लक्ष्मीकांत वाजपेयी जैसे नेता को किनारे कर जितिन प्रसाद को लाने से क्या खुश हो जाएंगे ब्राह्मïण

  • प्रदेश में भाजपा की सियासी जमीन को मजबूत किया था लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने
  • विधान सभा चुनाव में भाजपा का साथ देने वाले ब्राह्मïण समाज में है भारी आक्रोश
  • भाजपा शासन काल में ब्राह्मïणों की हत्याओं और उपेक्षा से है नाराजगी
  • कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद को भाजपा में शामिल कराकर पार्टी नेतृत्व ने चला दांव

4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। विधान सभा चुनाव से पहले भाजपा ने दांव-पेंच चलने शुरू कर दिए हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के इशारे पर कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद को आज पार्टी में शामिल किया गया है। भाजपा जितिन प्रसाद को शामिल कर प्रदेश में एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश करती दिख रही है। एक ओर वह प्रदेश के ब्राह्मïण समाज की नाराजगी दूर करना चाहती है तो दूसरी ओर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के प्रदेश में बढ़ते राजनीति प्रभाव को कम करना चाहती है। हालांकि सियासी गलियारों में यह सवाल पूरी शिद्दत से पूछा जा रहा है कि भाजपा के दिग्गज नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी को दरकिनार कर जितिन को लाने से क्या ब्राह्मïण समाज अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों और उपेक्षाओं को भूल जाएगा? प्रदेश सरकार से ब्राह्मïण पूरी तरह नाराज चल रहे हैं। इससे भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चिंतित है। पार्टी को पता है कि यूपी की राजनीति में ब्राह्मïणों का वर्चस्व हमेशा से रहा है। आबादी के लिहाज से यहां करीब 13 फीसदी ब्राह्मïण हैं। 2017 में भाजपा को ब्राह्मïणों का पूरा सपोर्ट मिला लेकिन सरकार में उतनी हनक नहीं दिखी। 2017 में भाजपा के कुल 312 विधायकों में 58 ब्राह्मïण चुने गए। इसके बावजूद सरकार में ब्राह्मïणों की उपेक्षा की गई। दिनेश शर्मा व श्रीकांत शर्मा को छोड़ किसी को अहम विभाग नहीं दिए गए। श्रीकांत शर्मा के बारे में माना जाता है कि उन्हें शीर्ष नेतृत्व की ओर से दिल्ली से यूपी भेजा गया है। वहीं भाजपा के दिग्गज नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी के विधान सभा चुनाव हार जाने के बाद उन्हें पूरी तरह उपेक्षित कर दिया। लक्ष्मीकांत वाजपेयी अप्रैल 2012 से अप्रैल 2016 तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने भाजपा को प्रदेश में मजबूती देने में अहम भूमिका निभायी। भाजपा ने उनको दरकिनार कर दिया। इसके बाद उन्हें प्रदेश सरकार और संगठन में वह स्थान नहीं मिल सका, जिसके वे हकदार माने जाते रहे हैं। वाजपेयी की उपेक्षा के कारण ब्राह्मïण समाज का एक बड़ा वर्ग नाराज है। वहीं भाजपा सरकार में सौ से अधिक ब्राह्मïणों की हत्याएं हो चुकी हैं। लखनऊ में हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या कर दी गई। रायबरेली में पांच ब्राह्मïणों, लखनऊ में एप्पल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी और प्रयागराज में सोमदत्त तिवारी के पूरे परिवार की हत्या कर दी गई। विकास दुबे एनकाउंटर और अमर दुबे की पत्नी खुशी को जेल में बंद रखने से भी आक्रोश है। ब्राह्मïण समाज खुद को छला महसूस कर रहा है।

कांग्रेस में साइड लाइन चल रहे थे जितिन

राहुल गांधी के करीबी और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने आज कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जितिन प्रसाद को भाजपा की सदस्यता दिलाई। जितिन प्रसाद कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कमान प्रियंका गांधी के हाथों में आने के बाद सूबे की राजनीति में जितिन प्रसाद साइड लाइन चल रहे थे, जिसके चलते उन्होंने अब 2022 के चुनाव से ठीक पहले पार्टी को अलविदा कह दिया है। यह कांग्रेस के लिए यूपी में बड़ा झटका माना जा रहा है। जितिन प्रसाद की साल 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं थीं, लेकिन उस वक्त उन्होंने पार्टी को नहीं छोड़ा था। जितिन प्रसाद का सियासी सफर करीब 20 वर्ष पुराना है। 2004 के लोकसभा चुनाव में वह अपनी गृह लोकसभा सीट शाहजहांपुर से जीतकर संसद पहुंचे। 2008 में अखिलेश दास को हटाकर कांग्रेस हाईकमान ने पहली बार जितिन प्रसाद को केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री नियुक्त किया। इसके बाद 2009 में जितिन प्रसाद ने धौरहरा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। कांग्रेस ने जितिन प्रसाद को 2014 में धौरहरा सीट से मैदान में उतारा, लेकिन जीत नहीं दर्ज कर सके। 2017 में तिलहर विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़े लेकिन यह चुनाव भी नहीं जीते जबकि उनको तब सपा का समर्थन हासिल था। इसके बाद 2019 में धौरहरा से फिर लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए. इसके बाद प्रियंका गांधी ने जितिन प्रसाद को महत्व नहीं दिया, जिसके चलते वह नाराज चल रहे थे।

 

ब्राह्मïणों के मुद्दों पर सरकार को घेरते रहे हैं विपक्षी दल

ब्राह्मïणों के उत्पीड़न के खिलाफ विपक्षी दल लगातार प्रदेश सरकार पर हमलावर रहे हैं। कांग्रेस, सपा और आप पीड़ित परिवारों के मुद्दों को लेकर योगी सरकार पर ब्राह्मïण विरोधी होने का भी आरोप लगाती रही है।

जितिन प्रसाद को कांग्रेस ने मान-सम्मान व पहचान दी। वे सांसद के साथ दो बार केंद्रीय मंत्री भी रहे। हर चुनाव में उन्हें मौका दिया गया। उन्होंने पार्टी को धोखा दिया है।

अजय कुमार लल्लू, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस

अगर आप किसी पार्टी में रहकर अपने लोगों के काम नहीं आ सकते हैं तो वहां रहने का क्या फायदा। मुझे उम्मीद है कि भाजपा समाजसेवा का माध्यम बनी रहेगी।

जितिन प्रसाद

उत्तर प्रदेश की राजनीति में जितिन प्रसाद की अहम भूमिका होने वाली है। उनके शामिल होने से भाजपा को बल मिलेगा।

पीयूष गोयल, केंद्रीय मंत्री

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