गठबंधन का ऐलान : निषाद पार्टी और अपना दल के साथ चुनाव लड़ेगी भाजपा
- यूपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने बड़ी जीत का किया दावा
- पीएम मोदी और सीएम योगी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा चुनाव
- गठबंधन सहयोगियों से अभी नहीं हुआ सीटों के बंटवारे पर फैसला
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। आगामी विधान सभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा अपने सहयोगी अपना दल और निषाद पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। यूपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने आज इसका ऐलान किया। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आगामी विधान सभा चुनाव में अपना दल और निषाद पार्टी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भाजपा गठबंधन को 2022 के चुनाव में 2017 से भी ज्यादा सीटें मिलेंगी। सीटों के बंटवारे को लेकर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अपना दल और निषाद पार्टी को सम्मान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में निषाद पार्टी और अपना दल के साथ सीटों का बंटवारा सम्मानजनक होगा। इसकी जानकारी आने वाले समय में दी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ पर जनता का अटूट भरोसा है। प्रजातंत्र में विश्वास ही सबसे बड़ी पूंजी होती है। 2022 में यूपी की जीत महत्वपूर्ण है। सरकार व संगठन के काम और समन्वय के कारण हम जीतेंगे। हम सभी समाज और समुदाय को साथ लेकर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने बीते साढ़े चार वर्ष में जितनी तरक्की कर ली है वह अपने आप में एक मिसाल है।
स्टिंग ऑपरेशन में फंस चुके हैं संजय निषाद
उत्तर प्रदेश की सत्ता में भागीदारी के लिए भाजपा से गठबंधन करने के पहले निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद का सनसनीखेज वीडियो वायरल हुआ था। एक चैनल द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में वह यूपी विधान सभा चुनाव जीतने के लिए विरोधियों की हत्या कराने और थाना फुंकवा देने तक की बात करते सुनाई दिए थे। यही नहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा मुखिया अखिलेश यादव को अपना दुश्मन बताते हुए भाजपा में रहकर दोनों को मिटाने की बात भी कही थी। वीडियो में वह कहते नजर आ रहे थे कि हमसे बड़ा गुंडा कौन है। बंदूक-वंदूक चलवाएंगे। हमारे लोग तो वैसी ही थाना फूंकने वाले हैं। मारकर फेंक देंगे। फिर मुकदमा भी वापस करा लेंगे। हालांकि संजय निषाद ने इसे खारिज कर दिया था।
किसानों की आय दोगुनी करने को प्रतिबद्ध
प्रधान ने कहा कि हम किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, चाहे वह एमएसपी पर कृषि उत्पाद खरीदकर, जैविक खेती को बढ़ावा देने या कृषि विपणन बुनियादी ढांचे पर एक लाख करोड़ रुपये खर्च करने के लिए हो। मुझे लगता है कि भारतीय जनता पार्टी पर किसानों खासकर छोटे किसानों का आशीर्वाद है।
पार्टी का विलय नहीं: संजय निषाद
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा कि पार्टी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी लेकिन पार्टी का विलय नहीं होगा। पार्टी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ेगी।
जातिगत जनगणना को दरकिनार करना बीजेपी को यूपी में पड़ सकता है महंगा, विपक्ष ने खोला मोर्चा
- मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश हलफनामे में जातिगत जनगणना कराने को बताया मुश्किल
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। जाति के आधार पर जनगणना को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा दरकिनार करना उत्तर प्रदेश में भाजपा को महंगा पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए हलफनामे पर उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गयी है। विपक्ष ने जातिगत जनगणना नहीं कराए जाने के फैसले को लेकर भाजपा पर हमला बोल दिया है। विपक्ष ने कहा कि इसने भाजपा की ओबीसी हितैषी बनने की पोल खोल दी है। केंद्र ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना ‘सतर्क नीति निर्णयÓ है। इसके हलफनामे के बाद यूपी की सियासत गर्म हो गयी है। यह हलफनामा तब आया जब उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी इसकी खुलकर वकालत कर चुके हैं और जनगणना में पिछड़े वर्ग को शामिल करने की मांग कर चुके हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो इस मुद्दे पर तमाम दलों के दस नेताओं को साथ लेकर प्रधानमंत्री मोदी से मिलने गए थे। मुलाकात के बाद नीतीश ने कहा था कि प्रधानमंत्री ने हमारी बात को बेहद गंभीरता से सुना है और उम्मीद है कि वे इस मांग को नामंजूर नहीं करेंगे। वहीं केंद्र का यह हलफनामा चुनाव के ऐन वक्त पर आया है, इससे भाजपा के एक धड़े में भी चिंता होने लगी है क्योंकि भाजपा ओबीसी समुदाय को अपना एक मजबूत वोट बैंक मान रही है। 2017 के यूपी विधान सभा चुनाव और 2019 के लोक सभा चुनावों में भाजपा को ओबीसी वर्ग का खासा समर्थन मिला था। आशंका है कि इससे पिछड़ा वर्ग नाराज होगा और इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है। वहीं विपक्ष ने इस मामले पर सरकार पर हमला बोल दिया है।
अखिलेश भी कर चुके हैं मांग
जातिगत जनगणना को लेकर समाजवादी पार्टी केंद्र सरकार पर बेहद आक्रामक है और सपा प्रमुख अखिलेश यादव पिछले कई महीने से जातिगत जनगणना कराये जाने का मुद्दा उठाते रहे हैं।
केन्द्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके पिछड़े वर्गों की जातीय जनगणना कराने से इंकार कर देना अति-गंभीर व अति-चिन्तनीय है। यह भाजपा के चुनावी स्वार्थ की ओबीसी राजनीति का पर्दाफाश व इनकी कथनी व करनी में अन्तर को उजागर करता है।
मायावती, बसपा प्रमुख
ओबीसी की गिनती न करके भाजपा पिछड़ी जातियों को उनके हक से वंचित करना चाहती है। आरक्षण से वंचित करना चाहती है। ओबीसी का वोट चाहिए लेकिन उन्हें अधिकार नहीं देंगे। भाजपा का काला सच और ओबीसी विरोधी चेहरा अब जनता के सामने आ गया है।
सुरेंद्र राजपूत, प्रवक्ता, कांग्रेस
भाजपा सरकार पिछड़ी जातियों को उनका हक देना ही नहीं चाहती है। इनकी कथनी और करनी में बहुत अंतर है। जो सरकारें जनगणना कराने से भाग रही है वह कहीं भी गणना में नहीं आएंगी।
सुनील सिंह साजन, एमएलसी, सपा
भाजपा खुद इसकी मांग करती रही है लेकिन अब इसे कराना नहीं चाहती। दरअसल, जातिगत जनगणना से पिछड़े वर्ग के लोगों की जनभागीदारी बढ़ जाएगी और भाजपा इसे देना नहीं चाहती है।
अनुपम मिश्रा, राष्टï्रीय संयोजक, टीम आरएलडी