खौफनाक कोरोना : लखनऊ में लाश जलाने और अस्पताल में भर्ती कराने के लिए घंटों की वेटिंग

  • एक महीने में कोरोना मरीजों की संख्या में हुई तेजी से बढ़ोतरी
  • कोरोना की नई लहर से राजधानी में मचा कोहराम
  • सिविल अस्पताल में जांच के लिए दिए जा रहे कूपन
  • भैंसाकुंड विद्युत शवदाह गृह पर मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए भी बांटे जा रहे कूपन
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। कोरोना की नई लहर ने राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश में कोहराम मचा दिया है। श्मशान घाटों और अस्पतालों में पिछले साल वाली तस्वीरें फिर से दिखने लगी हैं। राजधानी लखनऊ में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। लिहाजा कोविड अस्पतालों में कोरोना की जांच और इलाज के लिए मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। भैंसाकुंड विद्युत शवदाह गृह पर हालात बिगड़ गए हैं। यहां शवों की संख्या बढ़ती जा रही है। अचानक शवों के बढ़ने से अफरा-तफरी मच गई है। मृतकों के परिजनों को टोकन दिए जा रहे हैं। लोग टोकन लेकर अपनों के शवों का अंतिम संस्कार कराने के लिए घंटों इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश के 55 जिलों में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। बुधवार को कोरोना से संक्रमित 6023 नए रोगी मिले जबकि 40 मरीजों की मौत हो गई। करीब सात महीने बाद एक दिन में इतनी अधिक संख्या में मरीज मिले हैं। 13 सितंबर, 2020 को इससे अधिक 6,239 मरीज मिले थे। लखनऊ में सबसे ज्यादा 1333 रोगी मिले। बढ़ते संक्रमण के कारण राजधानी के कोविड अस्पतालों में मरीजों को भर्ती कराने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। इसके अलावा कोरोना जांच के लिए भी भीड़ लग रही है। भैंसाकुंड शव दाह केंद्र पर कल रात 22 शव पहुंचे थे। यहां शवदाह के लिए दो मशीने हैं, जिसमें से एक खराब है। मार्च महीने में रोजाना पहले 2-3 शव कोरोना संक्रमण के आते थे लेकिन अप्रैल के पहले हफ्ते में यह आंकड़ा सौ के पार पहुंच गया। कल भी 22 शव कोरोना के जलाए गए। एक अप्रैल से रोजाना यहां 15 से अधिक शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है। सुबह आठ बजे से रात तीन-चार बजे तड़के तक दाह संस्कार किया जा रहा है। शवों की संख्या को देखते हुए दाह संस्कार कराने के लिए आए मृतकों के परिजनों को टोकन दिए जा रहे हैं।

डॉक्टर व कर्मी भी हो रहे संक्रमित
बलरामपुर अस्पताल के चार डॉक्टर व पांच कर्मचारी और संक्रमित हो गए हैं। एक हफ्ते में यहां करीब 20 डॉक्टर व स्टाफ संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। लैब कर्मी के संक्रमित होने से जांच पर संकट गहरा गया है। निदेशक डॉ. राजीव लोचन ने केजीएमयू से जांच समय से मुहैया कराने की गुजारिश की है। वहीं, सिविल में भी कोरोना जांच कराना मुश्किल हो गया है। अब यहां जांच कराने वालों को टोकन दिया जा रहा है। निदेशक डा. सुभाष एस सुंदरियाल के मुताबिक स्क्रीनिंग के बाद डॉक्टर मरीजों की कोविड जांच लिखेंगे। सीधे किसी मरीज की जांच नहीं की जाएगी।
महीने भर में बढ़ गए 30 हजार से ज्यादा रोगी
प्रदेश में सात मार्च को कोरोना के कुल 1647 मरीज थे। अब मरीजों की कुल संख्या 31,987 हो गई है। यानी एक महीने में कुल 30,340 मरीज बढ़ गए हैं। मरीजों की संख्या में करीब 19 गुना वृद्धि हुई है। राजधानी लखनऊ में एक दिन में सर्वाधिक 1333 संक्रमित पाए गए हैं। वहीं, पिछले वर्ष रोजाना संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या कभी भी 1300 के आंकड़े को पार नहीं कर सकी थी। बुधवार को यहां छह संक्रमितों की मौत हो गई थी।
पीपीई किट की भी किल्लत
नगर निगम भैंसाकुंड विद्युत शवदाहगृह के कर्मियों को प्रतिदिन 10-15 पीपीई किट उपलब्ध कराता है लेकिन शवों की संख्या बढ़ने से इसकी किल्लत हो गई है। एक शव के दाह संस्कार की प्रक्रिया में दो पीपीई किट लगती हैं। ऐसे में स्थितियां खतरनाक हो गई हैं।

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