नेपाल क्राइसेस : आग के दरिया में कौन तैरकर बनेगा प्रधानमंत्री ?

  • नेपाली आर्मी चीफ ने जारी किया वीडियो एलर्ट
  • पार्टी पॉलिटिक्स से थक चुके हैं आम नेपाली
  • जनता को चाहिए भरोसा नए चेहरे, नई सोच का हो अगला प्रधानमंत्री

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। नेपाल आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां पार्टी पॉलिटिक्स की पुरानी झंझावत टूट रही है और जनता नए चेहरे नई उम्मीद के लिए सड़क पर है। जेनरेशन के युवा सोशल मीडिया पर नेपो किड्स की आलोचना कर रहे हैं। भ्रष्टाचार और जरूरतों की अनदेखी ने जनता के गुस्से में घी का काम किया है। इस बीच नेपाल के सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने एक सार्वजनिक वीडियो और वक्तव्य जारी कर स्थिति को नियंत्रण में लाने की चेतावनी दी है उन्होंने इस बात के साफ संकेत दिये है कि अगले चुनाव या नए प्रधानमंत्री चुनने की प्रक्रिया धुंधली नहीं चलेगी। सिग्देल ने प्रदर्शन कार्यक्रमों को तुरंत बंद किया जाने की बात कही है और सभी को संवाद की मेज पर आने का न्योता दिया है। सिग्देल ने नेपाली जनता से सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति की रक्षा का आग्रह किया है और कहा है कि यदि अराजकता की स्थिति बनी रही तो सेना को कड़ी कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने नागरिकों से अफवाहों से बचने और केवल विश्वसनीय स्रोतों से सूचना लेने की सलाह दी है।

बिल्कुल बंग्लादेश जैसा हाल

नेपाल का नजारा और सिचुएशन बिल्कुल बंग्लादेश जैसा है। जनता, प्रदर्शनकारियों और सेना की बातचीत में प्रधानमंत्री के लिए कुछ नाम तेजी से उभर रहे हैं। जिनमें सुशीला कार्की और बलेन्द्र बेलन शाह प्रमुख है। सुशीला कर्की नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस रह चुकी है उनकी छवि पार्टी राजनीति से उपर की है । वह नेपाल की चीफ जस्टिस रह चुकी है। कुछ प्रदर्शनकारियों की ओर से उनका नाम एक अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में सामने आया है। वहीं बेलन शाह जिनकी आयु महज 35 वर्ष है वह रैपर से राजनीति में आये हैं और काठमांडू के मेयर है। वह जनता में लोकप्रिय हैं खासकर युवा वोटर्स में। उन्होंने कहा है कि वह लोकतंत्र, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार विरोधी कार्यों में आवाज उठाएंगें। इसके अतिरिक्त भी कुछ नाम जैसे ओम प्रकाश आर्याल, बृहद जनरल प्रेम शाह, नीला कन्थ उप्रेती आदि भी है। नेपाल में एक अंतरिम प्रधानमंत्री चुन कर अगले वर्ष आम चुनाव करवाये जा सकते हैं जैसा कि बग्लादेश में चल रहा है।

क्या चाहते हैं आम नेपाली

पार्टी राजनीति से थक चुके आम नेपाली किसी ऐसे व्यक्ति को पीएम के तौर पर देखना चाहते हैं जो उनकी अपेक्षाओं को पूरी कर सके। बेरोजगारी और भ्रष्टाचार यह वह मुद्दे हैं जिनसे आम नेपाली पार पाना चाहता है। जेन ये चाहता है कि नेता सिर्फ वादे न करें काम करें जवाबदेही दिखाएं। वीडियो बाइट और आम लोगों से बातचीत के बाद यह साफ हो गया है कि नया प्रधानमंत्री एक मध्यवर्ती, ईमानदार और पारदर्शी व्यक्ति हो कोई ऐसा चेहरा जो सिर्फ राजनीति के खेल में न बंधा हो। नेपाली चाहते हैं कि सामाजिक मीडिया प्रतिबंध की तुरंत वापसी हो। भ्रष्ट अधिकारियों की जांच कर उन्हें जेल भेजा जाए और त्वरित और स्पष्ट न्याय कार्रवाई की जाए।

