असम में होने जा रहा खतरनाक खेल! योगेन्द्र यादव ने दिखा दिए सबूत!

चुनाव आयोग अब सिर्फ चुनाव कराने के लिए नहीं रह गया है। बल्कि सत्ता में बेठी मोदी-शाह की जोड़ी ने उसको अपना ऐसा हथियार बना लिया जिसको वो जब चाहें जैसे चाहें चला सकते हैं.

 4PM न्यूज़ नेटवर्क: चुनाव आयोग अब सिर्फ चुनाव कराने के लिए नहीं रह गया है। बल्कि सत्ता में बेठी मोदी-शाह की जोड़ी ने उसको अपना ऐसा हथियार बना लिया जिसको वो जब चाहें जैसे चाहें चला सकते हैं.

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार मोदी-शाह के इशारों पर नाचने में एक्सपर्ट हैं। इसका अब एक और सबूत सबके सामने आ गया है। दरअसल, देश के 12 राज्यों में SIR का दूसरा चरण जारी है। सरकार की मंशा है जहां अगले साल चुनाव होने वाला है वहां जल्दी से SIR करा लिया जाए ताकि सत्ता हतियाने में आसानी हो। चुनाव आयोग की इस सनक को पूरा करते करते न जाने कितने BLOs अभी तक अपनी जान गवां बैठे हैं, लेकिन ज्ञानेश कुमार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। उनको तो बस साहब का आदेश पूरा करना है।

लेकिन सबसे खास बात ये है कि जहां पूरे देश के आम नागरिक अपने कागजात बटोरने में बिजी हैं वहीं ज्ञानेश कुमार असम में SIR के नाम पर कोई दूसरा ही खेल खेलने की तैयारी चल रही है। और अब इसी खेल को लेकर योगेन्द्र यादव ने मोदी-शाह और ज्ञानेश कुमार की पूरी पोल पट्टी खोल कर रख दी है। जी हां योगेंद्र यादव ने एक-एक प्वाइंट समझाते हुए बताया है कि कैसे ज्ञानेश कुमार भाजपा के लिए वोट चोरी का पूरा इंतेजाम कर रहे हैं। तो योगेंद्र यादव ने असम को लेकर ऐसा क्या बड़ा खुलासा किया है जिसको लेकर पूरे चुनाव आयोग के महकमे में हड़कंप मच गया है और ज्ञानेश कुमार असम में ऐसा कौन सा खेल खेल रहे हैं जिसको लेकर एक बार फिर से उन पर वोट चोरी के आरोप लग रहे हैं,

पिछले दिनों जब बिहार में SIR कराया गया था, तो उसको लेकर बड़े-बड़े आरोप लगे थे, कई तरह के सवाल खड़े हुए थे, मामला सुप्रीम कोर्ट तक में चला गया था, लेकिन ज्ञानेश कुमार ने बिना कोई जवाब दिए, बिना कोई क्लीन चिट मिले, बड़ी बेशर्मी के साथ SIR को सफल बताते हुए पूरे देश के 12 राज्यों में इसे लागू करने के तुगलकी फरमान सुना दिया। खास बात ये रही कि इन 12 राज्यों में वो 4 राज्य भी शामिल थे जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। मतलब चुनाव आयोग की मंशा साफ थी कि चुनाव से पहले ही मतदाताओं की छटनी कर दी जाएगी, ताकि भाजपा को सीधा लाभ पहुंचाया जा सके।

ज्ञानेश जी बता गए कि इन 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुदुच्चेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। लेकिन अब, जैसे ही इन 12 राज्यों का नाम लिया गया तो सबका ध्यान गया कि इसमें कुछ गोलमाल है। क्योंकि ज्ञानेश जी ने असम का नाम नहीं लिया। सवाल उठने लगा कि अरे ज्ञानेश जी आप असम को कैसे भूल गए? क्या वहां अगले साल चुनाव नहीं होने हैं या वहां भाजपा की सरकार पहले से बनी है तो वोट काटने की जरूरत नहीं है। इसको लेकर जब पत्रकारों ने ज्ञानेश जी से पूछा तो वो बोले कि अरे भाई, असम में मतदाता सूची के संशोधन की घोषणा अलग से की जाएगी।

