योगी के अफसरों ने कूड़े में भी कर दिया करोड़ों का गोलमाल!

- स्वच्छता अभियान में घोटाला ही घोटाला
- सीएम योगी को लिखे खत में खुली भ्रष्टाचार की पोल
- ठोस कचरा निस्तारण के नाम पर भ्रष्टïाचार
- इकोस्टेन समेत कई कंपनियां कर रही धोखधड़ी
- नदियों व पर्यावरण को भी पहुंचा रहे नुकसान
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। कहावत है घूरे के भी दिन बहुरते हैं। पर यूपी में ये कहावत कुछ अलग है। यहां घूरे के दिन तो न बहुरे पर कूड़े से नगर विकास से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों के दिन दूनी व रात चौगुने रंगीन जरूर हो गए। दरअसल देश में स्वच्छता अभियान के तहत बड़े पैमाने पर कें द्र व राज्य सरकारों ने कई योजनाएं शुरू की। मोदी सरकार आने के बाद इन योजनाओं के लिए अच्छा-खासा बजट दिया गया, पर ये योजनाएं सन 2014 में सही दिशा में चलीं। पर उसके बाद इसमें कई तरह की अनियमितताओं की खबरें आम होने लगीं। इकोस्टेन का एक कारनामा मप्र के पीथमपुर में पकड़ा गया बाद में उसका टेंडर निरस्त कर दिया गया था। पर कंपनी को ब्लैकलिस्ट नहीं किया गया था। बाद अधिकारियों के कहने के बाद उसे दोबारा टेंडर दिया गया। कई अन्य राज्यों में इसको ब्लैकलिस्ट भी किया गया। यूपी में भी इसके काले कारनामों से संबंधित पत्र मुख्यमंत्री तक लिखा गया। पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। खासतौर से भाजपा शासित राज्यों से ऐसी खबरें ज्यादा आईं। जहां कूड़ा छोड़कर ठेकेदार भाग गए, ठेके ऐसी कंपनियों को दे दिए गए जो इन कामों में नौसीखिए थे। कहीं-कहीं तो ये तक हुआ कि भुगतान हो गया और कू ड़े का निस्तारण तक नहीं हुआ। सबसे बड़ी बात कूड़े के इस भ्रष्टïाचारी खेल में नगर निगमों के छोटे कर्मचारी से लेकर प्रदेश के प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी तक शामिल रहे। कूड़े के इस बंदबाट में यूपी के आला अधिकारी तो पूरे देश में अन्य राज्यों के अधिकारियों के कान तक काट गए। भ्रष्टïाचार पर जीरो टॉलरेंस का राग अलापने वाली योगी सरकार में तो कूड़ा सोने की खान ही बन गया है। अधिकारियों ने न केवल कूड़े से काली कमाई करी बल्कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले इस जानलेवा कूड़े को ऐसी-ऐसी जगहों पर निस्पादित करवा दिया जो हरित ट्रिब्यूनल के नियमों का खुला उल्ल्ंाघन था।
ब्लैकलिस्ट कंपनी को दे दिया काम
सबसे से अहम बात कि कंपनी को जितना कूड़ा निस्तारण का काम मिला था वो भी पूरा नहीं कर सकी है और दोबारा उसी कंपनी को बिना टेंडर प्रक्रिया के ही काम सौंप दिया गया। ये काम करीब 45 करोड़ का है। बताया जा रहा है कि इकोस्टेन कंपनी और अधिकारियों की मिली भगत से गलत तरीके से सर्वे कराया गया और फिर उसी धोखाधड़ी करने ने वाली ब्लैक लिस्टेड कंपनी को काम सौंप दिया गया। इस कंपनी ने केवल कानपुर में ही नहीं इससे पहले प्रयागराज समेत अन्य जगहों पर भी धोखाधड़ी की है। इसने महाकुंभ मेले के दौरान भी बहुत धांधली की थी। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय तक की गई।
अंजनी राय व अभिषेक मिश्रा पर प्रमुख सचिव अमृत अभिजात का हाथ
भ्रष्टïाचार के इस खेल में प्रमुख सचिव अमृत अभिजात के साथ उनके के करीबी अंजनी राय और इकोस्टेन कंपनी के मालिक अभिषेक मिश्रा समेत अन्य लोग शामिल हैं। अंजनी राय प्रमुख सचिव अमृत अभिजात का बहुत खास है। कूूड़ा निस्ताण वाली कंपनियों से वसूली और उनको टेंडर दिलाने में इसकी अहम भूमिका होती है। यही नहीं वह भुगतान दिलाने में भी अहम भूमिका निभाता है। वहीं अंजनी राय ने इकोस्टेन के मालिक अभिषेक मिश्रा के साथ मिलकर खूब धोखाधड़ी की और सरकार को करोड़ो के राजस्व का चूना भी लगाया।
कूड़े को नदियों व गड्ढों में बहाया
मामला कानपुर के सॉलिड वेस्ट प्लांट भवसिंह में पड़े कूड़ा निस्तारण का है। इसके लिए 17 सितंबर 2021 को एक निविदा आमंत्रित की गई थी। इस निविदा में बड़ा खेल किया गया और इसको इकोस्टेन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड को सौंप दी गई। काम मिलने के बाद कंपनी की तरफ से से जमकर खेल किया गया। कंपनी ने कूड़ा निस्तारण के बजाए कूड़े को गड्ढों और नदियों में में बहा दिया और करोड़ों का भुगतान भी करा लिया गया। कं पनी के काले कारनामों को अधिकारियों का खुला समर्थन है।




