लापरवाही: बिगडऩे लगी गुलाबी पत्थरों से बनी अंबेडकर पार्क की सूरत
कई जगहों से टूट गई दीवारें, देखरेख के अभाव में फैली अव्यवस्था
पार्क में लगे दरवाजे भी उखड़े, पावर सप्लाई के लिए बना उपकेंद्र खा रहा जंग
सत्यप्रकाश
लखनऊ। बसपा सरकार में बनकर तैयार हुए अंबेडकर पार्क की सूरत अब बिगडऩे लगी है। गुलाबी पत्थरों से बने पार्क की आभा फीकी पड़ती जा रही है। कई जगहों से दीवारें टूट गई हैं। पार्कों में लगे दरवाजे उखड़ गए हैं। लाइटें गायब हो गई हैं। पावर सप्लाई के लिए बनाया गया उपकेंद्र भी अब जंग खा रहा है। वहीं करोड़ों रुपये से बने इस पार्क की बदहाली की जिम्मेदार सुध नहीं ले रहे हैं।
राजस्थान से आए गुलाबी पत्थरों से लखनऊ को सजाने के लिए बसपा सरकार ने सेंट्रल जेल को तोडक़र यहां उद्यान बनवाया था। अंबेडकर पार्क बसपा सुप्रीमो मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है। दलित समुदाय भी इसे अपने उत्थान का प्रतीक मानता है। यह डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल के नाम से भी जाना जाता है। पार्क में ज्योतिराव फुले, नारायण गुरू, बिरसा मुंडा, शाहूजी महाराज, भीमराव अंबेडकर, कांशीराम के जीवन और यादों का सम्मान करते हुई मूर्तियां बनवाई गई हैं। स्मारक की आधार शिला पहली बार 1995 में रखी गई थी। इससे पहले पार्क का नाम डॉ. भीमराव अंबेडकर उद्यान था। 2007 में पार्क के आगे नवीकरण और विकास किया गया। इसे14 मार्च 2008 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने जनता के लिए खोल दिया था। स्मारक की अनुमानित लागत सात अरब है। मई 2012 में इसका नाम अंबेडकर पार्क से भीमराव अंबेडकर स्मारक कर दिया गया था।
महापुरुषों की मूर्ति के ऊपर बना गुम्बद क्षतिग्रस्त
अंबेडकर पार्क के चारों ओर महापुरुषों की मूर्तियों को लगाया गया है। मूर्तियों को मौसम के प्रभाव से बचाने के लिए गुम्बद भी बनाया गया था। अब ये गुम्बद भी टूटने लगे हैं। इस पर लगी टाइल्स जमीन पर बिखरी पड़ी हैं। अंबेडकर स्तूप के ऊपर जाने के लिए बनी सीढिय़ों की रेलिंग क्षतिग्रस्त हो चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की मूर्ति जिस स्थान पर स्थापित है, उसके पीछे निकास मार्ग पर लाइट की व्यवस्था नहीं है। यहां अंधेरा होने की वजह से लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है।
गंदगी का साम्राज्य
अंबेडकर पार्क में प्रवेश करते ही लोगों का सामना कचरे और गंदगी से होता है। पूरे परिसर में सैकड़ों प्लास्टिक की खाली बोतलें फैली हुई हैं। दीवारें पान की पीक से गंदी हो चुकी हैं। मूर्तियों पर काफी धूल जमा है। विशालकाय हाथियों की मूर्तियों को खुरच दिया गया है। दाग को छिपाने के लिए सफेदी की गई थी लेकिन पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था न होने की वजह से लोगों ने उसे फिर गंदा कर दिया है।
बंद पड़ी लिफ्ट
अंबेडकर स्तूप में लगी लिफ्ट बंद हैं। टूटा डिस्पले बोर्ड और स्विच खराब पड़ा है। स्तूप के ऊपर जाने पर लिफ्ट के पास गंदगी रहती है। खंभों के इर्द गिर्द लगी कई सारी लाइटें खराब हो चुकी हैं।
राजकीय लोक निर्माण विभाग ने अंबेडकर पार्क का निर्माण जरूर किया है लेकिन निर्माण के बाद इसकी जिम्मेदारी एलडीए के पास है। किसी भी प्रकार की टूट-फूट की मरम्मत का काम एलडीए द्वारा किया जाता है।
सत्य प्रकाश सिंहल, प्रबन्ध निदेशक, राजकीय लोक निर्माण विभाग