कोरोना संकट: प्रशिक्षण ले लिया पर इलाज से कतरा रहे राजधानी के प्राइवेट अस्पताल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। कोरोना संकट के समय भी राजधानी के निजी अस्पताल सहयोग नहीं कर रहे हैं। संक्रमित मरीजों के इलाज का प्रशिक्षण लेने के बाद वे जिम्मेदारी निभाने से कतरा रहे हैं। कोरोना के इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 70 निजी अस्पतालों का चयन किया है बावजूद इसके केवल पांच अस्पताल ही सहयोग कर रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग सब कुछ जानते-बूझते हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
राजधानी के निजी अस्पतालों में अधिकांश ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए आवेदन नहीं किया है। वहीं नर्सिंग होम ने एक भी कोरोना मरीज को भर्ती नहीं किया है। कोरोना का इलाज का खर्च अधिक और मुनाफा कम है जिस कारण निजी अस्पताल सेवा देने में कतरा रहे हैं। दूसरी ओर राजधानी में सीएचसी से लेकर सरकारी चिकित्सा संस्थानों तक में मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि सीएमओ दफ्तर में 2300 एलोपैथिक क्लीनिक और अस्पताल दर्ज हैं, इनमें 900 के करीब नर्सिंग होम रजिस्टर्ड हैं। प्राइवेट अस्पतालों में अनुमानित 18 हजार बेड हैं। इसमें 70 अस्पतालों का कोरोना इलाज के लिए चयन किया गया है लेकिन केवल पांच ही संक्रमितों का इलाज कर रहे हैं। यह स्थिति तब है जब स्टाफ को कोरोना इलाज का प्रशिक्षण दिया गया है। इसके तहत उन्हें पीपीई किट पहनना, बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण, संक्रमण से बचाव के लिए प्रशिक्षण दिया गया। राजधानी के 60 फीसदी अस्पताल प्रशिक्षण ले चुके हैं। सीएमओ नरेंद्र अग्रवाल का कहना है कि अभी सरकारी अस्पताल पर्याप्त है। जरूरत पडऩे में निजी अस्पतालों को टेकओर कर लेंगे।

दस हजार बेड

राजधानी में सरकारी अस्पतालों में एलोपैथ के चार बड़े चिकित्सा संस्थान, नौ बड़े अस्पताल, 19 अर्बन-रूरल सीएचसी व शहर से लेकर गांव तक 80 पीएचसी हैं। आयुष विद्या के तीन, एक यूनानी व 11 होम्योपैथ डिस्पेंसरियां हैं। यह सभी अस्पतालों की इंडोर क्षमता 10 हजार बेड की है। कोरोना के लिए कुछ अस्पतालों को कोविड अस्पताल बना दिया गया है। इसके अलावा कई जगह क्वारंटाइन आईसोलेशन वार्ड बनाकर बेड आरक्षित कर दिए गए हैं।

संसाधन खरीदने की दी गई अनुमति

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