राजस्थान सचिवालय में हुआ बवाल
नई दिल्ली। राजस्थान के सचिवालय में मंत्रियों के कार्यालयों में हुई बैठकों में आने वाली चाय-कॉफी और पेय पदार्थों का रिकॉर्ड नहीं रखने का मामला एक बार फिर गर्म हो गया है। कैबिनेट सचिवालय ने मंत्रियों के स्टाफ को रिमाइंडर जारी कर यह दस्तावेज भेजने के निर्देश दिए हैं। यह मामला पिछली वसुंधरा सरकार में भी उठा था। बार-बार रिमाइंडर के बावजूद मंत्रियों के कार्यालय द्वारा अपने कार्यालय की बैठकों के दौरान चाय-कॉफी व अन्य पेय पदार्थों के मांगपत्र बिलों का रिकॉर्ड कैबिनेट सचिवालय को नहीं दिया जा रहा है। इस कारण इन बिलों के भुगतान से संबंधित समस्याएं फिर से आ रही हैं।
सचिवालय कर्मचारी संघ की इस कैंटीन के बिल का भुगतान फरवरी 2020 तक किया जा चुका है, लेकिन मंत्रियों की ओर से ढीला रवैया अपनाने के बाद एक बार फिर रिमाइंडर जारी किया गया है। इसमें मंत्रियों के कर्मचारियों से कहा गया है कि वे मार्च 2020 से नवंबर 2020 तक अपने कार्यालयों की बैठकों का एजेंडा सहित चाय-कॉफी व अन्य पदार्थों से संबंधित दस्तावेजों या रजिस्टरों की सत्यापित प्रतियां उपलब्ध कराएं, ताकि इन दस्तावेजों का सत्यापन करने के बाद बिलों का भुगतान जल्द किया जाए। उस पर कार्रवाई की जा सकती है।
गौर करने लायक बात यह है कि बीते दिनों इस को लेकर हुए विवाद के बाद ऑडिट पैरा को एजी पर आपत्ति जताने की बात कही गई थी। महालेखाकार कार्यालय की ऑडिट आपत्ति को देखते हुए बिलों के सत्यापन के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जा रही है। दूसरी ओर हाल ही में वित्त विभाग की अनुमति के बिना फरवरी 2020 तक के बिलों के भुगतान को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि पिछली वसुंधरा सरकार के दौरान सचिवालय में स्थित कैंटीन संचालकों को भुगतान को लेकर काफी विवाद हुआ था। मामला तत्कालीन मुख्य सचिव डीबी गुप्ता तक पहुंचा था। डीबी गुप्ता को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। इसके बाद ही कैंटीन संचालकों को भुगतान कर हो पाया था।