ऐसे में सवाल है कि जिस असम में बीजेपी सबसे ज़्यादा घुसपैठिए का मुद्दा उछालती रही है और सबसे ज़्यादा अवैध वोटर का आरोप लगाती रही है, उस राज्य के लिए ही एसआईआर की घोषणा अभी क्यों नहीं की गई? लेकिन अब इसी को लेकर योगेन्द्र यादव ने एक बहुत बड़ा खुलासा किया है। योगेंद्र यादव ने एक वीडियो जारी करते हुए बताया है कि कैसे ज्ञानेश कुमार ने पूरे देश के लिए और असम के लिए SIR फॉर्म को अलग-अलग तरीके से तैयार किया है ताकि भाजपा के लिए वोट बैंक की जमीन तैयार करना आसान हो जाए।

अब देखिए यहां योगेन्द्र यादव बताने की कोशिश की है कि चुनाव आयोग पूरे देश में SIR चला रहा है और जोर-शोर से कह रहा है कि इसका मकसद विदेशी घुसपैठियों को पकड़ना और वोटर लिस्ट से हटाना है। लेकिन असम का मामला देखो तो सारा ढोंग खुल जाता है। असम ही वो अकेला राज्य है जहाँ दशकों से विदेशी घुसपैठ पर सबसे बड़ा आंदोलन हुआ, समझौता और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूरी NRC हुई।

वहाँ पहले से ही 19 लाख संदिग्ध लोग पकड़े जा चुके हैं। यानी सबसे पहले और सबसे सख्त कार्रवाई असम में होनी चाहिए थी।पर हैरानी की बात ये है कि उसी असम में चुनाव आयोग ने लिखित में आदेश दे दिया कि SIR के दौरान कोई नागरिकता जाँच नहीं होगी। बाकी सारे राज्यों में फॉर्म भरवाओ, कागजात दिखाओ, लेकिन असम में सिर्फ फोटो खींचो और चलते बनो। वजह साफ है। उन 19 लाख में 12 लाख हिंदू हैं जो ज्यादातर भाजपा को वोट देते हैं और सिर्फ 7 लाख मुसलमान। अगर इन्हें हटाया तो भाजपा को भारी नुकसान होगा । यानी जहां सचमुच विदेशी पकड़ने का मौका था वहां जानबूझकर आंख बंद कर ली, और बाकी देश में सिर्फ हिंदू वोटरों को डराने-धमकाने का नाटक चल रहा है।

तो अगर आप असम वाला एक ऑर्डर पढ़ लें तो आपको ज्ञानेश जी का सारा ज्ञान समझ आ जाएगा। अब देखिए असम को SIR से बाहर रखना भाजपा सरकार की मजबूरी बन चुकी थी। क्योंकि भाजपा पहले से ही नागरिकता विवादों, जनसंख्या के मुद्दे और हालिया राजनीतिक अस्थिरता से परेशान है। अगर इस माहौल में SIR लागू किया जाता और लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाते, तो सरकार के लिए यह आत्मघाती साबित हो सकता था। भाजपा यह जानती है कि असम में पहले से ही नागरिकता को लेकर जनता बहुत संवेदनशील है और इस समय अगर मतदाता सूची में छेड़छाड़ की गई तो उसका सीधा असर 2026 के विधानसभा चुनावों पर पड़ेगा। इसीलिए मोदी-शाह ने एक ऐसा प्लान तैयार पर किया जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे। और मोदी शाह के इसी प्लान को जमीन पर उतारने वाले हैं ज्ञानेश कुमार।

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