लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है जुबैर की गिरफ्तारी, देश भर में हुई आलोचना
विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार को घेरा, ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर की गिरफ्तारी को बताया गलत
- जुबैर पर धार्मिक भावनाओं को भडक़ाने का आरोप दिल्ली पुलिस ने कल किया था गिरफ्तार
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। एक बार फिर अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला किया गया। फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर और पत्रकार मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी की देश भर में निंदा हो रही है। साथ ही दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्षी दलों ने गिरफ्तारी को लेकर भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला है। विपक्षी दलों का कहना है कि सच की आवाज उठाने वाले की गिरफ्तारी गलत है। यह अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। जुबैर को धार्मिक भावनाओं को भडक़ाने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने कल गिरफ्तार किया था।
फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर व पत्रकार मोहम्मद जुबैर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सोमवार को अरेस्ट किया था। जुबैर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप है। पुलिस ने उन्हें आईपीसी की धारा 153 ए और 295ए के तहत अरेस्ट किया है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि जुबैर की तरफ से सोशल मीडिया में एक विशेष धर्म समुदाय के खिलाफ जान बूझकर फोटो पोस्ट की गई थी जिससे अशांति फैल रही थी। लोगों के बीच नफरत फैलाने के लिए जुबैर के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। इसी आधार पर उन्हें अरेस्ट किया गया है।
किस मामले में हुई गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की आईएफएस यूनिट में मौजूद ड्यूटी ऑफिसर की शिकायत पर एफआईआर हुई है। ड्यूटी ऑफिसर के मुताबिक वे मॉनिटरिंग कर रहे थे तब उन्होंने देखा कि ट्विटर आईडी ञ्चड्ढड्डद्यड्डद्भद्बद्मद्बद्भड्डद्ब ने मोहम्मद जुबेर का एक ट्वीट शेयर किया था। जुबैर के अकाउंट से 2018 में यह ट्वीट किया गया था जिसमें लिखा था 2014 से पहले हनीमून होटल और 2014 के बाद हनुमान होटल और होटल के साइन बोर्ड की फोटो भी लगाई गई थी। इसी आईडी ने लिखा कि हनुमान जी की तुलना हनीमून शब्द से करने से हिन्दुओं का अपमान किया गया है, वे ब्रह्मचारी हैं। इसके बाद पुलिस ने जुबैर के खिलाफ आईपीसी 153 ए और 295 ए के तहत एफआईआर दर्ज की और उनकी गिरफ्तारी हुई। गौरतलब है कि यह सीन 1983 में ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा बनायी गयी फिल्म किसी से न कहना का है और इसे सेंसर बोर्ड ने पास भी किया है। इसी सीन को जुबैर ने शेयर किया था।
आखिर नूपुर शर्मा क्यों नहीं हुईं गिरफ्तार
सोशल मीडिया पर यूजर्स पूछ रहे हैं कि मोहम्मद जुबैर को तो गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन धार्मिक भावना आहत करने वाला बयान देने पर भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा क्यों नहीं? दिल्ली पुलिस उन्हें बचा रही है। पिछले दिनों भाजपा नेता नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद साहब को लेकर विवादित बयान दिया था, जिससे देश ही नहीं पूरे विश्व में भारत की किरकिरी हुई थी। इस सबके बावजूद अब तक नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी नहीं हुई।
ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर प्रतीक ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर प्रतीक सिन्हा ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि दिल्ली पुलिस ने अन्य मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन गिरफ्तारी दूसरे मामले में हुई है। उन्होंने कहा कि जुबैर को दूसरे मामले के लिए किसी तरह की नोटिस भी नहीं दी गई। बार-बार अनुरोध के बावजूद हमें एफआईआर की कॉपी भी नहीं दी जा रही है। प्रतीक ने दावा किया है कि मेडिकल जांच के बाद जुबैर को किसी अज्ञात स्थान पर ले जाया गया। पुलिस वालों ने अपने नाम का टैग भी नहीं लगाया है। जुबैर के वकीलों को इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है।
दिल्ली पुलिस ने की नियमों की अनदेखी?
