कल्याण सिंह साबित हुए हैं यूपी में भाजपा के कल्याणकारी
लखनऊ। आठ जुलाई की शाम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष अचानक बेहद खास मकसद से लखनऊ पहुंचे। यह खास मकसद था कि बीमार पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह से मुलाकात की जाए। वे संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान पहुंचे और सीधे कल्याण सिंह से मुलाकात की। यूपी के किसी अन्य नेता से मुलाकात किए बिना और राजनीतिक चर्चा के बिना वे सीधे दिल्ली वापस चले गए ।
दो शीर्ष नेताओं के लखनऊ आने से दो दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह से फोन पर बात की और उनके पिता की तबीयत के बारे में पूछताछ की। केंद्र में मंत्रिमंडल में फेरबदल के व्यस्त कार्यक्रम के बीच कल्याण सिंह की हालत जानना भी पीएम के लिए बेहद अहम रहा।
सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ भी बाबूजी के नाम से मशहूर कल्याण से मिलने पीजीआई पहुंचे। नड्डा और संतोष जब लखनऊ पहुंचे तो योगी फिर से कल्याण सिंह से मिलने गए। उनके साथ डिप्टी सीएम केशव मौर्य और दिनेश शर्मा भी थे।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने दोबारा कल्याण के पोते संदीप को फोन कर उनके दादा की तबियत का हालचाल लिया। इसके बाद पीएम ने ट्वीट किया, मैं बहुत प्रभावित हूं कि नड्डा जी से बातचीत के दौरान कल्याण सिंह जी ने मुझे याद किया। कल्याण सिंह जी से हुई बातचीत की कई यादें हैं। उनसे बात करना हमेशा से सीखने का अनुभव रहा है ।पीएम मोदी ने एक और ट्वीट किया। इसमें उन्होंने लिखा था, पूरे भारत में अनगिनत लोग कल्याण सिंह जी के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि कल्याण के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करना मोदी का शिष्टाचार था। दूसरी ओर राजनीतिक विशेषज्ञ इसे दूसरे एंगल से देखते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कल्याण का राम मंदिर आंदोलन से गहरा नाता है।
कल्याण सिंह ही थे जिन्होंने नब्बे के दशक के शुरू में देश के राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य यूपी में भाजपा को मजबूत करने का काम किया था । राम मंदिर निर्माण को लेकर इस मुद्दे को और अधिक प्रमुखता मिली है। यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की साख दांव पर है।
दरअसल, यूपी के सीएम के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान कल्याण को हिंदू हृदय सम्राट का खिताब मिला था। जब कार सेवकों की उन्मादी भीड़ ने 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद में तोडफ़ोड़ की। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने याद किया कि कैसे कल्याण राम मंदिर आंदोलन के दौरान यूपी में पार्टी के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक बन गए थे।
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि अविभाजित यूपी में भाजपा का कद तेजी से बढ़ा। बात तब की है जब अविभाजित यूपी में तब 425 विधानसभा सीटें थीं। बीजेपी 1989 की 57 सीटों से बढक़र 1991 में 221 सीटें हो गई। दो क्षेत्रीय दलों समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के मजबूत उदय के बावजूद 1993 में 177 और 1996 में 174 में भाजपा की ताकत लगातार चमकती रही। हालांकि, इसके बाद बीजेपी ने यूपी में जबरदस्त वापसी की और योगी आदित्यनाथ अभी भी प्रदेश के सीएम हैं।