अब ओटीपी बताएगा मरीज कोरोना पॉजिटिव है या निगेटिव
वेबसाइट पर मिलेगी जांच रिपोर्ट, सीएम योगी
ने किया पोर्टल का शुभारंभ
पहले सीएमओ ऑफिस फोन कर सूचना देता था रिपोर्ट पॉजिटिव आई है
संक्रमितों के बेहतर इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज में बढ़ाए गए आईसीयू बेड
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। कोविड-19 की जांच रिपोर्ट के लिए अब लोगों को बेवजह अस्पताल नहीं दौडऩा पड़ेगा। कोरोना संक्रमितों को घर बैठे जानकारी मिल जाएगी कि वह कोरोना पॉजीटिव हैं या निगेटिव। पहले कोरोना संदिग्धों को कोरोना की जांच के बाद अस्पताल में कोरोना की रिपोर्ट लेने जाना पड़ता था, जिससे मरीज के साथ अन्य स्टॉफ भी परेशान होते थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड-19 की इस वेबसाइट का लोकार्पण कर दिया है।
अब मरीज घर बैठे मोबाइल पर ही अपनी रिपोर्ट देख सकते हैं तथा पॉजीटिव होने के बाद इलाज के लिए अस्पताल या होम आइसोलेट भी हो सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार मरीजों को वेबसाइट द्यड्डड्ढह्म्द्गश्चशह्म्ह्लह्य.ह्वश्चष्श1द्बस्रह्लह्म्ड्डष्द्मह्य.द्बठ्ठ के जरिए ही कोरोना जांच रिपोर्ट मिल जाएगी। बस करना ये है कि कोरोना की जांच अस्पताल में कराने के बाद पंजीकृत कराए गए मोबाइल नंबर को वेबसाइट पर दर्ज करते ही वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) मिलेगा, जिसे फीड करते ही रिपोर्ट सामने होगी। इस रिपोर्ट में लिखा होगा पॉजिटिव या निगेटिव। अगर पॉजिटिव है तो तुरंत आपको अस्पताल से संपर्क करना पड़ेगा और अगर निगेटिव है तो कोर्ई बात ही नहीं। पॉजिटिव है तो सीएमओ कार्यालय भी संपर्क करेगा, अगर संपर्क स्वास्थ्य विभाग नहीं करता है तो आपको खुद जाकर अस्पताल में जानकारी देनी होगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना जांच की रिपोर्ट को ऑनलाइन जारी करने का फैसला किया है।
जांच रिपोर्ट देरी से मिलने की अक्सर आती थी शिकायतें
अस्पतालों में कोरोना जांच कराने आए मरीजों की अक्सर शिकायतें रहती थी कि जांच रिपोर्ट देरी से मिलती हैं, ऐसे में और लोगों में संक्रमण फैलने का डर बना था। अब अगर मरीज संक्रमित हैं तो रिपोर्ट घर पर ही मोबाइल पर मिलने से संक्रमण नहीं फैलेगा। मरीजों को अस्पताल से बिना रिपोर्ट के वापस कर दिया जाता था, जिस कारण कोरोना जांच की रिपोर्ट समय पर नहीं मिल पाती थी और मरीज को अस्पताल के कई चक्कर लगाने पड़ते थे। मरीजों ने बताया कि रिपोर्ट लेने के लिए दो दिन का समय दिया जाता था लेकिन जब रिपोर्ट लेने जाते थे तो उन्हें यह कहकर वापस कर दिया जाता था कि चार से पांच दिन का समय लगेगा। जिस कारण वह अस्पताल के चक्कर काटते रहते थे और कोरोना स्प्रेड का खतरा भी बना रहता था।
सिर्फ डेढ़ महीने में मिले कोरोना के 75 फीसदी रोगी
कोरोना का संक्रमण इधर बीते दिनों में तेजी से बढ़ा है। अब तक मिले कुल मरीजों में से 75 फीसदी तो बीते डेढ़ महीने में ही सामने आए हैं। हालांकि 78.7 फीसदी का रिकवरी रेट कुछ राहत भी दे रहा है। मार्च से लेकर जुलाई तक के पांच महीनों के दौरान प्रदेश में कोरोना के केवल 85,916 रोगी मिले थे जबकि अगस्त और सितंबर में अब तक के करीब डेढ़ महीने में ही 2,56,872 मरीज मिल चुके हैं। अगस्त में यह संख्या 1,42,472 और सितंबर में 18 दिनों में 1,14,400 है। मार्च से जुलाई तक कोरोना काबू में था। लॉकडाउन व सख्ती के चलते लोग भी पूरी सावधानी बरत रहे थे, लेकिन आर्थिक गतिविधियों को शुरू करना भी सरकार की मजबूरी है। अभी तक मिले कुल 3,42,788 मरीजों में से 2,70,094 रोगी स्वस्थ हो चुके हैं, लेकिन फिर भी सावधानी बरतना बहुत जरूरी है।
आईसीयू बेड की संख्या बढ़ेगी
राजधानी के मेडिकल कॉलेज में तीन हफ्ते में आईसीयू के बेडों की संख्या बढ़ाई जाएगी। केजीएमयू में 100 से बढ़ाकर 168 आईसीयू बेड, पीजीआई में 100 से बढ़ाकर 186 आईसीयू बेड तथा डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में 40 से बढ़ाकर 60 आईसीयू बेड की व्यवस्था की गई है। राजधानी के तीन प्राइवेट मेडिकल कालेज एरा, इन्टीग्रल व टीएस मिश्रा मेडिकल कालेज में 230 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं। इस प्रकार से बाराबंकी स्थित हिन्द मेडिकल कालेज को बैकअप के रूप में रखा गया है जिसमें वर्तमान में 60 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं। लखनऊ के विभिन्न मेडिकल कालेजों एवं सस्थानों में वर्तमान में 704 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य ने बतायाड्ड कि लखनऊ में विभिन्न मेडिकल कालेजों एवं संस्थानों में उपलब्ध आईसीयू बेड्स की संख्या में साप्ताहिक वृद्धि करते हुए तीन सप्ताह में 1000 आईसीयू बेड उपलब्ध कराया जाएगा।
इससे पहले ये था नियम
अभी तक सिर्फ कोरोना वायरस संक्रमण की पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय से मरीज को फोन कर जानकारी दी जाती है जबकि नेगेटिव रिपोर्ट वालों को सूचना नहीं दी जाती। कई बार समय पर सही सूचना न देने की भी शिकायतें सामने आ रही थीं, लेकिन अब वेबसाइट से रिपोर्ट मिलने पर यह शिकायतें खत्म हो जाएंगी। मोबाइल पर रिपोर्ट मिलने से कोरोना स्प्रेड से भी बचा जा सकेगा।