जुबैर की गिरफ्तारी पर कानूनी सवाल यह है कि क्या पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किया था और उन्हें एफआईआर व जांच का नोटिस दिया गया था? अरुणेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में गिरफ्तारी के दिशा-निर्देश स्पष्ट रूप से कहते हैं कि सजा के रूप में 7 साल से कम कारावास वाले अपराधों के लिए गिरफ्तारी आवश्यक नहीं है, जब तक कि जांच के लिए आवश्यक न हो। फैसले में यह भी कहा गया है कि किसी भी गिरफ्तारी से पहले सीआरपीसी की धारा 41 के तहत जांच का नोटिस जारी किया जाना चाहिए, जिसमें उन्हें जांच में शामिल होने के लिए कहा जाए।
अखिलेश ने शायराना अंदाज में कसा तंज
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की। उन्होंने शेर कोट किया, अच्छे नहीं लगते हैं उन झूठ के सौदागरों को सच की पड़ताल करने वाले, जिन्होंने अपनी आस्तीन में हैं पाले, नफरत का जहर उगलने वाले।
भाजपा की नफरत, कट्टरता और झूठ को जो भी उजागर करता है, ऐसा हर शख्स उनके लिए खतरा हो जाता है। अत्याचार पर हमेशा सत्य की विजय होती है। सच की आवाज उठाने वाले एक शख्स को गिरफ्तार करने पर हजार और सामने आएंगे।
राहुल गांधी, पूर्व अध्यक्ष, कांग्रेसमाता सीता को टेस्ट ट्यूब बेबी और भगवान बजरंग बली को दलित कहने वाले धार्मिक भावनाओं पर गहरा आघात करने वाले भाजपा नेता दिनेश शर्मा और सीएम आदित्यनाथ पर कार्यवाही कब होगी?
संजय सिंह, सांसद, आपमोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी अत्यंत निंदनीय है। उन्हें बिना किसी नोटिस के किसी अज्ञात एफआईआर में गिरफ्तार किया गया है। यह कानून का उल्लंघन है। नफरती नारे लगाने वालों के खिलाफ दिल्ली पुलिस कोई कदम नहीं उठाती है लेकिन सच्चाई को सामने लाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करती है।
असदुद्दीन ओवैसी, एआईएमआईएम प्रमुखवह झूठ उजागर कर रहा था, तब उससे खतरा हो गया। धर्म के नाम पर नफरत के खेल को उजागर किया तो उसी से नफरत हो गई। ज़ुबैर जेल में है। आहत भावनाओं के इस खेल में उन्हें खतरा नहीं जो झूठ के तंत्र के साथ हैं। खतरा उन्हें है जो झूठ को उजागर करते हैं।
रवीश कुमार, वरिष्ठ पत्रकारभारत में फर्जी आईडी पुलिस को फैक्ट चेकर्स की रिपोर्ट कर रहे हैं। वे 2018 में एक फिल्म के एक शॉट पोस्ट करने के लिए फैक्ट चेकर को तुरंत गिरफ्तार कर लेते हैं जो 1983 में सामने आई थी क्योंकि फर्जी आईडी का दावा है कि उनकी भावना आहत हुई है। ठीक है फिर।
रोहिणी सिंह, वरिष्ठ पत्रकारबीते सालों में सैकड़ों बार फेक न्यूज की असलियत बताई। नफरत फैलाने वालों के खिलाफ मोर्चा खोला। उनके फर्जी और जहरीले वीडियो की हकीकत दुनिया को बताई। नतीजा सामने है। बहाने तो पहले से तलाशे जा रहे थे कि कैसे उसे फंसाया जाए। अब तो गिरफ्तारी ही हो गई है।
अजीत अंजुम, वरिष्ठ पत्रकार