नेपाल में फंसे लोगों को निकालने का काम शुरू

हिंसा प्रभावित नेपाल में फंसे तेलुगु लोगों को निकालने का काम तेज हो गया है। सिमिकोट से 12 लोगों को लेकर एक विशेष उड़ान रवाना हुई जबकि 22 लोगों का एक अन्य समूह सड़क मार्ग से सुरक्षित वापस लौट आया। आंध्र प्रदेश के मंत्री नारा लोकेश ने बताया कि 200 से ज्यादा लोगों को हवाई मार्ग से लाने के लिए काठमांडू से नई दिल्ली के बीच एक उड़ान की योजना बनाई गई है। मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि 133 लोगों को काफिले की सुरक्षा में हवाई अड्डे तक पहुंचाया जा चुका है। पोखरा से एक चार्टर विमान उड़ान भरेगा जो 10 फंसे तेलुगु लोगों के एक और समूह को इंडिगो की उड़ान में सवार होने के लिए काठमांडू लाएगा। 133 फंसे हुए लोग काठमांडू हवाई अड्डे पर पहुंच चुके हैं।

राजनीतिक अस्थिरता की ओर बढ़ा नेपाल

नेपाल में जारी विभिन्न प्रदर्शनों में हिंसा, आगजनी, सरकारी इमारतों की तोड़-फोड़ यह घटनाएं नेपाल को राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ा रही हैं। बातचीत में अनिश्चितताएं हैं। प्रधानमंत्री की रिक्ति के बाद बने संभावित अंतरिम सरकार के लिए शामिल दलों में आपसी मतभेद हैं। किसी को पसंद होगा कि पारंपरिक दल, किसी को युवा नेतृत्व, किसी को न्यायाधीशों की भूमिका यह टकराव नए तनाव खड़े कर सकते हैं। सेना की भूमिका बढऩे पर वैधानिक और संवैधानिक सवाल उठ रहे हैं क्या यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया है या जबरदस्त दबाव में परिवर्तन?

भारतीय सीमा में फरार कैदी गिरफ्तार

नेपाल की जेल से भागे हुए 30 कैदियों को भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश के दौरान सशस्त्र सीमा बल ने गिरफ्तार कर लिया। इन गिरफ्तारियों में से 17 कैदियों को उत्तर प्रदेश से जबकि 13 को पश्चिम बंगाल और बिहार से पकड़ा गया है। उत्तर प्रदेश में गिरफ्तारियां लखीमपुर, बहराइच और बलरामपुर में रात भर की गई गश्त के दौरान हुईं।

चार लोगों का चमत्कार इनफ इज इनफ से आये चर्चा में

नेपाल में जारी इस उथल-पुथल में चार चेहरों की भूमिका सबसे अहम मानी जा रही है। इनमें सुदन गुरुंग, बालेंद्र (बालेन) शाह, रबि लमिछाने और सुशीला कार्की का नाम शामिल है। सबसे पहला नाम सुदन गुरुंग का आता है। इवेंट मैनेजमेंट और नाइट लाइफ इंडस्ट्री छोड़कर सामाजिक कार्यों में जुटे सुदन ने 2015 के भूकंप के दौरान ‘हमि नेपाल’ एनजीओ की स्थापना की थी। कोविड महामारी में राहत कार्यों से भी वे चर्चा में रहे। 2020 के ‘इनफ इज इनफ’ आंदोलन से वे युवाओं के नेता बने। सोशल मीडिया प्रतिबंधों के खिलाफ प्रदर्शन को दिशा देने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर और किताबें लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें।

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