलिस के जनता से संवाद (पब्लिक इंटरेक्शन) के साथ-साथ पुलिस के जवानों से भी संवाद (वर्टिकल इंटरेक्शन) करने की नई पहल बेहद कारगर लगी. उन्होंने आज के युग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कहा कि, पुलिस को फिटनेस एवं परसेप्शन मैनेजमेंट पर भी फोकस करने की विशेष आवश्यकता है.
चीफ मिनिस्टर ने पुलिसकर्मियों और जनता को संबोधित करते हुए आगे कहा, मंथन कार्यक्रम के दौरान आप सभी विभिन्न विषयों पर मंथन करके, भविष्य की ऐसी योजना बनाएं जो उत्तराखंड पुलिस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन (स्मार्ट एवं सशक्त पुलिसिंग) बनाने में सहायक सिद्ध हो सकें. उन्होंने अपराध नियंत्रण के अंतर्गत इनामी और वांछित अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए शुरू किए गए विशेष अभियानों की प्रशंसा करते हुए कहा कि, अपराध नियंत्रण, महिला सुरक्षा एवं सशक्तीकरण हेतु अभियानों की नियमित समीक्षा आवश्यक है. विशेष बल देते मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि, अपराधियों द्वारा अवैध रूप से अर्जित अवैध संपत्ति को जब्त किया जाए. ताकि अपराधियों में कानून और पुलिस का डर बना रहे.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आगे कहा, उत्तराखण्ड एक पर्यटन आधारित राज्य है जिसे हम सबको मिलकर क्राइम फ्री, ड्रग्स फ्री बनाना है. ताकि राज्य में आने वाले पर्यटक खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें, पुलिस के बडी जिम्मेदारी है कि, देवभूमि का स्वरूप न बिगड़े. इसके लिए पुलिस को लगातार कार्य कर सजग रहने की आवश्यकता है. जघन्य अपराधों की बेहतर पैरवी हेतु विशेष अभियोजन अधिकारी की नियुक्ति किए जाने की बात भी मुख्यमंत्री ने बयान की. जिससे अभियुक्तों को जमानत न मिल सके और सजा दर में वृद्धि संभव हो सके. सीनियर्स को अधीनस्थों के साथ सम्मान से पेश आना चाहिए ताकि वे, स्वेच्छा से बेहतर प्रदर्शन करें. मुख्यमंत्री का मानना था कि अगर राज्य पुलिस महकमे के वरिष्ठ अधिकारी अधीनस्थों के साथ, सम्मान का व्यवहार करेंगे तो उनके मातहत जनता के बीच वैसा ही व्यवहार अमल में लाएंगे. इससे भी राज्य पुलिस की छवि सुधरेगी ही.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की सरलीकरण की नीति के क्रम में, महिला सुरक्षा को प्राथमिकता पर रखते हुए गौरा शक्ति योजना को महिलाओं की सुविधा एवं सुरक्षा हेतु डिजिटाइज कर दिए जाने की बात भी दोहराई. जिसके अंतर्गत रजिस्ट्रेशन कराने वाली 45,216 महिलाओं से महिला पुलिसकर्मी संपर्क में रहकर, तत्काल मदद कर उनकी शिकायत का समाधान करें. जिससे महिलाओं में सुरक्षा का भाव जागृत हो. और उनके बीच राज्य पुलिस की छवि एक मददगार की सी बन सके. मुख्यमंत्री ने डेमोग्राफिक चैलेंज के दृष्टिगत विशेष सत्यापन अभियान निरंतर चलाने पर भी जोर दिया. साथ ही बताया कि वर्ष 2025 तक ड्रग्स फ्री देवभूमि बनाने के लिए, उत्तराखंड पुलिस युद्ध स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए. राज्य में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने हेतु इंटेलिजेंस कर्मियों को प्रोएक्टिव होकर कार्य करने की जरूरत पर भी उन्होंने विशेष बल दिया.
मुख्यमंत्री का मानना है कि उत्तराखंड के जिलों में नियुक्त अधिकारियों को लीडर के रूप में कार्य कर, त्वरित निर्णय लेकर समस्या का समाधान करना चाहिए. इसके अतिरिक्त उन्होनें समस्त पुलिस अधिकारियों को सिटीजन सैन्ट्रिक एपरोच के साथ कार्य करने को प्रेरित किया. उन्होंने अपराध नियत्रण एंव अन्य विषयों पर सांइस एण्ड टैक्नोंलॉजी का उपयोग किए जाने की बात पर बल दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2023 में उत्तराखंड पुलिस विभाग में, लगभग 1,000 कॉन्स्टेबल की भर्ती किया जाना प्रस्तावित है. यह सिपाही ही पुलिस महकमे की रीढ़ हैं. वर्तमान में प्रचलित 1521 पुलिस कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया के पूर्ण होने तक पुलिस विभाग को, 1521 पी0आर0डी0 जवानों द्वारा अस्थाई सेवा भी प्रदान की जाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि, पर्वतीय क्षेत्रों में साइबर अपराध को रोकने के लिए महिला थाने के रूप में कार्य कर रहे, श्रीनगर एवं अल्मोड़ा महिला थाना, अब साइबर थाने का भी कार्य करेंगे.

 

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