वाह रे योगी की मित्र पुलिस और उसका कारनामा

अवैध कब्जे को लेकर दर-दर भटक रही महिला

एसटीएफ के दबंग अफसर ने किया क ब्जा, करा रहे निर्माण, पुलिस कमिश्नर से एफआईआर दर्ज कराने की लगा रही गुहार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। एक तरफ योगी सरकार अवैध कब्जे करनेवालों के घरों पर बुल्डोजर चला रही, तो दूसरी तरफ उन्हीं के पुलिस के कुछ आलाधिकारी जमीनों पर अवैध कब्जे कर रहे है। जब पीडि़त उनसें गुहार कर रही है तो धमकी तक दे रहें है कि जो करना है कर लो जमीन पर से कब्जा तो नहीं छोड़ूगा। वहीं उल्टे भुक्तभोगी को ही मुकद्में में फंसाने का डर दिखा रहे हैं। इन सब मामले को लेकर पीडि़ता ने पुलिस कमिश्नर से शिकायत की है।
मामला लखनऊ का है। अपने शिकायत में प्रार्थिनी निधि मिश्रा पुत्री बी.एन. मिश्रा टावर संख्या बी/1209 डीएलएफ गोमती नगर लखनऊ की निवासिनी ने कहा है उनका एक भूखण्डा नं.-245,249,201,263 हुसडिय़ा वार्ड राजीव गांधी थाना गोमतीनगर विस्तार निकट खरगापुर क्रॉसिंग गोमती नगर लखनऊ में स्थित है। उक्त भूखंड पर दबंग किस्म के व्यक्ति अवैध कब्जा कर रहे थे, जब मैंने उनको रोकने का प्रयास किया तो उन्होंने कहा की ये भू-खण्ड मेरा है और मेरे साथ गाली गलौच की। निधि ने बताया शैलेश कुमार तथा संतोष वर्मा तथा उनके सात-आठ अपराधी किस्म के साथियों ने उनकी जमीन पर कब्जा किया है। जब मैनें उन्हे रोकने का प्रयास किया तो उन्होंने कहा कि उनके चाचा धर्मेश शाही एसटीएफ पुलिस में बड़े अधिकारी है और लखनऊ में एनकांउटर स्पेशलिस्ट के नाम से मशहूर है। उन्होंने धमकाते हुए कहा अगर यह भूखंड तुम्हारा है तो भी इसे भूल जाओ।

शाही ने कहा-जहां चाहो वहां शिकायत करवा दो

निधी मिश्रा ने कहा मैंने स्वयं एसटीएफ कार्यालय में धर्मेश शाही से मुलाकत की। मुलाकात के समय धर्मेश शाही अपने टेबल पर रिवाल्वर रखे हुये थे तथा मेरे द्वारा उक्त भू-खण्ड के हमारे मालिकाना हक के सरकारी दस्तावेज दिखाये जाने के बाद भी उन्होंने ने कहा कि हाँ वह भू-खण्ड मेरे ही कब्जे में है, जिसको मेरा भॉजा शैलेश कुमार बनवा रहा है। आप उस भू-खण्ड को भूल जाइये जहां चाहे वहां मेरी शिकायत कर दीजिये, चाहे न्यायालय चली जाइये, आप मेरा कब्जा खाली नहीं करा पायेंगी। देखियेगा ज्यादा मेरा भू-खण्ड, मेरा भू-खण्ड चिल्लाने से कहीं आपके विरुद्ध मैं खुद ही मुकदमा न लिखवा दूँ।

डीसीपी को दे चुकी हूं पत्र

निधि ने अपने साथ घटी धोखाधड़ी व छलकपट से परेशान होकर सम्बन्धित डीसीपी ( प्रबल प्रताप सिंह) को भी पूर्व में प्रार्थना-पत्र दे चुकी है। किन्तु धर्मेश शाही स्वयं दबंग पुलिस अधिकारी है इस वजह से उक्त प्रार्थना-पत्र पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। उल्टा भू-खण्ड पर अवैध कब्जा अब भी बरकरार है।

रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में अरेस्ट हुए दो संदिग्धों को रिमांड पर बेंगलुरु लाया गया

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
बेंगलुरु । बेंगलुरुके रामेश्वरम कैफे में हुए विस्फोट के मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा कोलकाता से गिरफ्तार किए गए दो मुख्य आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर यहां लाया गया है। पुलिस सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। दोनों आरोपियों को नियमित चिकित्सा जांच के लिए ले जाया जाएगा, जिसके बाद उन्हें यहां स्थित एनआईए अदालत में पेश किया जाएगा।
कोलकाता की एक अदालत ने विस्फोट मामले में दोनों आरोपियों को शुक्रवार को तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड पर भेजा था और एनआईए को उन्हें कर्नाटक की राजधानी लाने की अनुमति दी थी। एनआई ने आरोपियों मुसव्विर हुसैन शाजिब और ए मथीन अहमद ताहा को यहां रामेश्वरम कैफे में एक मार्च को हुए विस्फोट में उनकी कथित भूमिका के लिए कोलकाता से गिरफ्तार किया था। इस विस्फोट में 10 लोग घायल हो गए थे। एनआईए के अनुसार, शाजिब ने कैफे में विस्फोटक रखा था और ताहा विस्फोट की योजना बनाने और उसे अंजाम देने का मुख्य साजिशकर्ता है। एनआईए ने पिछले महीने इन दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी में मददगार साबित होने वाली सूचना देने वाले को 10-10 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी। बेंगलुरु में ब्रुकफील्ड के आईटीपीएल रोड स्थित कैफे में एक मार्च को विस्फोट हुआ था और तीन मार्च को एनआईए ने इस मामले की जांच का जिम्मा संभाल लिया था।

