नहीं बदला तालिबान न बदली तालिबानी सोच, मंत्रिमंडल में नहीं दी महिलाओं व अल्पसंख्यकों को हिस्सेदारी
नई दिल्ली। तालिबान मंत्रिमंडल की घोषणा के बाद अब विश्व बिरादरी के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या ऐसी सरकार को मान्यता दी जानी चाहिए जो खुलेआम महिला विरोधी है।
अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार की घोषणा कर दी गई है। मुल्ला हसन अखुंद को प्रधानमंत्री, मुल्ला अब्दुल गनी बारादर और मौलवी अब्दुल सलाम हनाफी को उप प्रधानमंत्री जिम्मेदारी दी गई है। तालिबान के इस मंत्रिमंडल में कुल 33 मंत्री बनाए गए हैं।
अंतरिम सरकार में सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्री, मुल्ला याकूब को रक्षा मंत्री और अमीर मुत्ताकी को विदेश मंत्री बनाया गया । मुल्ला हिदायतुल्लाह बद्री को वित्त मंत्रालय और नजीबुल्लाह हक्कानी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है।
यहां तक कि तालिबान कैबिनेट से जुड़ी यह खबर भी एक सामान्य खबर की तरह लगती है। लेकिन अगर आप ध्यान से देखें तो तालिबान की कैबिनेट उसकी पोल खोल रही हे। तालिबान की इस नई कैबिनेट में किसी भी महिला को जगह नहीं दी गई है।
सत्ता में वापसी के दौरान तालिबान ने खुद को बदलने के बड़े-बड़े वादे किए थे। उन्होंने शरीयत कानून के मुताबिक देश चलाने की बात कही थी, लेकिन साथ ही कहा गया कि महिलाओं को भी अधिकार दिए जाने चाहिए। लेकिन कैबिनेट की घोषणा ने साबित कर दिया है कि जो कुछ भी होता है, तालिबान की पितृसत्तात्मक सोच खत्म नहीं होने वाली है।
तालिबान के अलावा दुनिया में शायद ही कोई ऐसी सरकार होगी, जिसमें महिलाएं हिस्सा न लें। तालिबान मंत्रिमंडल की घोषणा के बाद अब विश्व बिरादरी के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या ऐसी सरकार को मान्यता दी जानी चाहिए जो खुलेआम महिला विरोध कर रही हे। तालिबान की इस नई कैबिनेट में सिर्फ एक कमी नहीं है । काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान लगातार समावेशी सरकार के नारे लगाता रहा, लेकिन हामिद करजई और डॉ अब्दुल्ला अब्दुल्ला जैसे नेताओं को नई सरकार में जगह नहीं मिली। इसके साथ ही अन्य आदिवासी समुदाय के लोग भी मंत्रिमंडल में नदारद रहे।
33 मंत्रियों में से 30 पश्तून, 2 ताजिक और 1 उज्बेक मूल के हैं । महिलाओं और युवाओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। इसके साथ ही सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय हाजरा को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। नई सरकार के गठन में तालिबान ने साफ कर दिया है कि 20 साल पुराना शासन अफगानिस्तान लौट रहा है।
अफगानिस्तान के अलग-अलग शहरों में विरोध की लहर शुरू हो गई है। इस लहर का नेतृत्व उन महिलाओं द्वारा किया जा रहा है, जिन्हें पर्दे में रहने का आदेश दिया गया है। पंजशीर में तालिबान लड़ाकों को पाकिस्तानी सहायता का आम अफगानी विरोध कर रहे हैं। अफगान शहर हेरात में महिलाएं अपने हाथों में अफगान झंडा लेकर तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंची हैं । इसके साथ ही लोग गो बैक पाकिस्तान, गो बैक के नारों के साथ पोस्टर लगाने पहुंचे।