राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बीबीयू के दीक्षांत समारोह में कही ये बात

लखनऊ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गुरुवार से उत्तर प्रदेश के चार दिवसीय दौरे पर हैं। राष्ट्रपति कोविंद ने लखनऊ में बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के 9वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में संपन्न हुए टोक्यो ओलंपिक में हमारी बेटियों ने सम्मान दिलाया है। समान अवसर मिलने पर बेटियां आगे बढ़ती हैं। आज भी इस समारोह में बेटियों का सम्मान किया जाता है। इनकी संख्या अधिक थी। यह बाबासाहेब का सपना था। उन्होंने महिलाओं के लिए कई काम किए। उस समय महिलाओं के अधिकारों के लिए सोचना भी एक अपराध था, लेकिन उन्होंने ऐसा किया।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि आज यहां डिग्री और पदक प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई और धन्यवाद। यह इकलौता विश्वविद्यालय है जहां मैं दूसरी बार किसी समारोह में आया हूं। यहां बाबासाहेब के विचार शामिल हैं। यहां उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को अलग से पुरस्कृत किया जाता है। यहाँ समतामूलक मूल्य दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की अपनी पिछली यात्रा के दौरान मुझे बाबासाहेब अम्बेडकर के सांस्कृतिक केंद्र की आधारशिला रखने का अवसर मिला था। बाबासाहेब एक शिक्षाविद्, समाज सुधारक, न्यायविद होने के साथ-साथ एक विशेषज्ञ भी थे। बाबासाहेब की किताबों में आपको कई उल्लेख मिलेंगे, जिनकी मदद से आप खुद को बनाने में मददगार होंगे। उन्होंने कहा कि शील के बिना शिक्षा अधूरी है। शील के बिना शिक्षा, ज्ञान की तलवार अधूरी है।
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि आप सब विश्वविद्यालय के मूल तत्व में प्रज्ञा शील और करुणा बाबा साहब शब्द प्रतिपादित किए गए हैं। बाबासाहेब ने बुद्ध संत कबीर ज्योतिबाफुले को अपना भगवान माना है।

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