बिहार में खुशहाली लाएगी राजद: तेजस्वी

आरजेडी ने जारी किया घोषणापत्र, एक करोड़ नौजवानों को मिलेगी सरकारी नौकरी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी पार्टी का घोषणापत्र जारी कर दिया है, जिसमें उन्होंने परिवर्तन पत्र नाम दिया है। इसमें पार्टी की ओर से 24 वचन दिए गए हैं।
पार्टी ने एक करोड़ नौजवानों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। इसी के तहत तीन लाख रिक्त पदों को भरने के अलावा 70 लाख पदों का सृजन करने का वादा किया है। साथ ही रक्षाबंधन पर गरीब परिवार की बहनों को 1 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। गैस सिलेंडर का दाम 500 रुपये फिक्स किया जाएगा। पुरानी पेंशन योजना को लागू करने और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने का वादा भी घोषणापत्र में किया गया है। आरजेडी ने घोषणापत्र में राज्य को विशेष पैकेज देने की बात की कही है और साथ ही दस फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलवाने का वादा भी किया है। अग्निवीर योजना को बंद करने और ड्यूटी के दौरान मारे गए अर्ध सैनिक बलों के जवानों को शहीद का दर्जा देने की बात भी इस घोषणापत्र में है।

राज्य को देंगे विशेष पैकेज

सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक दृष्टिकोण से एवं आबादी में देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य तथा पिछड़ा राज्य होने के कारण आगामी 5 वर्षों में बिहार में चौमुखी विकास के लिए 1 लाख 60 हजार करोड़ की विशेष वित्तीय सहायता दी जाएगी। इस वित्तीय राशि का लोकसभा क्षेत्रों में समानुपातिक रूप से वितरण किया जाएगा। इसके अंतर्गत प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र को 4000 करोड़ रुपये की विशेष धनराशि मिलेगी।

सूचना आयोग व निर्वाचन आयोग आए आमने-सामने

ईवीएम पर आरटीआई का जवाब नहीं देने पर की खिंचाई

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत मांगी गई एक जानकारी निर्वाचन आयोग (ईसी) द्वारा नहीं दिए जाने पर गहरी नाराजगी जताई है। इस आवदेन में चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर्स वेरीफाइबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) की विश्वसनीयता के सवाल पर प्रतिष्ठित नागरिकों द्वारा दिए गए प्रतिवेदन पर की गई कार्रवाई के बारे में पूछा गया था।
सीआईसी ने इसे कानून का घोर उल्लंघन करार देते हुए निर्वाचन आयोग को लिखित स्पष्टीकरण देने का भी निर्देश दिया है। ईवीएम और वीवीपैट एवं मतगणना प्रक्रिया की विश्वसनीयता को लेकर दिए गए प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल पूर्व आईएएस अधिकारी एम. जी. देवसहायम ने आरटीआई कानून के तहत आवेदन देकर आयोग से प्रतिवेदन पर की गई कार्रवाई के बारे में पूछा था। प्रतिवेदन दो मई, 2022 को आयोग को भेजा गया था, जबकि देवसहायम ने 22 नवंबर, 2022 को आरटीआई आवेदन के माध्यम से आयोग से जानना चाहा कि किन-किन व्यक्तियों और अधिकारियों को प्रतिवेदन अग्रसारित किया गया था। उन्होंने इस मसले पर हुई किसी भी बैठक का विस्तृत ब्योरा और प्रासंगिक फाइल नोटिंग की जानकारी भी मांगी थी। निर्वाचन आयोग ने अनिवार्य 10 दिन की अवधि के भीतर उन्हें कोई जवाब नहीं दिया और वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष देवसहायम की पहली अपील भी नहीं सुनी गई। इसके बाद, उन्होंने आयोग से जवाब न मिलने का हवाला देते हुए दूसरी अपील के साथ सीआईसी का दरवाजा खटखटाया था।

पीआईओ के आचरण के प्रति गंभीर नाराजगी

जब मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया ने पूछताछ की, तो निर्वाचन आयोग के केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) इस बात पर संतोषजनक जवाब देने में विफल रहे कि देवसहायम को कोई जवाब क्यों नहीं दिया गया। सामरिया ने कहा, सुनवाई के दौरान मामले के रिकॉर्ड और दलीलों के अवलोकन के बाद आयोग आरटीआई अधिनियम के तहत निर्धारित समय-सीमा के भीतर आवेदन का कोई जवाब न देने पर तत्कालीन पीआईओ के आचरण के प्रति गंभीर नाराजगी व्यक्त करता है। इसलिए, आयोग मौजूदा पीआईओ के माध्यम से तत्कालीन पीआईओ को निर्देश देता है कि वह आरटीआई के प्रावधानों के घोर उल्लंघन को लेकर अपना स्पष्टीकरण दाखिल करें। उन्होंने कहा कि यदि चूक के लिए अन्य लोग भी जिम्मेदार हैं, तो सीपीआईओ उन्हें आदेश की एक प्रति देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे लोगों की लिखित दलीलें सीआईसी को भेजी जाएं।

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