महिलाओं में आर्थराइटिस का है अधिक खतरा
- इन आसनों से मिलेगा लाभ
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
बिगड़ी जीवनशैली के कारण पिछले दो दशकों से आर्थराइटिस यानी गठिया की समस्या बढ़ती जा रही है। जोड़ों में सूजन और दर्द की यह समस्या जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर में करोड़ों लोग आर्थराइटिस की समस्या के शिकार हैं। भारत में आर्थराइटिस के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, शारीरिक निष्क्रियता और आहार में गड़बड़ी के कारण गठिया को जोखिम बढ़ जाता है। महिलाओं में आर्थराइटिस की समस्या तेजी से बढ़ रही है। घर के कामकाज के दौरान खड़े होने, बैठने व झुकने में उन्हें दिक्कत होती है। ऑफिस में डेस्क वर्क करने वाली महिलाओं को भी जोड़ों का दर्द हो सकता है। ऐसे में शरीर को लचीला बनाए रखने और आर्थराइटिस की समस्या से बचाव के लिए नियमित कुछ फायदेमंद योगासनों का अभ्यास करना चाहिए।
कोबरा पोज
भुजंगासन एक ऐसा योगासन है, जो दो शब्दों को मिलाकर बना है। एक भुजंग अर्थात सांप और दूसरा आसन। अंग्रेजी में भुजंगासन को कोबरा पोज कहा जाता है, क्योंकि इसे करते समय शरीर की आकृति कुछ सांप जैसी हो जाती है। रीढ़ और कमर की हड्डी को मजबूती देने और उन्हें लचीला बनाए रखने के लिए कोबरा पोज योग का अभ्यास फायदेमंद हो सकता है। कोबरा पोज शरीर को पूर्ण आराम देने के साथ, ऊतकों और कोशिकाओं को ठीक रखने, मस्तिष्क को तनाव मुक्त रखने और शरीर में संतुलन बनाए रखने में कोबरा पोज योग को बहुत फायदेमंद माना जाता है।
सेतुबंधासन योग
सेतु बंध आसन करने के लिए सबसे पहले चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। अब अपने पैरों को घुटनों से मोड़ें ताकि घुटने रीढ़ की हड्डी के 90 डिग्री पर हो। गठिया की समस्या से बचाव में सेतुबंधासन या ब्रिज पोज योग का अभ्यास बेहतर माना जाता है। इस योग को करने से रक्त परिसंचरण में सुधार होता है और गर्दन, रीढ़, छाती और कूल्हों की बेहतर स्ट्रेचिंग हो पाती है। आर्थराइटिस के लक्षणों को कम करने के लिए सेतुबंधासन योग का नियमित अभ्यास करें।
वीरभद्रासन योग
शरीर के अंगों की बेहतर स्ट्रेचिंग करने के लिए वीरभद्रासन काफी फायदेमंद योगासन है। योग विशेषज्ञों के मुताबिक, क्रोनिक ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों को कम करके यह योगासन बाह, पीठ के निचले हिस्से और पैरों को मजबूत बनाता है। वीरभद्रासन योगाभ्यास उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है जो डेस्क पर लंबे समय तक काम करते हैं। वीरभद्रासन-2 पेट के अंगों को एक्टिव करता है जिससे पाचन क्रिया सुधरती है। यह आसन कार्पल टनल सिंड्रोम की समस्या से भी छुटकारा दिलाता है। वीरभद्रासन-2 शरीर को मजबूत बनाता है। वीरभद्रासन-2 करने पर बनने वाली मुद्रा से पैरों, गले और छाती में जो खिंचाव पैदा होता है उससे इन अंगों में होने वाले दर्द से छुटकारा मिलता है।
वृक्षासन योग
मांसपेशियों को मजबूत बनाने और रक्त संचार को बेहतर करने के लिए वृक्षासन योग का अभ्यास लाभकारी है। इसका नियमित अभ्यास गठिया की समस्या से लंबे समय तक सुरक्षित रखने में सहायक होता है। जिन लोगों को गठिया की समस्या है, उनके लिए वृक्षासन योग करना बहुत कठिन हो सकता है। लेकिन रक्त परिसंचरण, शरीर के संतुलन में सुधार और एकाग्रता के लिए वृक्षासन का अभ्यास करना चाहिए।